Strike 2025: महिलाएं नाइट शिफ्ट ड्यूटी और कर्मचारी करेंगे 12 घंटे नौकरी, सीटू बोला-कहीं देर न हो जाए, सफल करें हड़ताल

  • सीटू का भिलाई इस्पात संयंत्र प्रबंधन से सवाल है कि क्या प्रबंधन भी 12 घंटा कार्य दिवस का पक्षधर है?

सूचनाजी न्यूज, भिलाई। 9 जुलाई को सुबह 6:00 बजे से 10 जुलाई के सुबह 6:00 तक अखिल भारतीय हड़ताल प्रस्तावित है, जिसके तहत पूरे देश में तैयारी जोरों पर चल रही है। इसी के तहत भिलाई के अंदर संयुक्त एवं स्वतंत्र रूप से पोस्टर, पम्पलेट, सोशल मीडिया आदि के माध्यम से हड़ताल के प्रमुख मुद्दों को हर मजदूर तक पहुंचाए जा रहे हैं।

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सीटू का कहना है यह एक ऐसा संघर्ष है, जिसमें हर एक को अपने हिस्से की लड़ाई स्वयं लड़ी जानी है। अन्यथा केंद्र सरकार निरंकुश तरीके से ना केवल श्रम कानून को खत्म कर देगा, बल्कि श्रमिक वर्ग को गुलाम बनाने वाली नीतियों को लागू कर देगा।

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Shramik Day

क्या प्रबंधन भी चाहता है 12 घंटे का कार्य दिवस

सीटू नेताओं ने कहा कि निजी मालिक केंद्र सरकार को चंदा देकर सत्तासीन करने में मदद करने के एवज में 12 घंटा कार्य दिवस को कानूनी जामा पहनाना चाहते हैं। जिसे मौजूदा केंद्र सरकार ने लागू करने का निर्णय लिया है। भिलाई इस्पात संयंत्र में प्रबंधन ठेका कर्मियों को 12 घंटा काम के लिए रोकती है। कभी-कभी तो 24 घंटे से ज्यादा भी रोक लेती है। ऐसे में सीटू का सवाल है कि क्या प्रबंधन भी 12 घंटा कार्य दिवस का पक्षधर है?

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क्या प्रबंधन मई दिवस की परंपरा को खत्म करते हुए 8 घंटे के कार्य दिवस के बदले केंद्र सरकार के श्रम संहिताओं को संयंत्र में लागू करते हुए 12 घंटा कार्य दिवस लागू करेगा?

क्या सही है रात्रि पाली में महिलाओ की ड्यूटी लगाना?

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सीटू नेता ने कहा कि नई श्रम संहिताओं में महिलाओं को उद्योगों के अंदर रात्रि पाली में भी ड्यूटी लगाने के प्रावधान है, जबकि महिलाओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए रात्रि पाली में उद्योग के अंदर महिलाओं को ड्यूटी करने पर पाबंदी है, तो क्या ऐसे में श्रम संहिताओं के जबरिया लागू होने के बाद महिलाओं को उद्योग के अंदर रात्रि पाली में ड्यूटी करवाना सही होगा?

क्या उनकी सुरक्षा का इंतजाम कर पाना संभव है?

क्या महिलाओं पर विभिन्न तरह के शोषण एवं अवांछित घटनाएं नहीं घटेंगे?

क्या इस बात की गारंटी प्रबंधन प्रशासन एवं केंद्र सरकार ले सकता है?

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संयंत्र के कई विभाग हो जाएंगे स्थाई आदेश से बाहर

नई श्रम संहिताओं में फैक्ट्री की परिभाषा बदली गई है, जिसके अनुसार भिलाई इस्पात संयंत्र के अंदर रजिस्टर्ड कई फैक्ट्रियां फैक्ट्री एक्ट के दायरे से ही बाहर हो जाएगी। इसके साथ ही जो विभाग फैक्ट्री एक्ट के दायरे से बाहर हो जाएंगे उन विभागों पर स्थाई आदेश लागू नहीं होगा।

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भिलाई में शुरू हो चुका है फिक्स्ड टर्म अपॉइंटमेंट

केंद्र सरकार स्थाई रोजगार पर रोक लगाकर फिक्स्ड टर्म इम्प्लाइमेंट शुरू करने का प्रावधान किया है, जिसके तहत अब उद्योगों को स्थाई रूप से 60 वर्ष तक नौकरी करने वाली कर्मियों को भर्ती करने की आवश्यकता नहीं होगी, बल्कि उद्योग अपने आवश्यकता अनुसार कर्मियों को 1 साल, 2 साल, 3 साल अथवा 4 साल के लिए भर्ती करेंगे। इसकी शुरुआत भिलाई में हो चुकी है। पिछले दिनों हिंदुस्तान लेटेस्ट लिमिटेड (एच एल एल) द्वारा अस्पताल में सप्लाई किए गए लगभग 123 कर्मियों को फिक्स्ड टर्म अपॉइंटमेंट एंप्लॉयमेंट अपॉइंटमेंट लेटर दिया गया जो सेक्टर 9 में अभी कार्यरत हैं।

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अपनी जिम्मेदारियों से हमेशा बचता रहा है संयंत्र प्रबंधन

सीटू नेताओं ने कहा-प्रबंधन हड़ताल के मांगो को लेकर कहता है कि यह संयंत्र के स्तर का नहीं है बल्कि केंद्रीय स्तर का है। इसीलिए प्रबंधन कुछ नहीं कर सकता हैं किंतु जैसे ही सेल प्रबंधन अथवा केंद्र सरकार से कोई आदेश आता है उसे संयंत्र प्रबंधन संयंत्र के कर्मियों पर लागू कर देता है।

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इस समय प्रबंधन यह नहीं कहता कि संयंत्र कर्मियों पर लागू करने के पहले संयंत्र के मान्यता यूनियन अथवा प्रतिनिधि यूनियन से बात करके ही लागू करेंगे। अथवा स्थानीय स्तर पर ही कर्मियों के पक्ष में नीतियों को तैयार करेंगे। इसीलिए सीटू यूनियन कहता है कि प्रबंधन अपनी जिम्मेदारियों से बचने की कोशिश करता है अन्यथा संयुक्त यूनियन द्वारा कर्मियों के पक्ष में प्रबंधन के सामने रखे जाने वाले कई मांगों का समाधान भिलाई प्रबंधन के स्तर पर किया जा सकता है।

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यदि अभी नहीं रोका गया तो हो जाएगी बहुत देर

सीटू नेता ने कहा कि केंद्र सरकार जबरदस्ती थोपे जा रहे इन श्रम संहिताओं को रोकने के लिए पूरे देश के अंदर सभी उद्योग कर्मियों के साथ-साथ देश का किसान वर्ग भी 9 जुलाई को आंदोलन कर रहे हैं। इसीलिए इस आंदोलन को मजबूत करके केंद्र सरकार के मजदूर विरोधी नीतियों को अभी रोकना बहुत जरूरी है। अन्यथा बहुत देर हो जाएगी।

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