Employees Provident Fund Organization: ईपीएस 95 पेंशन का न्याय-अन्याय सबकुछ EPFO के रहम-ओ-करम पर

Employees Provident Fund Organization, Justice and injustice, everything is now at the mercy of EPFO
ईपीएफओ ने डिमांड की रकम स्वीकार किए जाने के बाद लंबे समय तक अपने पास रखा और बिना ब्याज के लौटा दिया। विवाद अब भी बना है।

EPFO के प्रशासनिक निर्देशों, शंकाओं से दूर रहें कि उन्हें कोर्ट आदेश से उच्च पेंशन मिल सकती या नहीं।

सूचनाजी न्यूज, रायपुर। सर्वोच्च न्यायालय के उच्च पेंशन के मुद्दे पर 4 अक्टूबर 2016 और 4 नवंबर 2022 को दिए फैसले पर देश भर के विद्धवान वकीलों और सेवनिवृतों के शीर्ष नेताओं की काफी राय सामने आ चुकी है। ओपिनियन पर लंबी लंबी बातें सुन सुन कर सभी थक गए, पर कुछ समझ नहीं आया।

ईपीएस 95 पेंशन राष्ट्रीय संघर्ष समिति रायपुर के अध्यक्ष अनिल कुमार नामदेव का कहना है कि वैसे तो कहा जाता है कि न्यायालयों के फैसले इतनी सरल और सुलभ भाषा में लिखा जाना चाहिए,जिसे हर कोई आसानी से समझ सके।

पर इतने बड़ी संख्या में लोगों की राय आतीं हो तो कहा जा सकता है कि ऐसे फैसलों में जरूर कुछ न कुछ पेंच रह ही जाते होंगे, जिसे समझने के लिए लोगों को दोबारा कोर्ट के ही शरण जाने की मजबूरी पेश हो जाती है।

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अच्छा हो कि सेवानिवृत्त बंधु, EPFO के प्रशासनिक निर्देशों के आने के पहले, किसी प्रकार की शंकाओं से दूर रहें कि उन्हें कोर्ट आदेश से उच्च पेंशन मिल सकती या नहीं। अब ये ओपिनियन देने लेने के सिलसिले को बंद होना चाहिए। इससे अनावश्यक असंतोष और भरम की स्थिति सर्वत्र व्याप्त देखी जा रही है।

आज भी क्या सुप्रीम कोर्ट और क्या हाई कोर्ट, उच्च पेंशन को लेकर अनेकों प्रकरण पर सुनवाई पर तारीख का दौर बद्दस्तूर जारी है। किसी को सभी औपचारिकताओं की पूर्ति करने के बाद भी EPFO द्वारा डिमांड नोटिस जारी नहीं किया गया। जिनको जारी किया गया, उनसे भारी रकम जमा कर ली गई,पर उच्च पेंशन जारी नहीं किया गया।

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बिना ब्याज का पैसा ईपीएफओ ने लौटाया

किसी की तो डिमांड की रकम स्वीकार किये जाने के बाद,लंबे समय तक अपने पास रखने के बाद बिना ब्याज के लौटने की बात सामने आई है। किसी को नियम 11(3), तो किसी को 26(6) का अनुपालन नहीं किये जाने का आधार ले कर उच्च पेंशन की पात्रता से ही वंचित कर दिया गया।

पेंशन आंदोलन के योद्धा

पेंशन आंदोलन के योद्धाओं में शामिल अनिल रामदेव ने कहा-EPS 95 के नियमों में सर्वोच्च न्यायालय के आदेश आने के बाद संसोधन किया जाना,और न जाने ऐसे कितने ही कारण देखने में आयें हैं, जिससे न केवल 2014 से पहले सेवनिवृतों को सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों का कोई लाभ मिल पा रहा है। न ही 2014 के बाद सेवनिवृत्तों को लाभ मिल पा रहा है।

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जिन्हें जो भी लाभ यदि अब मिलने की आशा की जा सकती है तो सब EPFO के रहम-ओ-करम पर ही आश्रित होनी है। यदि नहीं तो कोर्ट के दरवाजे तो आपके लिये पहले से ही खोल कर रखे हुए हैं। वैसे सरकार के पास गुहार लगाने का आपके पास कोई कारण भी नहीं है। सब कानून से उतने ही बंधे हुए हैं जितने कि आप।

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