- घरों में घुसा पानी, सांसद, राहगीर और बीएसपी कर्मचारी कर्मचारी करते रहे सफाई।
अज़मत अली, भिलाई। सेक्टर 4 (Sector 4) में मंगलवार सुबह हुए 24 लाख लीटर की पानी टंकी हादसा (Water Tank Accident) ने सारा पोल खोलकर रख दिया है। पानी टंकी मरम्मत के नाम पर थूक पानी किया गया था। धराशाही टंकी के मलबे गवाही दे रहे हैं कि उनके साथ किस तरह का बर्ताव किया गया था।
नगर सेवाएं विभाग (City Services Department) ने खानापूर्ति की थी। जंग खाई सरिया जमीन पर आ चुकी है। टंकी से झरने की तरह से गिरने वाले पानी को रोकने के नाम पर जिस तरह का प्लास्टर किया गया, वह सच्चाई भी उजागर हो चुकी है। ध्वस्त पानी टंकी को देखने वालों की भीड़ उमड़ी थी। हर कोई खामियों और लापरवाही पर प्रबंधन को कोसता दिखा।
भीड़ के बीच से ही लोग मदद के लिए भी आगे आए। सड़क पर बिखरे मलबा को हटाने में मदद की। टंकी का पानी सड़क पर बहने की वजह से घरों में घुसा और मलबा बिखरा रहा। सड़क पर बिखरे ईंट-पत्थर को हटाने का काम सबसे पहले क्षेत्रीय नागरिक विजय ने शुरू किया।
अकेले ही पत्थरों को किनारे फेंकने में जुट गए। ये देख छात्र नेता नितेश मिश्र ने भी हाथ लगाया। तब तक सांसद विजय बघेल (MP Vijay Baghel) भी फावड़ा लेकर मिट्टी हटाने में जुट गए। भिलाई भाजपा अध्यक्ष बृजेश बिचपुरिया (Bhilai BJP President Brijesh Bichpuria) भी एक लकड़ी के सहारे मिट्टी धकेलते दिखे। साथ ही कार्यकर्ता भी मौका हाथ से नहीं जाने दिया।
सूचनाजी.कॉम में सबसे पहले खबर प्रसारित होते ही भिलाई स्टील प्लांट (Bhilai Steel Plant) के अलावा सेल (SAIL) की अन्य इकाइयों में भी हड़कंप मच गया। सोशल मीडिया पर छाया रहा। बोकारो स्टील प्लांट के कर्मचारियों का भी दर्द छलक उठा और सेल प्रबंधन को लपेटे में लिया।
बीएसपी (BSP) की घटना पर चिंता जाहिर करते हुए बीएसएल कर्मचारियों (BSL Employees) ने सोशल मीडिया पर लिखा-Suchnaji.com के माध्यम से समाचार पढ़कर मन विचलित हो उठा,होना भी स्वाभाविक है,समाचार है ही कुछ ऐसा। आप सोचो ये इस्पात श्रमिकों तथा उनके आश्रितों के लिए किस प्रकार से बुनियादी सुविधाओं से वंचित या यूं कहें तो बुनियादी सुविधाओं की अनदेखी है।
सेल की द्वाजवाहक इकाई का दर्जा प्राप्त अंतराष्ट्रीय स्तर (International Level) का संयंत्र,निर्वाचित यूनियन,निर्वाचित जनप्रतिनिधि, सभी की जिम्मेवारी पर ये प्रश्न चिन्ह है कि आखिर किसी को क्यों नहीं दिखी ये समस्या? यदि समय रहते ही ये दिख जाती तो क्या ये दुर्घटना घटित होती?
आज जिस प्रकार से पानी की टंकी (Water Tank) टूटी,वैसे ही आए दिन श्रमिकों के जर्जर आवास भी अनुरक्षण के अभाव में क्षतिग्रस्त होकर कर्मियों तथा उनके परिवार को नुकसान पहुंचाती है। फिर भी किसी को फर्क नहीं पड़ता?
इस अमृत काल में जिन श्रमिकों के सहयोग से हमने राष्ट्रीय स्तर का संयंत्र निर्माण कर निर्बाध देश सेवा के लिए इस्पात निर्माण कर, हर एक काम देश के नाम करने वाले इस्पात श्रमिकों के साथ उनकी ऐसी दुर्दशा के जिम्मेवार कौन? संयंत्र से लेकर आवास तक आए दिन कुछ न कुछ दुर्घटना घटित होती रहती है।
संयंत्र में खून पसीना बहाने के बाद श्रमिक अपने घरों में भी सुकून से नहीं रह पा रहे हैं। आखिर कब तक ऐसी दुर्घटनाओं का साक्षी बनता रहेगा इस्पात श्रमिक?