केंद्र सरकार की चौखट पर हाजिरी और आश्वासन से थक चुके ईपीएस 95 पेंशनभोगी, अब बजट तक इंतजार

EPS 95 pensioners are tired of attendance and assurance at the doorstep of the Central Government, now waiting till the budget
श्रम एवं रोजगार मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने 29 नवंबर को कमांडर राउत और एनएसी के अन्य नेताओं को आश्वासन दिया था।
  • वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 2025-2026 का बजट पेश करेंगी। अगर मांगें पूरी होती हैं तो ठीक है। अन्यथा मायूसी के अलावा कोई चारा नहीं।

सूचनाजी न्यूज, दिल्ली। श्रम एवं रोजगार मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने 29 नवंबर को कमांडर राउत और एनएसी के अन्य नेताओं को आश्वासन दिया कि मंत्रालय न्यूनतम ईपीएस 95 पेंशन बढ़ाने की दिशा में लगातार काम कर रहा है।

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नेताओं से योजनाबद्ध आंदोलन वापस लेने का आग्रह किया गया, क्योंकि यह मुद्दा पहले से ही मंत्रालय के सक्रिय विचाराधीन था और वरिष्ठ नागरिकों के विरोध प्रदर्शन से मंत्रालय की छवि खराब हो रही थी।

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पेंशनभोगी गौतम चक्रवर्ती कहते हैं कि मांडविया की उन्हें कुछ समय देने की इच्छा का सम्मान करते हुए कमांडर सर ने मकर संक्रांति, 2025 तक आंदोलन के कार्यक्रम को स्थगित कर दिया है। बेशक, महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस द्वारा एनएसी नेताओं को दिए गए आश्वासन कि वे हमारे मामले को पीएम के सामने उठाएंगे, ने स्पष्ट रूप से इस निर्णय को प्रभावित किया।

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फिर राज्यसभा से खबर आती है। ईपीएस 95 पेंशनधारकों की मांगों से संबंधित सांसद असदउद्दीन ओवैसी द्वारा उठाए गए सवालों के लिखित जवाब में बताया गया कि ईपीएफओ के पास बढ़ोतरी पर विचार करने के लिए कोई फंड नहीं है।

वित्त मंत्रालय ने पहले न्यूनतम पेंशन को दोगुना करके दो हजार रुपये करने के प्रस्ताव को खारिज कर दिया था। अब किस पर भरोसा करें-मंत्रियों पर या संसद पर? यह एक दुविधा वाली स्थिति है।

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सरकार के पास मुफ्त बांटने के लिए बहुत कुछ है। कई ईपीएस 95 पेंशनधारक और उनके परिवार इसके लाभार्थी हैं। वरना, एनडीए हरियाणा और महाराष्ट्र में इतनी आसानी से कैसे जीत सकती है?

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कई लोग हो सकते हैं, जिन्हें सरकारी मुफ्त सुविधाओं का लाभ नहीं मिला है। आइए 1 फरवरी 2025 तक इंतजार करें जब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 2025-2026 का बजट पेश करेंगी। अगर मांगें पूरी होती हैं तो ठीक है।

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अगर फिर से नजरअंदाज किया गया तो इसका मतलब या तो यह होगा कि मनसुख मंडाविया मदद करने की कोशिश में विफल रहे या फिर अपने बदनाम पूर्ववर्तियों सुरेश गंगवार और भूपिंदर सिंह यादव की तरह उन्होंने भी कमांडर सर और अन्य एनएसी नेताओं के सामने लालच दिखाया और हमारे साथ विश्वासघात किया।

ऐसी स्थिति में सबसे अच्छा तरीका यही होगा कि हम अपने अच्छे मित्र करनैल पाल सिंह की व्यावहारिक सलाह मानें। सरदार जी ने हमें सलाह दी थी, ‘गरीबी में जीना सीख लो।’

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