
- भारत के श्रम बाजार संकेतकों में हाल ही के कुछ वर्षों में काफी सुधार हुआ है-आर्थिक सर्वेक्षण 2024।
- महिला श्रम कार्यबल सहभागिता दर 2017-18 के 23.3 प्रतिशत से बढ़कर वित्त वर्ष 2023-24 में 41.7 प्रतिशत हो गई।
- आर्थिक सर्वेक्षण में व्यापार वृद्धि को बढ़ाने के लिए श्रम-नियमन माहौल बनाने, रोजगार सृजन और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने की बात कही गई है।
- महिला उद्यमित्ता देने के लिए वित्तीय सहायता, प्रशिक्षण और उचित मार्ग दर्शन।
- डिजिटल अर्थव्यवस्था और अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में रोजगार सृजन को बढ़ावा देने के अनेक अवसर।
- सरकार कौशल विकास के लिए एक उचित माहौल और लचीली प्रक्रिया स्थापित कर रही है
सूचनाजी न्यूज, दिल्ली। केंद्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री निर्मला सीतारमण (Union Finance and Corporate Affairs Minister Nirmala Sitharaman) ने संसद में आर्थिक समीक्षा 2024-25 पेश करते हुए कहा कि भारत के श्रम बाजार संकेतकों में हाल ही के वर्षों में काफी सुधार हुआ है जो कोरोना महामारी के बाद हुए मजबूत सुधार और बढ़ती सामान्य स्थिति से प्रेरित है।
आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण के अनुसार भारत में बेरोजगार दर में काफी गिरावट आई है और श्रम बल भागीदारी एवं श्रमिक जनसंख्या अनुपात में सकारात्मक रुझान भी देखने को मिले हैं। इसके अतिरिक्त डिजिटल अर्थव्यवस्था और अक्षय ऊर्जा जैसे क्षेत्र उच्च गुणवत्ता वाले क्षेत्र सृजित करने की व्यापक संभावना प्रदान करते हैं जो विकसित भारत के दृष्टिकोण को प्राप्त करने लिए आवश्यक है।
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श्रम बाजार के महत्वपूर्ण संकेतक इस प्रकार हैं:-
-भारत में 15 वर्ष और उससे अधिक आयुवर्ग के लोगों की बेरोजगारी दर में काफी गिरावट आई है जो वित्त वर्ष 2017-18 के 6 प्रतिशत की तुलना में वित्त वर्ष 2023-24 में घटकर 3.2 प्रतिशत रह गई।
-वित्त वर्ष 2019 में ईपीएफओ से जुड़े लोगों की संख्या 71 लाख थी जो वित्त वर्ष 2024 में दोगुना बढ़कर 131 लाख हो गई है। यह रोजगार के क्षेत्र में सामान्यीकरण को दर्शाता है।
-कुल पेरोल वर्ग में 29 वर्ष से कम आयु वर्ग में लगभग 61 प्रतिशत लोगों का जुड़ना इस बात का प्रतीक है कि संगठित क्षेत्र में युवाओं को रोजगार के नए अवसर मिल रहे हैं।
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-श्रम बल में स्वरोजगार श्रमिकों की संख्या 2017-18 में 52.2 प्रतिशत थी जो वित्त वर्ष 2023-24 में बढ़कर 58.4 प्रतिशत हो गई है जो इस बात का प्रतीक है कि देश में उद्यमिता संबंधी गतिविधियां बढ़ रही हैं और लचीले कार्य के प्रति रूझान बढ़ रहा है।
-आकस्मिक कार्यबल की संख्या 24.9 प्रतिशत से घटकर 19.8 प्रतिशत का होना इस बात का प्रतीक है कि स्वरोजगार के क्षेत्र में अधिक संगठित प्रकियागत बदलाव दर्शाता है।
-वित्त वर्ष 2023 के वार्षिक औद्योगिक सर्वेक्षण दर्शातें हैं कि पिछले वित्त वर्ष की तुलना में रोजगार में 7 वर्ष से अधिक की वृद्धि हुई है। यह इस बात को भी रेखांकित करता है कि वित्त वर्ष 2023 (महामारी पूर्व स्तर) की तुलना में वित्त वर्ष 2023 में 22 लाख से अधिक रोजगारों में बढ़ोत्तरी हुई है।
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-महिला श्रम भागीदारी दर (एफएलएफपीआर) वित्त वर्ष 2017-18 में 23 प्रतिशत से बढ़कर वित्त वर्ष 2023-24 में 41.7 प्रतिशत हो गई है। यह ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में विभिन्न वर्गों में आर्थिक गतिविधियों में महिलाओं की सहभागिता को दर्शाता है।
एआई संबंधी कौशल
उद्योग जगत की विभिन्न मांगों और उनके अनुरूप कार्यबल को प्रशिक्षण देने के लिए एक बहुआयामी कौशल विकास की रणनीति अपनाने की आवश्यकता है। यह नई पहल विशेष कार्यों और रोजगार भूमिकाओं के लिए विशेष रूप से प्रशिक्षित कार्यबल, श्रमिकों के विशेष रूप से चयनित समूहों और एआई संबंधी कौशल को शामिल कर सकती है।
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इन कौशल क्षमताओं को श्रमिकों की आवश्यकताओं और आकांक्षाओं के अनुरूप बना कर यह रणनीति रोजगार क्षेत्र में बदलते परिदृश्य और बदलती मांगों के अनुरूप बेहतर कार्यबल तैयार कर सकती है। यह बहुस्तरीय पहल लागत प्रभावी प्रशिक्षण की अनुमति प्रदान करती है।
पीएम इंटर्नशिप योजना
आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि उद्योग के लिए पूर्ण रूप से तैयार कार्यबल बनाने, कंपनियों (पीएम इंटर्नशिप योजना) और कौशल विकास तथा व्यवसायिक प्रशिक्षण के लिए सार्वजनिक-निजी सहभागिता की लम्बे समय तक आवश्यकता होगी। उच्च गुणवत्ता युक्त और वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी कार्यबल तैयार करने संबंधी उपयुक्त कौशल वातावरण तैयार करने से भारत वैश्विक रोजगार क्षेत्र में अपने युवाओं के लिए रोजगार के अवसरों को बढ़ा सकता है।