- शहादत दिवस पर सीटू ने क्रांतिकारियों को किया याद।
सूचनाजी न्यूज, भिलाई। शहीद भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु की शहादत दिवस पर सीटू यूनियन कार्यालय सेक्टर 4 (CITU Union Office, Sector 4) में 2 मिनट मौन रख कर श्रद्धांजलि दी गई। इस बात को याद किया गया कि जिन काले कानूनों को अंग्रेजी हुकूमत द्वारा भारतियों पर थोपा जा रहा था,उसके विरोध स्वरूप भगतसिंह, राजगुरु, सुखदेव ने केंद्रीय असेंबली में खाली स्थान पर बम धमाका कर अपनी बात विश्व जगत को बताने का माध्यम बनाया।
काले कानून इस तरह थे…
1. पब्लिक सेफ्टी बिल- ब्रिटिश सरकार द्वारा पेश किए गए इस बिल के अनुसार किसी भी व्यक्ति को जनता के लिए खतरा बताकर बिना किसी कानूनी प्रक्रिया के गिरफ्तार किया जा सकता था। जो उस समय ऐसेम्बली में पारित नहीं हो सका। किंतु वर्तमान में मौजूदा केंद्र सरकार द्वारा यह बिल भारतीय संसद में पारित हुआ है।
2. ट्रेड डिस्प्यूट बिल-अंग्रेजी सरकार इस बिल के माध्यम से ट्रेड यूनियन बनाने या ट्रेड यूनियन करने का अधिकार समाप्त करना था। इस तरह श्रमिकों कामगारों को ट्रेड यूनियन बनाने की स्वतंत्रता समाप्त करना था। वर्तमान में यह बिल भारतीय संसद में पारित हुआ है।
सीटू के महासचिव जेपी त्रिवेदी ने कहा-भगतसिंह, राजगुरु, सुखदेव जिस उम्र में हंसते-हंसते फासी के फंदे को स्वीकार किया, वह अकल्पनीय है क्योंकि उस समय कुछ तथाकथित आंदोलन कारी माफी मांग कर सजा माफ कर लिए थे।
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व्यक्तियों को मारा जा सकता है, उनके विचारों को नहीं
23 मार्च 2024 को हमारे देश के तीन इंकलाबियों,भगत सिंह,राजगुरु और सुखदेव को वतन पर कुर्बान हुए पूरे 93 साल हो गए। फिरंगी सरकार ने इन तीनों बहादुरों को गिरफ्तार करके फांसी पर इस उद्देश्य से लटकाया था कि इन क्रांतिकारियों की शारीरिक हत्या से आजादी की वो ज्वाला जिसे इंकलाबियों ने जलाया हुआ था। वह बुझ जायेगी, लेकिन हत्यारे यह भूल जाते है कि क्रांतिकारियों की जान ले सकते है, पर उनके इंकलाबी विचारों को नहीं मार सकते है। यही वजह है कि इतने वर्ष बितने के बाद भी इन शहीदों के विचार आज भी देश के आम लोगों को प्रेरित करते है और उनकी शहादत की बरसी पर लोग उनके आदर्शों के भारत को बनाने का संकल्प लेते है।
आज भी जारी है देश को अस्थिर करने का षड्यंत्र
सीटू नेताओं ने कहा इन क्रांतिकारियों के विचार को नेस्तो-नाबुद करने के काम में केबल अंग्रेज शासक ही नही लगे थे। आजादी के पहले हिंदू और मुस्लिम सांप्रदास्यिक राजनीति के झंडाबरदारों ने फिरंगी सरकार के इस तरह के तमाम कुकर्मों के खिलाफ न केवल चुप्पी साधे रखी, बल्कि साम्राज्यवाद के खिलाफ भारतीय जनता के साझे संघर्ष को हिंदू और मुस्लिम खेमों में बांट कर विदेशी शासकों की चाकरी ही की थी।
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स्वतंत्रता का इतिहास इस बात का गवाह है कि मुस्लिम लीग,हिंदू महासभा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ(संघ गिरोह) जैसे संगठनों ने इन शहीदों के विचारों,आदर्शों और कार्यर्वाहियों से हमदर्दी रखना तो दूर, उनके साथ कभी कोई संबंध ही नही रखा।इन सांप्रदायिक संगठनों के लिए मानो ये शहीद कभी हुए ही नहीं। यह ताकते आज देश के अंदर धर्म के नाम पर फिर से अस्थिरता पैदा किए हुए हैं
सीटू कार्यालय में इन्होंने दी श्रद्धांजलि
श्रंद्धाजलि कार्यक्रम में सीटू के जिला संयोजक शांत कुमार, सीटू राज्य कार्यकारी अध्यक्ष एवं फेडरेशन के उपाध्यक्ष एसपी डे, हिंदुस्तान स्टील एम्पलाइज यूनियन सीटू भिलाई अध्यक्ष विजय कुमार जांगड़े, सहायक महासचिव संतोष पणिकर, जोगाराव, अशोक खातरकर, सचिव राजू लोचन बैनर्जी आदि शामिल हुए।