बोकारो स्टील प्लांट में एक दिन में 3 कर्मचारियों की असमय मौत, BSL BAKS का मेडिकल बोर्ड पर सवाल

सूचनाजी न्यूज, बोकारो। सेल के बोकारो स्टील प्लांट-बीएसएल के तीन नियमित कर्मचारियों की असमय मृत्यु बुधवार को हो गई। यूनियन का कहना है कि संयंत्र में कार्यरत कर्मचारियों की यह मृत्यु साधारण मौत नहीं, बल्कि एक सुनियोजित मीठा जहर देकर हत्या के समान है, जो बोकारो इस्पात संयंत्र प्रबंधन के द्वारा वर्क लोड, कार्यस्थल पर तनाव, धूल, शोर, प्रदूषण, कार्यस्थल पर उचित वातावरण का अभाव के रूप में देकर की जा रही है। बीएसएल अनाधिशासी कर्मचारी संघ का कहना है कि हर एक काम देश के नाम नारा देने वाली महारत्न कंपनी जो बाहर से बहुत ही साफ सुथरी दिखती। वह अंदर से उतनी ही जानलेवा साबित होती जा रही है। प्लांट के धमन भट्टी, कोक ओवेन, सिंटर प्लांट, आरएमएचपी, गलनशाला जैसे विपरित परिस्थिति वाले विभागों की स्थिति दयनीय हैं। जहां धूल,ध्वनि, धुंआ के साथ-साथ जैविक खतरे भी उपलब्ध है। इन नकारात्मक कारणों ने बुधवार को तीन नियमित कार्मिकों की बलि ले लिया है। उपरोक्त कारणों के कारण आरएमएचपी विभाग के एमएन रजवार, धमन भट्टी विभाग के एचके भारती तथा यातायात विभाग के एससी माँझी की मृत्यु हो गई। जहां एक ओर बीएसएल कर्मी प्रदूषित वातारण में कार्य को अंजाम देने को विवश हैं। वहीं, दूसरी तरफ संयंत्र के उत्पादन लक्ष्य के साथ बढ़ता कार्य बोझ और घटते मैन पावर, तथा तीनों शिफ्ट में मौसमी प्रकोपों को झेलते हर एक काम देश के नाम कर अपनी कर्तव्यनिष्ठ होने का प्रमाण देते हुए अपना सर्वस्व न्योछावर करने को बाध्य है। संयंत्र कर्मी इस दरमियान मीठे जहर के स्वरूप में जकड़ती जानलेवा बीमारियां, ऊपर से मेडिकल इनवेलिडेशन बोर्ड जैसे स्थानों में व्याप्त अनियमितता जिससे परेशान, कोई साधारण कर्मी यदि एमआईबी के लिए आवेदन करता है, तो उसे फिट घोषित कर जबरिया उससे कार्य लेकर उसका शारीरिक,मानसिक दोहन किया जाता है। इसके बाद में अंजाम मौत और रोते बिलखते परिजन को छोड़ जाने के सिवाय कुछ नहीं होता। वहीं, दूसरी तरफ सिस्टम में जुगाड़ लगा कर गए कुछ कर्मियों को सधारण बीमारी में भी मेडिकल अनफिट कर उनके आश्रितों को नौकरी दे दी जा रही है। अगर इसका सही से जाँच हो तो कई बड़े सफेदपोश चेहरे पर से नकाब उतर जाएगा। इस प्रकार की मौतों का जिम्मेवार सीधे तौर पर प्रबंधन है, जो अपने कर्मियों को असुरक्षित वातावरण में कार्य करने को विवश करती है, जिसका परिणाम आप सभी देख ही रहें है। आयेदिन मृत कर्मचारी आश्रित संघ के पीड़ित लोग आंदोलन करने को बाध्य होते हैं। फिर भी प्रबंधन और कितने मौतों के बाद जागेगा। यह बोल पाना मुश्किल है। यह सुरक्षा के नाम पर लीपापोती और संवेदनहीनता का ही परिणाम है कि लंबी अवधि तक सेवा देने वाले श्रमिक अपना सेवानिवृत लाभ भी भोग नहीं पा रहे है। सेवानिवृत्ति के कुछ सालों में ही कई कर्मियों की मौत हो चुकी है। हरिओम, अध्यक्ष-बीएकेएस बोकारो स्टील प्लांट लम्बी बीमारी के कारण मृत्यु होने वाले श्रमिकों की सूची 22/01/25: एच भारती-ब्लास्ट फर्नेस 22/01/25: एससी मांझी-ट्रैफिक 22/01/25: डी बावरी-आरएमपी 18/01/25: एमएन राजवार-आरएमएचपी Untimely death of 3 employees in one day in Bokaro Steel Plant, questions on medical board.jpg
मौतों का जिम्मेवार सीधे तौर पर प्रबंधन है, जो अपने कर्मियों को असुरक्षित वातावरण में कार्य करने को विवश करती है।
  • बोकारो अनाधिशासी कर्मचारी संघ बोला-बीएसएल का मेडिकल इनवेलिडेशन बोर्ड सवालों के घेरे में।

सूचनाजी न्यूज, बोकारो। सेल के बोकारो स्टील प्लांट-बीएसएल (SAIL – Bokaro Steel Plant) के तीन नियमित कर्मचारियों की असमय मृत्यु बुधवार को हो गई। यूनियन का कहना है कि संयंत्र में कार्यरत कर्मचारियों की यह मृत्यु साधारण मौत नहीं, बल्कि एक सुनियोजित मीठा जहर देकर हत्या के समान है, जो बोकारो इस्पात संयंत्र प्रबंधन के द्वारा वर्क लोड, कार्यस्थल पर तनाव, धूल, शोर, प्रदूषण, कार्यस्थल पर उचित वातावरण का अभाव के रूप में देकर की जा रही है।

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बीएसएल अनाधिशासी कर्मचारी संघ (BSL Non-Executive Employees Union) का कहना है कि हर एक काम देश के नाम नारा देने वाली महारत्न कंपनी जो बाहर से बहुत ही साफ सुथरी दिखती। वह अंदर से उतनी ही जानलेवा साबित होती जा रही है। प्लांट के धमन भट्टी, कोक ओवेन, सिंटर प्लांट, आरएमएचपी, गलनशाला जैसे विपरित परिस्थिति वाले विभागों की स्थिति दयनीय हैं।

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जहां धूल,ध्वनि, धुंआ के साथ-साथ जैविक खतरे भी उपलब्ध है। इन नकारात्मक कारणों ने बुधवार को तीन नियमित कार्मिकों की बलि ले लिया है। उपरोक्त कारणों के कारण आरएमएचपी विभाग के एमएन रजवार, धमन भट्टी विभाग के एचके भारती तथा यातायात विभाग के एससी माँझी की मृत्यु हो गई।

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जहां एक ओर बीएसएल कर्मी प्रदूषित वातारण में कार्य को अंजाम देने को विवश हैं। वहीं, दूसरी तरफ संयंत्र के उत्पादन लक्ष्य के साथ बढ़ता कार्य बोझ और घटते मैन पावर, तथा तीनों शिफ्ट में मौसमी प्रकोपों को झेलते हर एक काम देश के नाम कर अपनी कर्तव्यनिष्ठ होने का प्रमाण देते हुए अपना सर्वस्व न्योछावर करने को बाध्य है।

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संयंत्र कर्मी इस दरमियान मीठे जहर के स्वरूप में जकड़ती जानलेवा बीमारियां, ऊपर से मेडिकल इनवेलिडेशन बोर्ड जैसे स्थानों में व्याप्त अनियमितता जिससे परेशान, कोई साधारण कर्मी यदि एमआईबी के लिए आवेदन करता है, तो उसे फिट घोषित कर जबरिया उससे कार्य लेकर उसका शारीरिक,मानसिक दोहन किया जाता है। इसके बाद में अंजाम मौत और रोते बिलखते परिजन को छोड़ जाने के सिवाय कुछ नहीं होता।

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वहीं, दूसरी तरफ सिस्टम में जुगाड़ लगा कर गए कुछ कर्मियों को सधारण बीमारी में भी मेडिकल अनफिट कर उनके आश्रितों को नौकरी दे दी जा रही है। अगर इसका सही से जाँच हो तो कई बड़े सफेदपोश चेहरे पर से नकाब उतर जाएगा।

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इस प्रकार की मौतों का जिम्मेवार सीधे तौर पर प्रबंधन है, जो अपने कर्मियों को असुरक्षित वातावरण में कार्य करने को विवश करती है, जिसका परिणाम आप सभी देख ही रहें है। आयेदिन मृत कर्मचारी आश्रित संघ के पीड़ित लोग आंदोलन करने को बाध्य होते हैं।

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फिर भी प्रबंधन और कितने मौतों के बाद जागेगा। यह बोल पाना मुश्किल है। यह सुरक्षा के नाम पर लीपापोती और संवेदनहीनता का ही परिणाम है कि लंबी अवधि तक सेवा देने वाले श्रमिक अपना सेवानिवृत लाभ भी भोग नहीं पा रहे है। सेवानिवृत्ति के कुछ सालों में ही कई कर्मियों की मौत हो चुकी है।
हरिओम, अध्यक्ष-बीएकेएस बोकारो स्टील प्लांट

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लम्बी बीमारी के कारण मृत्यु होने वाले श्रमिकों की सूची

22/01/25: एच भारती-ब्लास्ट फर्नेस
22/01/25: एससी मांझी-ट्रैफिक
22/01/25: डी बावरी-आरएमपी
18/01/25: एमएन राजवार-आरएमएचपी

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