Bhilai Steel Plant: बायोमैट्रिक अटेंडेंस RFID पर BWU ने प्रबंधन को जमकर कोसा, खोली पोल

  • कर्मचारियों का बकाया का 39 महीने के एरियर का भुगतान करने के बजाय सख्ती पर आक्रोश।

सूचनाजी न्यूज, भिलाई। बीएसपी वर्कर्स यूनियन (BSP Workers Union) की कार्यकारणी की बैठक में यूनियन ने भी प्रबंधन पर एक तरफा निर्णय लेने का आरोप लगाया। प्रबंधन ने भिलाई इस्पात संयंत्र (Bhilai Steel Plant) के कर्मचारियों के सुविधाओं के लिए एक भी कदम नहीं उठाया, जबकि बीएसपी वर्कर्स यूनियन ने बार-बार मांग की थी कि पहले कर्मचारियों के सुविधाओं की दिशा में काम किया जाए।

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कर्मचारियों का बकाया का 39 महीने के एरियर का भुगतान किया जाए, उसके पश्चात ही प्लांट में नई आधुनिक तरीके से अटेंडेंस पद्धति को लागू किया जाए, परंतु प्रबंधन अपनी जिद में कर्मचारियों की एक भी समस्या के समाधान के दिशा में कार्य नहीं किया। प्रबंधन ने प्लांट के अंदर सुलभ शौचालय तक की एक समस्या को दूर नहीं किया। यहां तक की जिस कंपनी को शौचालय निर्माण का कार्य दिया गया था, उसका 6 महीने से कोई अता पता ही नहीं है।

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प्रबंधन मात्र शौचालय बनाने का आश्वासन ही देता रहा। परंतु प्रबंधन इस दिशा में कोई ठोस कार्य नहीं किया। कर्मचारियों के रेस्ट के लिए भीषण गर्मी में ना कोई रेस्ट रूम का निर्माण कराया, ना कहीं पर पर्याप्त कूलर प्रदान किया। मात्र अधिकारी वर्ग के लिए एसी पर एसी उपलब्ध कराए गए। कर्मचारियों को कूलर तक नशीब नहीं हो पा रहा है।

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आज भी कूलर जैसे साधारण सी सुविधा के लिए कर्मी मोहताज हैं। कैंटीन के नाम पर पूरे प्लांट में एक या दो कैंटीन ही उपलब्ध है, उसमें भी शाम के 5:30 बजे के बाद कोई प्रकार का भी भोजन प्राप्त नहीं होता जिस कारण कर्मचारियों को विशेष कर मधुमेह रोगी। कर्मचारियों को अगर भूख लगती है या कोई कर्मचारी अगर बिना भोजन किया आ जाता है तो उसे कहीं भी 6:00 बजे के बाद भोजन प्राप्त नहीं होता।

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बीएसपी के गेट पर जान जोखिम में

कर्मचारियों की किसी भी समस्या का समाधान न कर यहां तक की, पाली समाप्ति के समय गेट पर इतनी ज्यादा भीड़ और जाम लग जाता है, जिसकी भी बार-बार शिकायत करने के बावजूद प्रबंधन ने आज तक किसी प्रकार की कोई कार्रवाई नहीं किया। यहां तक की गेट के बाहर खड़े ट्रकों को भी व्यवस्थित करने की दिशा में प्रबंधन कुछ नहीं कर सकी, जिस कारण आए दिन दुर्घटनाएं होती है और कई बार तो मौत तक हो चुकी है।

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डाक्टरों की समस्याओं का भी जिक्र

चिकित्सालय में भी अब डॉक्टरों का अभाव हो गया, जिस कारण चिकित्सालय मात्र रेफरल सेंटर बन चुका है। कर्मचारियों को किसी प्रकार की चिकित्सा सुविधा संतोष जनक नहीं मिल पा रही है। अधिकतर डॉक्टर रिटायर हो रहे हैं और नए डॉक्टर नहीं लिए जा रहे हैं। इस पर भी प्रबंधन ने कोई ठोस नीति बनाकर कार्रवाई नहीं किया, जिस कारण दिनों दिन चिकित्सा सुविधा और भी खराब होते जा रही है।

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दिल्ली दरबार में अपनी पीठ थपथपाना है।

जो ठेका श्रमिक आज बायोमेट्रिक (Bio-Metric) के माध्यम से अपनी हाजिरी लगा रहे हैं, उन्हें आज भी पूरा वेतन नहीं मिल पा रहा है। वह मात्र बायोमैट्रिक के प्रकोप को झेल रहे हैं। उन्हें विभिन्न जगह काम के लिए जाना पड़ता है और फिर वापस आकर अपने एरिया में बायोमेट्रिक लगाना पड़ता है। परंतु उनका वेतन आज भी पूरा नहीं मिल पा रहा है।

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1 जुलाई से बायोमेट्रिक के माध्यम से हाजिरी लगाने की प्रबंधन की जीत इस बात का संकेत दे रही है कि प्रबंधन को कर्मचारियों के सुविधाओं और उनके किसी भी परेशानी से कोई लेना देना नहीं है। उसे मात्र अपनी हठ धर्मिता पूरी कर ऊपर के दिल्ली दरबार में अपनी पीठ थपथपाना है।

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बैठक में यूनियन के ये नेता रहे मौजूद

बैठक में प्रमुख रूप से यूनियन अध्यक्ष उज्जवल दत्ता, महासचिव खूबचंद वर्मा, कार्यकारी महासचिव शिव बहादुर सिंह, अतिरिक्त महासचिव टी डीलेश्वर राव, उपाध्यक्ष अमित बर्मन, शैलेश सिंन्हा, उप महासचिव सी नरसिंह राव, जितेंद्र यादव, सुरेश सिंह, आशीष श्रीवास्तव, सहायक महासचिव विमल कांत पांडे, के एल अहिरे,लुमेश कुमार, प्रदीप सिंह, मंगेश हरदास, सुभाष चंद्र महाराणा, संदीप सिंह ,राजकुमार सिंह, राजेश कांत फिरंगी, सचिव रवि शंकर सिंह, रविंद्र सिंह, सुजीत सोनी, डीके गिरी, डीपी सिंह, मनोज डडसेना, जितेंद्र देशलरा, डीआर सोनवानी आदि उपस्थित थे।

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