सेल न्यूज: बायोमेट्रिक पर नेताजी का बज रहा बाजा, ढुलमुल चरित्र, फुर्सत और राजहरा…

  • एनईपीपी और बायोमेट्रिक को लेकर कर्मचारियों के बीच बतकही।

सूचनाजी न्यूज, भिलाई। भिलाई स्टील प्लांट (Bhilai Steel Plant) के कर्मचारी 1 जुलाई से बायोमेट्रिक मशीन पर चेहरा दिखाकर अटेंडेंस लगवा रहे हैं। लेकिन, बीएसपी के ही खदान और आफिस में यह व्यवस्था लागू नहीं है। यह सवाल प्रबंधन से पूछने के बजाय बीएसपी के कुछ कर्मचारियों ने सूचनाजी से ही सवाल कर दिया कि राजहरा में बायोमेट्रिक क्यों नहीं लागू है।

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आखिर माजरा क्या है, जबकि ट्रेड यूनियन नेताओं को बुलाकर सीजीएम पर्सनल ने कई तर्क दिए थे, कहा था इस्पात मंत्रालय का निर्देश है। मंत्रालय का आदेश है कि इसे लागू कर सूचित करें। लेकिन वहीं, उसी भिलाई इस्पात संयंत्र के माइंस में कोई पूछने वाला नहीं है। आखिर कारण क्या है?
राजहरा माइंस के कई नेताओं का भिलाई में व्यापार चलता है। और वे कई-कई दिन राजहरा पहले भी नहीं जाते थे, कहीं उनके लिए तो छूट नहीं है।

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कर्मचारी की बात में दम तो है

बीएसपी के एक कर्मचारी ने दुखड़ा सुनाया। कहा-भिलाई के ट्रेड यूनियनों का भी ढुलमुल चरित्र है…। दिल्ली में नाइट शिफ्ट एलाउंस के साथ बायोमेट्रिक सिस्टम का साइन करके आते हैं और रायपुर जाकर आईडी लगाने की बात कहते हैं।

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कर्मचारी किस पर विश्वास करें, क्यों विश्वास करें और कैसे विश्वास करें?

वहीं, एनईपीपी साइन किया और उससे जुड़े पदनाम मुद्दे पर आईडी लगाने की बात कहते हैं। आखिर कर्मचारी किस पर विश्वास करें और क्यों विश्वास करें और कैसे विश्वास करें? इन्हीं सब मुद्दों को लेकर कर्मचारी यूनियनों के भरोसे रहने के बजाय प्रबंधन के आदेश निकलने के पहले ही बायोमेट्रिक करवा लिया।

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लेकिन यह तो सभी को आइना दिखा रहा है। हर चीज की शुरुआत भिलाई से होती है और ट्रेड यूनियन इसका जिस तरह से विरोध करना है नहीं कर पाते। नतीजा सबको भुगतना पड़ता है।

लेकिन यह सच्चाई है। ना ही ट्रेड यूनियनों ने उस तरीके से पूरी ईमानदारी के साथ इसका विरोध किया और ना ही कर्मचारियों ने उनका उस तरह से साथ दिया, तो बात लगभग बराबर है।

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बस थोड़ी सी छूट पहले मिलती थी

जो कर्मचारी वर्षों से अपना काम ईमानदारी से कर रहे थे। वह आज भी कर रहे हैं। बस थोड़ी सी छूट पहले मिलती थी, उसमें थोड़ी कमी आई है। लेकिन जो भागने वाले हैं। वह अभी भी भाग रहे हैं। नेता लोग अपने हिस्से की ईमानदारी और कर्मचारियों के बीच अपनी साख सम्मान खो चुके हैं, जिसका परिणाम कर्मचारियों ने उन पर भरोसा नहीं दिखाया।

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दिल्ली में बैठे कर्मचारी यूनियनों के बड़े नेता…

एक अहम सवाल आखिर दिल्ली में बैठे कर्मचारी यूनियनों के बड़े नेता सेल में लंबित वेतन समझौते एवं अन्य कर्मचारी मुद्दों को लेकर अभी तक नए इस्पात मंत्री से क्यों मिलने नहीं गए, जबकि नए इस्पात मंत्री सबसे मिल रहे हैं और उनकी बातें भी सुन रहे हैं।

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इस्पात मंत्री तो सबसे मिल रहे, फिर सेल वाले नेताजी…

और उस पर उन्होंने काम भी करना चालू कर दिया है। इसका ताजा उदाहरण RINL को लेकर के उनके पास एक प्रतिनिधिमंडल गया था और उन्होंने कहा था 15 दिनों के भीतर में RINL का दौरा करूंगा और उन्होंने दौरा भी किया। कर्मचारियों को आश्वासन भी दिया।

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कुल मिलाकर कर्मचारी यह मान रहे हैं, इन सारी समस्याओं का हल दिल्ली लेवल पर ही निकालना है, लेकिन यूनियनें अपनी साख बचाने के लिए यूनिट लेवल पर छोटे-मोटे कार्यक्रम लेकर कर्मचारियों को उलझाने की कोशिश कर रहे हैं।

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