- ज्ञात हो कि असीमित ग्रेच्युटी का लाभ हमें 1970 में त्रिपक्षीय वार्ता समिति में हुए समझौते के आधार पर मिल रहा था,
सूचनाजी न्यूज, भिलाई। संयुक्त ट्रेड यूनियन मोर्चा (United Trade Union Front) के साथी इंडिया गठबंधन के प्रत्याशी राजेंद्र साहू के समर्थन में गेट पर पर्चा बांटने के दौरान यह सवाल उठाया कि लगभग 52 साल से सेल के कर्मियों को प्राप्त असीमित ग्रेच्युटी के लाभ को सीलिंग क्यों किया गया। दुर्ग लोकसभा के सांसद एवं स्टील स्टैंडिंग कमेटी के सदस्य विजय बघेल जवाब दें, क्योंकि भिलाई इस्पात संयंत्र उनके संसदीय क्षेत्र में आता है।
इसीलिए इस्पात कर्मियों पर केंद्र सरकार (Central Government) द्वारा थोपी गई शर्तों एवं लागू हो रही मजदूर विरोधी नीतियों पर जवाब देना उनकी जिम्मेदारी है, जिससे वे लगातार बच रहे हैं।
ग्रेच्युटी एक्ट बनने से पहले से सेल कर्मियों को प्राप्त हुआ था असीमित ग्रेच्युटी का अधिकार
ग्रेच्युटी एक्ट 1972 में बना। किंतु ग्रेच्युटी एक्ट बनने से काफी पहले इस्पात कर्मियों को 28 अक्टूबर 1970 को तत्कालीन हिंदुस्तान स्टील लिमिटेड अर्थात वर्तमान में स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड के मजदूर प्रतिनिधि, प्रबंधन प्रतिनिधि एवं केंद्रीय श्रम मंत्रालय के श्रम विभाग के प्रतिनिधियों के बीच ग्रेच्युटी को लेकर त्रिपक्षीय वार्ता संपन्न हुई।
जिसमें ग्रेच्युटी को लेकर फार्मूला तैयार किया गया जिसके तहत कर्मियों के सेवानिवृत होते समय उनके सेवा काल के आधार पर गणना करके गणना अनुसार असीमित ग्रेच्युटी देने का प्रावधान किया गया इस तरह कर्मियों के प्रतिनिधियों ने लंबे संघर्ष के बाद असीमित ग्रेच्युटी का लाभ प्राप्त किया था।
ज्ञात हो कि इस समझौता के 2 साल बाद केंद्र सरकार ने संसद में पेमेंट आफ ग्रेच्युटी एक्ट बनाया, इस एक्ट में भी असीमित ग्रेच्युटी देने का प्रावधान किया गया जिसमें यह प्रावधान है कि यदि किसी उद्योग में प्रबंधन और यूनियन के बीच द्विपक्षीय समझौता द्वारा बेहतर (कानून में बनाए गए फॉर्मूला से अधिक) अधिक ग्रेच्युटी मिल रहा है तो वह मिलता रहेगा। सेल कर्मियों को मिलने वाले असीमित ग्रेच्युटी को कानूनी समर्थन प्राप्त था।
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केंद्रीय इस्पात मंत्रालय के अनुशंसा से हुई ग्रेच्युटी सीलिंग
22 अक्टूबर 2021 को सेल प्रबंधन ने वेतन वार्ता के ठीक बाद ग्रेच्युटी सीलिंग करने संबंधी सर्कुलर 26 नवंबर 2021 को जारी किया। इस सर्कुलर में स्पष्ट रूप से दर्ज है कि केंद्रीय इस्पात मंत्रालय के अनुशंसा पर ग्रेच्युटी को सीलिंग किया जा रहा है।
ज्ञात हो कि असीमित ग्रेच्युटी का लाभ हमें 1970 में त्रिपक्षीय वार्ता समिति में हुए समझौते के आधार पर मिल रहा था, जिसे सरकार के अनुशंसा पर एक तरफा खारिज करना न केवल असंवैधानिक है बल्कि मजदूर विरोधी कदम है जिसके लिए मौजूदा केंद्र सरकार ही दोषी है।
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ग्रेच्युटी सीलिंग क्यों हुआ जवाब दो
सीटू के अध्यक्ष विजय कुमार जांगड़े ने कहा कि 9 वें वेतन समझौता संपन्न होते समय सेल प्रबंधन ने इस बात को कहा था कि मौजूदा केंद्र सरकार यह सवाल कर रही है कि जब सभी सार्वजनिक उद्योगों में सीलिंग ग्रेच्युटी मिलता है तो फिर सेल में असीमित ग्रेच्युटी क्यों दिया जाता है अर्थात 2014 की नवगठित मौजूदा सरकार सेल में भी ग्रेच्युटी सीलिंग करने के लिए दबाव बना रहा था जो दसवें वेतन समझौता संपन्न होने के साथ ही एनजेसीएस में कोई चर्चा किए बिना एक तरफा आदेश निकालकर ग्रेच्युटी को सीलिंग कर दिया।
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स्टील के स्थाई समिति के सदस्य एवं दुर्ग जिला के सांसद यह जवाब दे कि उन्होंने स्टील के स्थाई समिति में होने के नाते इस सीलिंग को रोकने के लिए कोई उचित कदम क्यों नहीं उठाया। अब किस नाते फिर से संयंत्र के स्थाई एवं अस्थाई कर्मियों का नेतृत्व करने के लिए वोट मांग रहे हैं।
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