- दिसम्बर 2014 की कोयला, इस्पात तथा खान की स्थाई संसदीय समिति ने “सर्विस कंडीशन ऑफ स्टील पीएसयू एम्पलाइज” पर अमल करें।
सूचनाजी न्यूज, भिलाई। स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड-सेल (SAIL) के कर्मचारियों के आधे-अधूरे वेज रिवीजन के खिलाफ लंबे समय से घेराबंदी की जा रही है। सड़क से सदन तक आवाज उठती रही। पिछले दिनों पीएमओ, इस्पात मंत्री, श्रम मंत्री तक गुहार लगाई गई। दिल्ली श्रमायुक्त ने बैठक की और मामले को रायपुर डिप्टी सीएलसी के पास रेफर कर दिया। इसके बाद यहां से पूरा मामला अधिकार क्षेत्र के बाहर का बताकर दिल्ली लौटा दिया गया। अब बीएसपी अनाधिशासी कर्मचारी संघ-बीएकेएस (BAKS) ने सचिव आईआर , चेयरमैन और डीआई के समक्ष लिखित शिकायत दर्ज कराई है।
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सेल (SAIL) के कार्मिकों की नजर इस मामले पर टिकी हुई है। डीएलसी रायपुर द्वारा सेल वेज रीविजन विवाद को अधिकार क्षेत्र से बाहर का मामला बताकर केंद्रीय श्रम मंत्रालय को वापस लौटा दिया था। डीएलसी रायपुर ने बीएकेएस यूनियन प्रतिनिधि को सलाह दिया था कि वेतन समझौता प्रक्रिया मे अनियमितता पर सेल प्रबंधन के समक्ष लिखित शिकायत दर्ज कराएं। डीएलसी की सलाह पर अमल करते हुए युनियन ने सेल चेयरमैन और बीएसपी डीआईसी के समक्ष वेज रीविजन एमओयू में एनजेसीएस संविधान की अनदेखी करने तथा कोयला-इस्पात स्थाई संसदीय कमेटी की अनुशंसा “सर्विस कंडिशन ऑफ स्टील पीएसयू इम्पलाइ” को लागू नहीं करने के खिलाफ लिखित शिकायत दर्ज कराया है।
अपने शिकायती पत्र में युनियन ने एनजेसीएस संविधान के प्रावधानों का जिक्र किया है, जिसमे साफ साफ लिखा है कि मैनेजमेंट और यूनियनों के बीच सर्वसम्मति से निर्णय लिया जाएगा। बहुमत के आधार पर कोई भी निर्णय नहीं लिया जाएगा। फिर भी एनजेसीएस वेज रीविजन में बहुमत के आधार पर एमओयू किया गया। आश्चर्य की बात यह भी है कि इस्पात मंत्रालय ने बगैर पड़ताल किए उक्त समझौते को मंजूरी भी दे दिया।
वहीं, दिसम्बर 2014 में कोयला, इस्पात तथा खान की स्थाई संसदीय समिति ने “सर्विस कंडीशन ऑफ स्टील पीएसयू एम्पलाइज” विषय के तहत संसद मे अपनी रिपोर्ट पेश की थी। उक्त रिपोर्ट को संसद की मंजूरी भी मिली थी तथा सरकार ने उक्त रिपोर्ट की अनुशंसा को स्वीकार भी कर लिया था।
उक्त रिपोर्ट में समिति ने अनुशंसा की थी कि स्टील पीएसयू कर्मियों के वेज रीविजन में दूसरे महारत्न कंपनियों में हुए वेतन वृद्धि के साथ साथ बढ़ती हुई महंगाई का ध्यान रखा जाएगा।
यूनियन नेताओं का कहना है कि सेल प्रबंधन ने गैर निर्वाचित तथा मनोनित एनजेसीएस नेताओं के सहयोग से बढ़ती हुई महंगाई का तो ध्यान नहीं रखा, उल्टे 2% कम एमजीबी तथा 8.5% कम पर्क्स में वेज रीविजन का एमओयू किया गया। उसमे भी आश्चर्य की बात यह भी है कि इस एमओयू में एनजेसीएस संविधान का भी उल्लंघन किया गया। सर्वसम्मति की जगह बहुमत से एमओयू को लागु करवाया गया। अब गेंद पुनः केंद्रीय इस्पात मंत्रालय के हाथ में है।
यूनियन नेताओं ने लगाए गंभीर आरोप
वेज रीविजन एमओयू को एनजेसीएस संविधान को अनदेखा कर लागू किया गया है। हम जल्द ही इस्पात मंत्री, मंत्री निर्मला सीतारमण से मिल कर सभी कागजात को उनके समक्ष रखेंगे, ताकि उनके सामने साबित हो कि किस तरह सेल प्रबंधन ने कर्मियो के साथ-साथ इस्पात मंत्रालय को गुमराह किया है।
–अमर सिंह, अध्यक्ष
वेज रीविजन फसाद की जड़ सभी एनजेसीएस नेता हैं। एमओयू पर जो सिग्नेचर किए वो भी चुप है तथा जो नहीं किए वो भी चुप हैं। सिग्नेचर नहीं करने वाले यूनियन चेयरमैन से आगे बढ़ ही नहीं पा रही है। एक तरफ दिखावटी विरोध तथा दूसरी तरफ मैनेजमेंट से बेपनाह मुहब्बत दोनों नीति को सेल के सभी कर्मचारी समझ रहे हैं।
–अभिषेक सिंह, महासचिव