- पेंशनभोगी ने लिखा-मोदी जी, यह गलत प्राथमिकताओं का मामला है।
- यदि राष्ट्र-निर्माताओं को उचित सम्मान नहीं दिया गया, तो…।
- और अधिक चुनावी पराजय के लिए तैयार रहें।
- आगे और भी झटके और निराशाएं आएंगी।
सूचनाजी न्यूज, छत्तीसगढ़। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (Employees Provident Fund Organization), कर्मचारी पेंशन योजना 1995 (Employees Pension Scheme 1995) और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) पर आधारित यह रिपोर्ट पेंशनभोगियों के मन की बात है।
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ईपीएस 95 (EPS 95) के तहत न्यूनतम कर्मचारी पेंशन (Employees Minimum Pension) के लिए दर-दर भटक रहे पेंशनरों ने ईपीएफओ (EPFO), भारतीय क्रिकेट टीम (Indian Cricket Team) और वर्ल्ड कप जीतने (World Cup Cricket Tournament) पर दिए गए पुरस्कारों की राशि एव पेंशनर्स की मांग पर दिल खोलकर अपना पक्ष रखा है।
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पेंशनर्स के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर एडमिन गौतम चक्रवर्ती लिखते हैं कि हमें उन युवा लड़कों और लड़कियों पर गर्व है, जो खेल के मैदान में पसीना बहा रहे हैं। और हमारे देश को गौरवान्वित कर रहे हैं। भारत को दुनिया की खेल राजधानी बनाने का मोदी जी का सपना तेजी से साकार होने की ओर अग्रसर है।
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न्यूनतम ईपीएस 95 मासिक पेंशन 7500 रुपये+डीए+मुफ्त चिकित्सा
वास्तव में, खिलाड़ी युवाओं के आदर्श और संभावित प्रेरक हैं। यह भारत सरकार द्वारा टी 20 विश्व कप टीम को दिए गए सम्मान को सही ठहराता है। हम बारबाडोस में उनकी जीत का तहे दिल से जश्न मना रहे हैं।
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लेकिन मुझे क्रिकेट टीम को दिए गए 125 करोड़ रुपये के मौद्रिक पुरस्कारों की संख्या पर दुख हुआ है। हमारे अपने योगदान से न्यूनतम ईपीएस 95 मासिक पेंशन 7500 रुपये+डीए+मुफ्त चिकित्सा देखभाल की हमारी उचित मांगों की अनदेखी करना उन राष्ट्र-निर्माताओं का अपमान है, जिन्होंने अपने युवा दिनों में निजी स्कूलों के शिक्षकों और विभिन्न उत्पादन और सेवा क्षेत्रों में श्रमिकों के रूप में वर्षों तक कड़ी मेहनत की।
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पांच अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था के लक्ष्य की ओर
राष्ट्र की आर्थिक प्रगति हमारी मेहनत और दिमाग की मेहनत से ही संभव हुई है। खेल, संस्कृति और मनोरंजन के क्षेत्र में भी इसी तरह की गतिविधियां हो रही हैं। प्रधानमंत्री जी, हमारे ही हाथों ने राष्ट्र को विकास की राह पर आगे बढ़ाया है, जिससे हम पांच अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था के लक्ष्य की ओर बढ़ रहे हैं।
सम्मानजनक बुढ़ापे की उम्मीद में गुमनामी में मर जाता है?
खेल जगत के सितारों के विपरीत, हमारे प्रयासों पर किसी का ध्यान नहीं जाता, क्योंकि उनमें जन-आकर्षण, आकर्षण और आकर्षण की कमी होती है। दुर्भाग्य से, चमक-दमक लोगों का ध्यान खींचती है।
और बुजुर्ग नागरिकों की कौन परवाह करता है- डूबता हुआ सूरज? कौन परवाह करता है कि वह अपने जीवन के उत्पादक चरण में मेहनत के बदले सम्मानजनक बुढ़ापे की उम्मीद में गुमनामी में मर जाता है?
राष्ट्र-निर्माताओं को उचित सम्मान नहीं दिया गया, तो
मोदी जी, यह गलत प्राथमिकताओं का मामला है। यदि राष्ट्र-निर्माताओं को उचित सम्मान नहीं दिया गया, तो और अधिक चुनावी पराजय के लिए तैयार रहें। आगे और भी झटके और निराशाएँ आएंगी।