- नेट की अनुपलब्धता एवं अन्य दूसरे कारण से धीरे-धीरे क्यूआर कोड की चेकिंग बंद हो गई।
सूचनाजी न्यूज, भिलाई। भिलाई इस्पात संयंत्र (Bhilai STeel plant) के अंदर प्रवेश करने के लिए गेट पास दिखाना अनिवार्य है। दिखाएं जा रहे गेट पास में कर्मी का नाम, पर्सनल नंबर, कमांडेंट के हस्ताक्षर के साथ-साथ गेट पास वैधता की तारीख स्पष्ट रूप से दिखना भी जरूरी है। कुछ समय पहले नकली गेट पास एवं उसके सहारे संयंत्र के अंदर घुसने जैसी घटनाएं सामने आई थी।
इसके बाद से प्रबंधन एवं सीआईएसएफ ने ना केवल संयंत्र के अंदर जाने के समय गेट पर गेटपास की चेकिंग बढ़ा दी, बल्कि संयंत्र से बाहर निकलते समय भी गेट पास की बारीकी से जांच शुरू की गई। किंतु एक जुलाई से विभागों में बायोमेट्रिक आधारित उपस्थिति मशीन लगने के बाद गेटपास की अलटा-पलटी करके चेक करने का कार्य फिर से पुरानी स्थिति में पहुंच गया है।
ये खबर भी पढ़ें : भारत-रूस दोस्ती के प्रतीक स्तंभ चौराहे की चौड़ाई कम होनी शुरू, पढ़िए इतिहास
संयंत्र के मेन गेट एवं बोरिया गेट में प्रवेश करने के समय कम से कम 6 गेट खुले होते हैं। प्रत्येक गेट पर कम से कम तीन जवान तैनात रहते हैं। बावजूद इसके संयंत्र के अंदर जल्दी से प्रवेश कर जाने वाली भीड़ का दबाव बना हुआ है, जिसके कारण गेटपास को अलटी-पलटी करके चेक करने का काम लगभग बंद हो गया है।
ये खबर भी पढ़ें : Bhilai Steel Plant: सेक्टर 9 हॉस्पिटल के कर्मचारियों को भी मिला शिरोमणि अवॉर्ड
गाड़ी का क्यूआर कोड का भी हुआ था यही हस्र
यूनियन नेताओं का कहना है कि संयंत्र में प्रवेश के समय जब गाड़ियों का क्यूआर कोड चेक करवाने की अनिवार्यता शुरू की गई थी, तब ना केवल क्यूआर कोड मांगा जाता था, उसे कोड को अपने मोबाइल में डालकर गेट पर तैनात जवान चेक भी करते थे। किंतु नेट की अनुपलब्धता एवं अन्य दूसरे कारण से धीरे-धीरे क्यूआर कोड का चेकिंग बंद हो गया।
ये खबर भी पढ़ें : Bhilai Steel Plant: सेक्टर 9 हॉस्पिटल के कर्मचारियों को भी मिला शिरोमणि अवॉर्ड
ज्ञात हो कि जब क्यूआर कोड को लागू किया जा रहा था उस समय भी प्रबंधन ने अवांछित गाड़ियों के संयंत्र में घुसने पर रोक लगाने के लिए क्यूआर कोड की व्यवस्था को लाने की बात कही थी। आज प्रबंधन गलत लोगों के संयंत्र में घुसने से रोकने के लिए सुरक्षा के दृष्टिकोण से बायोमेट्रिक अटेंडेंस सिस्टम को लागू करने की बात कह रहा है, जबकि यह सिस्टम लागू होने के पहले दिन ही चोरी के उद्देश्य से घुसे एक चोर की लाश बिजली के तारों में उलझी हुई पाई गई, जो प्रबंधन के कथन की सच्चाई को बयां करता है।
अचानक आ गई सीआईएसएफ जवानों की बाढ़
सीटू महासचिव जेपी त्रिवेदी का कहना है कि यूनियनें जब भी संयंत्र में सुरक्षा बढ़ाने अथवा गेटों में भारी वाहन की ट्रैफिक व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए सीआईएसएफ की मदद लेने की बात करते हैं, तो प्रबंधन सीआईएसएफ कर्मियों की कमी से लेकर अन्य सभी कारण गिना देता था। किंतु जैसे ही बायोमेट्रिक अटेंडेंस सिस्टम लागू किया गया, गेटों में लगभग सीआईएसएफ जवानों की बाढ़ सी आ गई है।
ये खबर भी पढ़ें : बोकारो स्टील प्लांट में 11 जुलाई को हड़ताल, ब्लास्ट फर्नेस में बनी रणनीति
जो कर्मियों के संयंत्र के अंदर प्रवेश करवाने एवं संयंत्र के बाहर जाते समय कर्मियों के व्यवस्था को बनाए रखने में कार्य कर रहे हैं। सीआईएसएफ के इन जवानों में से हर शिफ्ट में दो-दो जवान हर गेट में तैनात कर देने पर कर्मियों के संयंत्र के अंदर आने एवं बाहर जाने के रास्ते को भी दुरुस्त किया जा सकता है।
ये खबर भी पढ़ें : ईपीएस 95 न्यूनतम पेंशन और जंतर-मंतर पर धरने को लेकर पुणे में पेंशनभोगियों का जमावड़ा