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SAIL NJCS NEWS: बहुमत ने किया वेतन समझौते का बेड़ा गर्क, टूट रहा कर्मियों का विश्वास

SAIL NJCS NEWS: बहुमत ने किया वेतन समझौते का बेड़ा गर्क, टूट रहा कर्मियों का विश्वास
  • सेल में बहुमज के आधार पर समझौता करने पर सीटू का बयान।

सूचनाजी न्यूज, भिलाई। स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड-सेल (Steel Authority of India Limited-SAIL) के कर्मचारियों के बकाया 39 माह के एरियर को छोड़कर शेष कवायद हो रही है। कहीं विवाद तो कहीं बहुमत के साये में समझौता हो रहा है। बहुमत के आधार पर समझौता करने की परंपरा पर अब सवाल उठाया गया है। सीटू का कहना है कि बहुमत ने वेतन समझौते का बेड़ा गर्क किया है।

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हिंदुस्तान स्टील एम्पलाइज यूनियन (Hindustan Steel Employees Union) के सहायक महासचिव टी जोगा राव ने कहा कि 10वें वेतन समझौता में जब से बहुमत का खेल शुरू हुआ है, तभी से वेतन समझौता का बेड़ा गर्क होना शुरू हो गया। जब 30 जून की हड़ताल का आह्वान किया गया तो 1 दिन के लिए भी बैठक के लिए समय नहीं देने वाला प्रबंधन ने आनन फानन में 22 जून 2021 को एक दिन के लिए वर्चुअल मीटिंग बुलाई एवं 27 जून तक उस वर्चुअल मीटिंग को चलाता रहा।

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कर्मियों के गोलबंदी से घबराया हुआ प्रबंधन 6 दिन तक समाधान निकालने के लिए या यूं कहें कि हड़ताल को किसी भी सूरत में रोकने के लिए वर्चुअल मीटिंग चलाया। उस मीटिंग के दौरान पहली बार 15% एमजीबी पर अड़े रहने की बात करके बैठक में पहुंचे सभी यूनियनों में से चार यूनियनों ने 13% एमजीबी पर सहमति दे दिया एवं सर्वसम्मति की परंपरा को तोड़ दिया, तभी से बहुमत का खेल शुरू हुआ।

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बावजूद इसके प्रबंधन 30 जून की हड़ताल को रोक नहीं पाया। अंततः प्रबंधन के मजदूर विरोधी रवैया से नाराज कर्मियों ने चार राष्ट्रीय ट्रेड यूनियनों (National Trade Unions) एवं स्थानीय ट्रेड यूनियन (Local Trade Union) के आह्वान करने पर न केवल 30 जून की हड़ताल में भागीदारी किया, बल्कि उसे हड़ताल को अभूतपूर्व तरीके से सफल बनाया।

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सर्वसम्मति से हुए थे पिछले 9 वेतन समझौते

सीटू (CITU) के महासचिव जगन्नाथ प्रसाद त्रिवेदी ने कहा कि इस्पात उद्योगों के अंदर अब तक 9 वेतन समझौता संपन्न हो चुके हैं एवं 89 महीना से 10 वां वेतन समझौता पूर्ण होने का इंतजार किया जा रहा है। पिछले सभी 9 वेतन समझौते सर्वसम्मति से हुए हैं सभी वेतन समझौता में अलग-अलग यूनियन ने अलग-अलग मांग पत्र पेश करती हैं। किंतु वेतन समझौता संपन्न होते समय सर्वसम्मति का रास्ता अपनाया जाता था।

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किंतु पहली बार ऐसा हो रहा है कि प्रबंधन हर मुद्दे पर बहुमत का सहारा ले रहा है जबकि बहुमत जनता का नेतृत्व करने वाले यूनियन इस बहुमत के खेल से बाहर है यदि इस समझौता को सर्वसम्मति के आधार पर संपन्न नहीं कराया गया तो कर्मियों को बहुत ज्यादा नुकसान होगा

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30 जून की हड़ताल ना होती तो इसी तरह से बहाना बनाकर हर चीज को अटकाया जाता

सीटू (CITU) के केवेंद्र सुंदर ने कहा कि 30 जून की हड़ताल के पहले प्रबंधन के जो प्रस्ताव थे और प्रबंधन परस्त यूनियनों के प्रस्ताव थे उनको भी कर्मी भली भांति जानते हैं। लेकिन जैसे ही कर्मियों ने अपने हक एवं अधिकार की लड़ाई के लिए एकजुट होकर 30 जून की हड़ताल की उसके बाद प्रबंधन ने अगली बैठक में पुराने प्रस्ताव से हटकर नए प्रस्ताव पर आया और सीटू यह मानता है कि आज जो कर्मियों को मिल रहा है वह उस लड़ाई का ही परिणाम है एवं उन सभी कर्मियों को क्रांतिकारी अभिवादन करता है। वह सिर्फ और सिर्फ उन्हीं की बदौलत है एकजुता और संघर्ष का नतीजा है बाकी उसके बाद प्रबंधन आज तक कर्मियों को बहुमत का बहाना बनाकर कुछ भी नहीं दे रहा है। और प्रबंधन परस्त यूनियन पूर्व की तरह उनका बखूबी साथ दे रहे हैं।

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इसीलिए टूट रहा है कर्मियों का विश्वास

यूनियन नेता अशोक खातरकर ने कहा कि दिल्ली में बैठक के दौरान दस्तखत करने वाले यूनियन के प्रतिनिधि कर्मियों का गुस्सा देखकर बात बदल रहे हैं, जिसके चलते कर्मियों का विश्वास टूटता है। यह वही यूनियन है जो हड़ताल में भी अप्रत्यक्ष रूप से प्रबंधन के साथ खड़े रहे और हड़ताल तोड़ने का हर संभव प्रयास करते रहे और कहीं ना कहीं कर्मियों को नुकसान पहुंचाने में इनका हाथ रहा है।

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25% पर्क्स और 13% एमजीबी मांगा था। किंतु 30 जून के हड़ताल में तो साथ नहीं दिया किंतु हड़ताल के बाद एम ओ यू में 13% एमजीबी एवं 26.5% पर्क्स पर फिर से बहुमत बना लिएI इन्होंने अगर हड़ताल में साथ दिया होता तो और बहुत कुछ बदल सकता था लेकिन उन सब घटनाओं से सबक लेकर आज भी यह कर्मियों के साथ नहीं है आज भी यह अपना प्रबंधन परस्ती का उदाहरण पेश कर रहे हैं।

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