Breaking News: प्राचीन शिव मंदिर देवबलोदा की सूरत बदलने में जुटा भिलाई स्टील प्लांट, ईडी ने किया भूमिपूजन

  • करीब 3 करोड़ की लागत से संवारा जाएगा मंदिर परिसर।

सूचनाजी न्यूज, भिलाई। सेल के भिलाई स्टील प्लांट (SAIL – Bhilai Steel Plant) ने केंद्रीय संरक्षित स्मारक प्राचीन शिव मंदिर देवबलोदा के जीर्णोद्धार एवं पर्यटक सुविधाओं के विकास का बीड़ा उठा लिया है। निर्माण कार्यों का शिलान्यास एवं भूमिपूजन गुरुवार को हो गया है। बीएसपी के ईडी पीएंडए पवन कुमार इस पूजा में शामिल हुए।

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भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण और स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (Archaeological Survey of India and Steel Authority of India Limited) के बीच एमओयू साइन होने के बाद अब प्रोजेक्ट शुरू हो गया है। करीब 3 करोड़ की लागत से मंदिर और मंदिर परिसर को संवारा जाएगा।

राष्ट्रीय संस्कृति निधि के संयुक्त तत्वाधान में होने वाले केंद्रीय संरक्षित स्मारक प्राचीन शिव मंदिर देवबलोदा के जीर्णोद्धार एवं पर्यटक सुविधाओं के विकास कार्यों का शिलान्यास एवं भूमिपूजन कार्यक्रम में बीएसपी के उच्चाधिकारी मौजूद रहे।

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बीएसपी के डीआइसी अनिर्बान दासगुप्ता कार्यक्रम में शामिल नहीं हो सके थे।

निगमित सामाजिक उत्तरदायित्व विभाग (CSR) भिलाई इस्पात संयंत्र (Bhilai STeel Plant) के फंड से इस मंदिर को संवारा जा रहा है। आदर्श इस्पात ग्राम देवबलोदा के पुरातात्विक प्राचीन शिव मंदिर प्रांगण 13वीं शताब्दी का है।

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कल्चुरी राजाओं ने कराया था मंदिर का निर्माण

जानकार बताते हैं कि दुर्ग-रायपुर हाइवे से करीब 5 किलोमीटर दूर देवबलोदा गांव में 13वीं शताब्दी में कल्चुरी राजाओं ने शिव के मंदिर का निर्माण कराया था। किवदंती है कि छह मास दिन और छह मास रात में इस मंदिर का निर्माण किया गया था। मंदिर का शिखर नहीं है। मंदिर में मंडप एवं गर्भ गृह बनाया गया है। मंदिर के बगल में स्थित कुंड में हमेशा पानी भरा रहता है।

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मंदिर और मूर्तियों को हो रहा नुकसान

मंदिर का निर्माण बलुआ पत्थरों से किया गया है। इसकी दीवारों पर देवी देवताओं, जनजीवन, युद्ध कला, संस्कृति से संबंधित मूर्तियां उकेरी गई थीं। कई स्थानों पर यह कलाकृतियां टूट गई है। मंदिर के सामने की ओर नंदी की प्रतिमा स्थापित है, इसमें भी दरार आ गई है।

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पूर्व सेल चेयरमैन सोमा मंडल कर चुकी है दर्शन

सेल की पूर्व चेयरमैन सोमा मंडल दर्शन के लिए यहां पहुंच चुकी हैं। मंदिर की दीवारों पर उकेरी गई कलाकृतियों को देखती रह गई थीं। खंडित होती मूर्तियां एवं कलाकृतियों को देख उन्होंने चिंता जताई थी। भारतीय पुरातत्व विभाग के अधिकारियों ने उन्हें मंदिर के महत्व से अवगत कराया था।

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कर्ण और अर्जुन युद्ध का दृश्य भी

बताया जा रहा है कि मंदिर की दीवारों में एक स्थान पर कर्ण और अर्जुन युद्ध का दृश्य है। जिसमें अर्जुन के रथ ध्वज पर हनुमान और कर्ण के धनुष पर प्रतिशोध के लिए तत्पर नागराज अश्वसेन बाण रूप में नजर आ रहे हैं। इसी तरह से कुछ दृश्यों में सुअरों व हिरणों के शिकार को दर्शाया गया है।

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