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बिना शर्त रजिस्ट्रेशन या हुडको की तरह रजिस्ट्री कराकर दिखाएं सीएम भूपेश बघेल: प्रेम प्रकाश पांडेय

बिना शर्त रजिस्ट्रेशन या हुडको की तरह रजिस्ट्री कराकर दिखाएं सीएम भूपेश बघेल: प्रेम प्रकाश पांडेय
  • प्रेम प्रकाश पांडेय ने कांग्रेसियों पर कटाक्ष करते हुए कहा कि झूठ बोलना, भ्रम फैलाना इनका मिजाज है। लेकिन लीजधारक अपने विवेक से शर्तों को अध्ययन कर निर्णय़ लें।

सूचनाजी न्यूज, भिलाई। हाउसलीज के मुद्दे पर चल रही चर्चाओं के बीच प्रदेश के पूर्व केबिनेट मंत्री प्रेमप्रकाश पाण्डेय ने सोमवार को फेसबुक लाइव के माध्यम से अपनी बात रखी। उन्होंने लाइव के माध्यम से यह स्पष्ट किया कि रजिस्ट्रेशन पुरानी शर्तों का हो रहा है, जिसमें बीएसपी प्रबंधन और लीजधारक के मध्य किया गया एग्रीमेंट अब रजिस्टर हो गया है और जिसे मानने के लिए दोनों पक्ष बाध्य हो गए हैं।

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उन्होंने कांग्रेसियों पर कटाक्ष करते हुए कहा कि झूठ बोलना, भ्रम फैलाना इनका मिजाज है। लेकिन लीजधारक अपने विवेक से शर्तों को अध्ययन कर निर्णय़ लें। “बात भिलाई की” कार्यक्रम के तहत प्रेम प्रकाश पाण्डेय ने कहा कि लीज एग्रीमेंट के विषय पर बहुत सारे लोग जनता को गुमराह कर रहे हैं। जिन मुख्यमंत्री का गुणगान किया जा रहा है। ये वही भूपेश बघेल हैं, जिन्होंने राजस्व मंत्री रहते हुए 4500 परिवारों का लीज देने का पुरजोर विरोध किया था।

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भिलाई के विधायक कह रहे हैं कि घोषणा पत्र में किया हुए एक और वादा पूरा हुआ, जबकि फेस 6 की लीज का वादा वो तो अब भी अधूरा ही है। लीज एग्रीमेंट रजिस्ट्रेशन को स्पष्ट करते हुए श्री पाण्डेय ने कहा कि यह केवल बीएसपी प्रबंधन औऱ लीजधारकों के मध्य 20-22 वर्षों पूर्व हुई लीज एग्रीमेंट का शुल्क अदा कर किया हुआ रजिस्ट्रेशन है।

यह पहले स्टाम्प पेपर पर हुआ था लेकिन रजिस्टर होने के बाद लोग भ्रम फैला रहे हैं कि लीजधारकों को मालिकाना हक मिल गया जबकि ऐसा कुछ नहीं है। श्री पाण्डेय ने कहा कि रजिस्ट्रेशन केवल एग्रीमेंट के पेपर का हुआ है लेकिन मालिकाना हक अब भी बीएसपी प्रबंधन के पास है और लीजधारक के पास राइट टू एंजाय का अधिकार। जो कि वह पिछले 20-22 वर्षों से वैसे ही कर रहा था, उन्हें कोई भी नहीं भगा रहा था और न हटा सकता था।

श्री पाण्डेय ने कहा कि रजिस्ट्रार कार्यालय में रजिस्ट्रेशन के पश्चात इन शर्तों में लोक परिसर अधिनियम 1971 के तहत कानून भी लागू होगा जिसमें किसी भी प्रकार की विवाद की स्थिति में बीएसपी प्रबंधन का निर्णय ही अंतिम और मान्य होगा। वास्तव में डीड, एग्रीमेंट, इकरारनामा, अनुबंध सभी शब्दों के मायने एक ही हैं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यदि मालिकाना हक होता तो वह हुडको की तरह सेल (विक्रय) डीड होती।

प्रेम प्राकाश पाण्डेय ने कहा कि कांग्रेसी नेता जिस प्रकार से सीएम का गुणगान कर रहे हैं कि यह उनके कारण हो सका है तो मेरी मांग है कि सीएम बिना शर्तों के इस लीज एग्रीमेंट का पंजीयन कराएं ताकि सभी समस्याओं को अपने आप समाधान हो जाये। या फिर हुडको के समान रजिस्ट्री कर लोगों को मालिकाना हक दिलायें। उन्होंने कहा कि यदि मुख्यमंत्री ऐसा करते हैं हम स्वयं उनका गुणगान करेंगे, उनके इस प्रयास का स्वागत करेंगे।