- फाइनल नहीं हुआ है कि बीएसएल के प्रोजेक्ट को भिलाई स्टील प्लांट (Bhilai Steel Plant) शिफ्ट कर दिया जाए या नहीं।
- बोकारो स्टील प्लांट के कार्यवाहक डायरेक्टर इंचार्ज आलोक वर्मा पर भी नजर टिकी हुई है कि क्या वह इस मुहिम पर कुछ प्रयास करेंगे?
- बोकारो स्टील प्लांट एक्सपांशन प्रोजेक्ट पर छुटभैय्या नेताओं ने फैलाया रायता। पूरा फंड भिलाई होगा शिफ्ट या कोई और दांव।
- प्लांट के लिए किसी भूमि अधिग्रहण की आवश्यकता नहीं होगी, क्योंकि ब्राउनफील्ड विस्तार बोकारो स्टील प्लांट के मौजूदा परिसर में ही किया जाएगा।
सूचनाजी न्यूज़, बोकारो। स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (Steel Authority of India Limited) बोकारो को लेकर सख्त रुख अपना चुका है। बोकारो स्टील प्लांट प्रोजेक्ट पर अब तक कोई फैसला नहीं हो सका।
बोकारो स्टील प्लांट (Bokaro Steel Plant) के आधुनिकीकरण और विस्तारीकरण परियोजना (Modernization and Expansion Project) की गेंद झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Chief Minister Hemant Soren) के पाले में डाल दी गई है। अप्रैल में हुई हिंसा की वजह से सेल प्रबंधन ने बोकारो स्टील प्लांट के प्रोजेक्ट को ठंडे बस्ते में डाल दिया है।
जब तक सरकार की तरफ से कोई मदद नहीं मिलती, तब तक यहां किसी तरह का प्रयास होता नहीं दिख रहा है। विस्थापितों द्वारा नौकरी की मांग आदि विषयों को लेकर बोकारो स्टील प्लांट का गेट जाम करने, करोड़ों के नुकसान और उथल-पुथल से कंपनी दहल चुकी है। अगर, प्रोजेक्ट कहीं और गया तो इसका नुकसान बोकारोवासियों को होगा। बीएसएल पर निभर उद्योग और कारोबार को भी प्रभावित होना पड़ेगा। विकास के बजाय विनाशा से सामना हो सकता है।
हिंसा के समय पुलिस-प्रशासन के रवैये को लेकर भी सवाल उठाए गए थे। मदद के बजाय सीधेतौर पर आरोपी बना दिया गया था। वहीं, आंदोलनकारी अपने पक्ष में मजबूती से दावा करते हैं। प्रबंधन को ललकार रहे हैं।
बीएसएल का प्रोजेक्ट Bhilai Steel Plant आएगा या नहीं, तय नहीं
सेल प्रबंधन का कहना है कि ऐसे बिगड़े माहौल में पैसा फंसाना उचित नहीं है। इसलिए बीएसएल प्रोजेक्ट को रोक दिया गया है। साथ ही अब तक यह भी फाइनल नहीं हुआ है कि बीएसएल के प्रोजेक्ट को भिलाई स्टील प्लांट (Bhilai Steel Plant) शिफ्ट कर दिया जाए या नहीं।
सच्चाई यह है कि अभी राज्य सरकार पर नज़र रखी जा रही है कि कहां तक और कितनी मदद मिलेगी। अगर, सकारात्मक रिजल्ट नहीं आया तो बोकारो का हक भिलाई आना तय है।
25000 करोड़ का निवेश
बता दें कि सेल द्वारा बोकारो इस्पात संयंत्र के आधुनिकीकरण और ब्राउनफील्ड विस्तार के माध्यम से बोकारो में लगभग 25000 करोड़ रुपये के निवेश का अनुमान लगाया गया है, जो फिलहाल, अधर में लटका हुआ है।
जन सुनवाई तक हो चुकी थी
सेल (SAIL) के बोकारो स्टील प्लांट के आधुनिकीकरण और विस्तारीकरण परियोजना को मूर्त रूप देने की प्रक्रिया शुरू हो गई थी। टेंडर होने जा रहा था। झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने बोकारो में सेल/बोकारो इस्पात संयंत्र के मौजूदा 5.77 एमटीपीए से 9.10 एमटीपीए हॉट मेटल और 5.006 एमटीपीए से 8.806 एमटीपीए क्रूड स्टील के प्रस्तावित विस्तार-सह-आधुनिकीकरण के लिए 15 जुलाई को बोकारो क्लब में एक लोक सुनवाई आयोजित की थी।
मेनका, निदेशक परियोजनाएं, भूमि एवं पुनर्वास, बोकारो ने बैठक की अध्यक्षता की। झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, रांची से गीता एक्का और झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, धनबाद से विवेक कुजूर ने जन सुनवाई तक हो चुकी थी।
अब आगे क्या उम्मीद है…
बोकारो स्टील प्लांट के जानकार बताते हैं कि नकारात्मकता को छोड़ देना चाहिए। सकारात्मक दिशा में बोकारो का फैसला होना चाहिए। बीएसएल प्रबंधन और शहर वाले तालमेल बनाकर आगे बढ़ सकते हैं।
बोकारो स्टील प्लांट के कार्यवाहक डायरेक्टर इंचार्ज आलोक वर्मा पर भी नजर टिकी हुई है कि क्या वह इस मुहिम पर कुछ प्रयास करेंगे? अगर, ऐसा होता है तो बोकारो का प्रोजेक्ट बच जाएगा। अन्यथा बोकारो को भारी नुकसान होगा।
किसी भूमि अधिग्रहण की आवश्यकता नहीं
प्लांट के लिए किसी भूमि अधिग्रहण की आवश्यकता नहीं होगी, क्योंकि ब्राउनफील्ड विस्तार बोकारो स्टील प्लांट के मौजूदा परिसर में ही किया जाएगा। लोक सुनवाई में बोकारो जिले के 200 से अधिक निवासियों ने भाग लिया था और लोक सुनवाई के दौरान रोजगार, टाउनशिप, पर्यावरण संरक्षण, विस्थापन आदि से संबंधित विभिन्न पहलुओं पर अपने प्रश्न व सुझाव रखे थे।