
- एनएसी आंदोलन, इसके नेतृत्व, ईपीएफ पेंशनभोगियों के जबरदस्त समर्थन, सांसदों के समर्थन के लिए शुभकामनाएं दी जा रही।
सूचनाजी न्यूज, दिल्ली। कर्मचारी पेंशन योजना 1995 (Employee Pension Scheme 1995) के तहत न्यूनतम पेंशन मामले में पेंच फंसा हुआ है। सरकार और कर्मचारी भविष्य निधि संगठन-ईपीएफओ (Employees Provident Fund Organisation (EPFO)) तक मामला घूम रहा है। वहीं, न्यूनतम पेंशन के मामले में न्यायालय में कोई मामला नहीं है।
पेंशनभोगी Ramakrisha Pillai का कहना है कि मुझे लगता है कि ऐसे मामलों में न्यायालय का कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है। कार्यपालिका को ही इस मामले में निर्णय लेना है। मैं इस मामले पर निश्चित रूप से कुछ नहीं कह सकता, क्योंकि मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद, संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत कुछ मामलों में कानून बनाने की शक्ति सर्वोच्च न्यायालय के पास है।
उन्होंने कहा-गूगल पर मेरी खोज से पता चलता है कि सर्वोच्च न्यायालय के पास कानून बनाने की शक्ति नहीं है, लेकिन कुछ मामलों में पूर्ण न्याय करने के लिए आदेश पारित करने की शक्ति है। न्यूनतम पेंशन मामले में सर्वोच्च न्यायालय तक कोई मामला नहीं पहुंचा है। कानून के तहत सौंपी गई शक्तियों के अनुसार कानून बनाना विधायिका या कार्यपालिका का कर्तव्य है।
वहीं, पेंशनर अरुणाचलम लक्ष्मणन ने कहा-एनएसी आंदोलन, इसके नेतृत्व, ईपीएफ पेंशनभोगियों के जबरदस्त समर्थन, सांसदों के समर्थन के लिए शुभकामनाएं। मैं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू से आग्रह करता हूं कि वे इस मामले में प्रधानमंत्री से लिखित अनुरोध करें।
विलास पेडणेकर ने भी पेंशन पर खुलकर मन की बात की। उन्होंने कहा-हमारा हीमैन कमांडर अशोक राऊत जिंदाबाद। सभी एडमिन और समिति के सभी सदस्य जिंदाबाद।
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