
- बोकारो जनरल हॉस्पिटल की डीएनबी डाक्टर आर्या झा प्रेशर झेल न सकी और आत्महत्या कर लिया है।
सूचनाजी न्यूज, भिलाई। सेल बोकारो जनरल हॉस्पिटल-बीजीएच (SAIL – Bokaro General Hospital) की 28 साल की डीएनबी डाक्टर आर्या झा ने सुसाइड करके सबको झकझोर दिया है। मौत के बाद नई बहस छिड़ गई है। पैरेंट्स, पढ़ाई और कॅरियर ग्रोथ के प्रेशर को न झेल पाने की वजह से आर्या ने आत्महत्या कर ली।
समाज में आर्या झा जैसा कोई कदम अब न उठाने पाए, इसको लेकर बहस तेज हो गई है। अभिभावकों के साथ समाज से अपील की जा रही है कि वह इस तरह के हादसे को रोक सकते हैं। बस, सोच में बदलाव लाने की जरूरत है।
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स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड-सेल (Steel Authority of India Limited-SAIL) के राउरकेला स्टील प्लांट (Rourkela Steel Plant) के डायरेक्टर इंचार्ज आलोक वर्मा, सेफी चेयरमैन एनके बंछोर, बोकारो आफिसर्स एसोसिएशन (Bokaro Officers Association) के अध्यक्ष एके सिंह से Suchnaji.com ने बातचीत की। तनाव प्रबंधन, मेंटल हेल्थ मूल्यांकन और दूसरों से तुलना करने की प्रवृत्ति पर ये अधिकारी क्या बोल रहे हैं, इसे विस्तार से पढ़ें…।
फिजिकल हेल्थ के साथ अब मेंटल हेल्थ का करें मूल्यांकन
राउकेला स्टील प्लांट के डायरेक्टर इंचार्ज आलोक वर्मा ने सभी पैरेंट्स से अपील किया है कि वह अब थम जाएं। बच्चों का कॅरियर बनाने के चक्कर में कोई ऐसी गलती न कर दें कि दुखद खबर सुनने को मिले।
बच्चों के जरिए पैरेंट्स खुद के ड्रीम को साकार करने की कोशिश करने लगते हैं, जो गलत है। हर कोई अपने आप का मालिक होता है। सबका अपना ड्रीम होता है। बच्चों पर प्रेशर नहीं बनाना चाहिए। कॅरियर में क्या करना है, उन्हें तय करने दें।
जिस तरह से फिजिकल हेल्थ का मूल्यांकन किया जाता है, उसी तर्ज पर अब मेंटल हेल्थ के मूल्यांकन का वक्त आ गया है। बच्चों में तनाव काफी स्ट्रीम तक जा रहा है। एक डाक्टर होना मुश्किल है, ऐसे में जान देना कितना दुखद है।
आरएसपी के डीआइसी ने कहा-समाज को सोचना चाहिए कि वह किस तरह से सहयोग करे। गलत-सही बताना जरूरी है। लेकिन, किसी पर अपनी सोच को थोपना ठीक नहीं है। फिजिकल हेल्थ के साथ मेंटल हेल्थ पर काम करने की जरूरत है।
बच्चों का सहयोग करें, दबाव न डालें:सेफी चेयरमैन एनके बंछोर
स्टील एक्जीक्यूटिव फेडरेशन ऑफ इंडिया-सेफी (Steel Executives Federation of India-SEFI) के चेयरमैन व बीएसपी आफिसर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष नरेंद्र कुमार बंछोर भी डीएनबी डाक्टर के सुसाइड से दुखी हैं। उन्होंने कहा-समय बदल रहा है। बच्चों पर फोर्स नहीं करना चाहिए।
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बच्चे जैसा करना चाहें, सपोर्ट करें। मन के विरुद्ध जाकर करने से बच्चे स्वीकार नहीं कर पाते हैं। पैरेंट्स ध्यान दें कि 18 साल के ऊपर वाले बच्चों का सहयोग करें, दबाव न डालें। दबाव की बात को नई जेनरेशन स्वीकार नहीं करती है।
बहुत से पैरेंट्स खुद बेहतर नहीं कर पाए तो बच्चे पर दबाव डालते हैं कि बेहतर करे। वहीं, आसपास किसी दूसरे बच्चों को देखकर उससे तुलना करना भी ठीक नहीं है। तनाव प्रबंधन पर ध्यान दिया जाना चाहिए। सोसाइटी, पैरेंट्स और संस्थान तनाव देते हैं। समय के साथ अपना काम करने दें। जिस काम में रूचि है, वहीं काम करने दें। आमिर खान की मूवी 3 Idiots जरूर देखें। बच्चे को भी मजबूत होना चाहिए।
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बच्चों का अच्छा दोस्त बनें और काउंसिलिंग करें: बीएसएल ओए अध्यक्ष एके सिंह
बोकारो स्टील आफिसर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष एके सिंह ने सभी पैरेंट्स से अपील किया है कि वे अपने बच्चों पर खास नजर रखें। कॅरियर का ऐसा प्रेशर न बनाएं, जिससे मायूसी हाथ लगे।
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बच्चों की पढ़ाई के साथ-साथ तनाव, विपरीत परिस्थिति से निपटने के लिए काउंसिलिंग की जरूरत है। हर कोई अपने-अपने बच्चों का अच्छा दोस्त बने और काउंसिलिंग करता रहे।
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जब सफलता का जश्न मनाते हैं तो हार के समय भी सामना करने का जज्बा पैदा करने की ताकत होनी चाहिए। इस हालात को कैसे मैनेज करें, यह समन्वय बनाना सीखना चाहिए। जिंदगी में कुछ भी स्थायी नहीं होता है। निगेटिव पीरियड खत्म करने के बाद हालात सही हो जाते हैं। तनाव और नुकसान परमानमेंट नहीं होता है। इसलिए तरक्की के लिए सब्र जरूरी है।