- पेंशनर्स का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के रूख से हमें ईपीएस 95 हायर पेंशन (EPS 95 Higher Pension) में बेहतर की आशा करनी चाहिए।
- साल 2014 के बाद वालों की हायर पेंशन चालू की जा चुकी है।
- पीएफ ट्रस्ट की वजह से पीएसयू में विवाद बरकरार है, जहां पेंशन चालू नहीं हो सकी है।
सूचनाजी न्यूज, छत्तीसगढ़। EPS 95 Higher Pension: कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (Employees Provident Fund Organization) पर दबाव लगातार बनाया जा रहा है। 1 सितंबर 2014 से पहले वालों को भी उच्च पेंशन के दायरे में लाने की लड़ाई जारी है। अब खबर आ रही है कि सुप्रीम कोर्ट से बड़ी खबर आ रही है। पेंशनभोगी तपन कुमार दास ने प्रवीण कोहली का पोस्ट शेयर किया, जो तेजी से वायरल हो रहा है।
ईपीएस 95, 01.09.2014 से पूर्व उच्च पेंशन मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court), हाईकोर्ट (High Court) के फैसले पर सुनवाई करने जा रहा है। मद्रास उच्च न्यायालय (Madras High Court) द्वारा विभिन्न डब्ल्यूए में 07.02.2024 को सुनाए गए फैसले के खिलाफ टीएन सीमेंट कॉर्प, टीएन सिविल सप्लाइज कॉर्प और एसपीआईसी से उच्च पेंशन (01.09.2014 से पूर्व सेवानिवृत्त) को आज 2-जे बेंच (कोर्ट नंबर 11) द्वारा लिया गया और मामलों को सोमवार (15.07.2024) को सुनवाई के लिए स्थगित कर दिया।
ध्यान दें कि इन 9 एसएलपी (SLP) में सभी याचिकाकर्ता छूट प्राप्त प्रतिष्ठानों से हैं, जिन्हें पहले परिपत्र दिनांक 31.05.2017 के मद्देनजर उच्च पेंशन से वंचित किया गया था। 04.11.2022 को सर्वोच्च न्यायालय ने निर्णय दिया है कि छूट प्राप्त परिसंपत्तियों और गैर-छूट प्राप्त परिसंपत्तियों के ईपीएस 95 पेंशनभोगियों (EPS 95 Pensioners) में अंतर नहीं किया जा सकता है।
ईपीएफओ (EPFO) उन्हें 04.11.2022 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के पैरा 44(v) का आधार लेकर उच्च पेंशन (Higher Pension) का लाभ देने से मना कर रहा है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि इन एसएलपी में याचिकाकर्ता (उच्च पेंशन नहीं ले रहे हैं) उन लोगों की तुलना में थोड़ा अलग हैं, जो 23.03.2017 के परिपत्र के अनुसार उच्च पेंशन ले रहे थे।
लेकिन उपरोक्त दोनों श्रेणियों के पेंशनभोगियों को अब ईपीएफओ द्वारा 04.11.2022 के फैसले के पैरा 44(v) की गलत व्याख्या करके उच्च पेंशन के लाभ से वंचित किया जा रहा है। पेंशनर्स का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के रूख से हमें ईपीएस 95 हायर पेंशन (EPS 95 Higher Pension) में बेहतर की आशा करनी चाहिए।