- प्रधानमंत्री ने मौलाना आज़ाद को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि दी।
सूचनाजी न्यूज, दिल्ली। सुंदरलाल पटवा की जन्म-शताब्दी, आचार्य कृपलानी की जयंती और मौलाना आज़ाद की जयंती सोमवार को मनाई जा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) समेत कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने भी पर श्रद्धांजलि दी है।
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मौलाना अबुल कलाम आज़ाद या अबुल कलाम गुलाम मुहियुद्दीन का जन्म 11 नवंबर 1888 को हुआ था। 22 फरवरी 1958 को इंतकाल हो गया था। कवि, लेखक, पत्रकार और भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थे। महात्मा गांधी के सिद्धांतो का समर्थन करते थे। 1923 में वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सबसे कम उम्र के प्रेसीडेंट बने। वे 1940 और 1945 के बीच कांग्रेस के प्रेसीडेंट रहे। आजादी के बाद उत्तर प्रदेश के रामपुर से 1952 में सांसद चुने गए और वे भारत के पहले शिक्षा मंत्री बने।
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1940-45 के बीच भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष रहे, जिस दौरान भारत छोड़ो आन्दोलन हुआ था। कांग्रेस के अन्य प्रमुख नेताओं की तरह उन्हें भी तीन दिन जेल में बिताने पड़े थे।
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मौलाना आजाद को याद करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की। मोदी ने उन्हें ज्ञान का प्रतीक बताया और देश के स्वतंत्रता संग्राम में उनकी भूमिका की सराहना की।
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एक्स पर एक पोस्ट में उन्होंने लिखा: “मौलाना आज़ाद को आज उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित है। उन्हें ज्ञान के प्रतीक के रूप में और भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में उनकी भूमिका के लिए याद किया जाता है। वह एक गहन चिंतक और सृजनशील लेखक भी थे। हम एक विकसित और सशक्त भारत के लिए उनके विजन से प्रेरित हैं।”
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प्रधानमंत्री ने आचार्य कृपलानी को उनकी जयंती पर याद किया
जीवटराम भगवानदास कृपलानी (11 नवम्बर 1888-19 मार्च 1982) भारत के स्वतंत्रता संग्राम के सेनानी, गांधीवादी समाजवादी, पर्यावरणवादी तथा राजनेता थे।
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उन्हें सम्मान से आचार्य कृपलानी कहा जाता था। वे सन 1947 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष रहे, जब भारत को आजादी मिली। जब अंतरिम सरकार में 1946 में अध्यक्ष पद के लिए कांग्रेस में मतदान हुआ तोसरदार पटेल के बाद सबसे अधिक मत उनको ही मिले थे।
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कृपलानी ने 1977 में जनता सरकार के गठन में अहम भूमिका निभायी। कृपलानी गांधीवादी दर्शन के एक प्रमुख व्याख्याता थे और उन्होंने इस विषय पर अनेक पुस्तकें लिखीं। मौलिक अधिकारों की पुनः जांच-परख के लिए एक उपसमिति का गठन किया गया जिसकी अध्यक्ष जेबी कृपलानी थे।
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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने आचार्य कृपलानी को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की। एक्स पर अपने एक पोस्ट में, उन्होंने लिखा: “आचार्य कृपलानी को उनकी जयंती पर याद कर रहा हूं। वह भारत के एक महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और साथ ही बुद्धिमत्ता, अखंडता एवं साहस के प्रतीक थे। वह लोकतांत्रिक मूल्यों और सामाजिक न्याय के सिद्धांतों के प्रति गहराई से प्रतिबद्ध थे।
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भाजपा को बढ़ाने में सुंदरलाल पटवा का योगदान रहा
सुंदरलाल पटवा का जन्म मध्य प्रदेश के नीमच जिले के कुकड़ेश्वर गांव में 11 नवंबर 1924 को हुआ था। 1941 से इन्दौर राज्य प्रजा मण्डल एवं 1942 से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े। उसके बाद 1947 से 1951 तक संघ प्रचारक एवं 1948 से संघ आंदोलन में सात माह जेल यात्रा भी की। 1951 में जनसंघ की स्थापना के साथ ही इसके सक्रिय कार्यकर्ता रहे।
1957 से 1967 तक विधान सभा सदस्य एवं विरोधी दल के मुख्य सचेतक रहे। 1967 से 1974 तक जिला सहकारी बैंक के अध्यक्ष रहे। 1975 में म.प्र. जनसंघ के महामंत्री बने। आपातकाल के दौरान 27 जून, 1975 से 28 जनवरी, 1977 तक मीसा बंदी के रूप में जेल में रहे।
वे 20 जनवरी, 1980 से 17 फरवरी, 1980 तक पहली बार मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। उसके बाद सन 1990 के विधान सभा चुनाव में सदस्य निर्वाचित हुए एवं 5.3.1990 से 15.12.1992 तक मुख्यमंत्री रहे। 1993 में पुन: विधान सभा सदस्य के लिए निर्वाचित हुए। 1997 में छिंदवाड़ा से लोकसभा उपचुनाव में विजयी और वाजपेयी सरकार में दो साल मंत्री भी रहे।
पीएम मोदी ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में लिखा-भाजपा को सींचने और संवारने में अहम भूमिका निभाने वाले सुंदरलाल पटवा जी को उनकी जन्म-शताब्दी पर मेरा नमन।