कर्मचारी पेंशन योजना 1995: ईपीएफओ, EPS 95 पेंशन और मोदी सरकार, आगे क्या?

Employees Pension Scheme 1995: EPFO, EPS 95 Pension and Modi Government, What Next?
6 साल 105 दिनों से बुलडाणा में क्रमिक आंदोलन चल ही रहा है। किसी भी भाग्यविधाताओं के कान में जूं तक नही रेंग सका। बताइये क्या किया जाए?
  • लाखों पेंशनरों की पीड़ा दूर हो सकती है। बस मंशा नेक होने की जरूरत है,जो अब तक कहीं दिखाई ही नहीं दे रही है।

सूचनाजी न्यूज, रायपुर। कर्मचारी पेंशन योजना 1995 (Employee Pension Scheme 1995) के तहत न्यूनतम पेंशन और हायर पेंशन का मामला उलझा हुआ है। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन-ईपीएफओ (Employees Provident Fund Organization), ईपीएस 95 पेंशन (EPS 95 Pension) और केंद्र सरकार के बीच पेंशनभोगी फंसे हुए हैं।

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ईपीएस 95 पेंशन राष्ट्रीय संघर्ष समिति रायपुर (EPS 95 Pension National Struggle Committee Raipur) के अध्यक्ष Anil Kumar Namdeo मायूसी भरे शब्दों में कहते हैं आगे …..क्या? और किस प्रकार से लड़ना चाहिए। इस पर भी क्या कोई शुभचिंतक प्रकाश डालने की कृपा करेंगे। आप देख ही रहे हैं कि पिछले 10 सालो से लगातार सारे देश भर में  कमांडर अशोक राउत के नेतृत्व में गांधीवादी तौर तरीके के हर शांतिपूर्ण आन्दोलनों के तौर तरीको को इस्तेमाल लिया जा चुका है।

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धरना,रैली,अर्धनंग प्रदर्शन,सामूहिक मुंडन यहां तक कि आत्मदाह तक को भी शामिल किया गया। अभी 6 साल 105  दिनों से बुलडाणा में क्रमिक आंदोलन चल ही रहा है। किसी भी भाग्यविधाताओं के कान में जूं तक नही रेंग सका। बताइये क्या किया जाए?

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हार कर एक बार तो रेल रोको जैसे उग्र आंदोलन की भी सोची गई,पर तत्कालीन समय में चुनाव के मद्देनजर इसे स्थगित करना पड़ा। अब जनता की सरकार के सामने कौन सी रणनीति अपनाई जाए जिसे हम पर उनका रहमोकरम हो जाए….। यही संभवत सभी दुविधा की स्तिथि में हैं। राजनीति अगर कहीं हो रही है तो वो केवल अलग-अलग ग्रुप के नेतृत्व के बीच हो रही है।

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कोई एक दूसरे से हाथ मिला कर काम करने के सोच नहीं रख पा रहे हैं। मकसद एक, पर नेता अनेक…। ये तो पेंशनरों की ही नहीं इन दिनों पूरे देश की समस्या है। बताइये आप आगे क्या कहना चाहेंगे,जिस से लाखों EPS 95 पेंशनरों का भला हो सके। खास कर वो जो 1000 रुपये या इससे भी कम में अपनी जीवन नैया डूबने से बचाये की जद्दोजहद में लगे हुए हैं।

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लाखों तो कालकल्पित हो चुके हैं। सरकार भी जानती है,पर 7500 की मामूली रकम पेंशन में इजाफा किये जाने की दिशा में सरकार की राह में कौन सी मजबूरी हैं,वो साफ साफ बताती भी नहीं हैं। और “आपका काम हो रहा है” कह कह कर झूठी तसल्ली देने का आखिर सबब क्या हो सकता है…।

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अनिल रामदेव ने कहा-हम तो इसे पेंशनरों के साथ सबसे बड़ा धोका ही समझें नहीं तो क्या समझें। सुना है लोक लेखा नामक कमेटी ने 31.मार्च 2024 ने अपनी रिपोर्ट में एक सच्चाई उजागर की है कि EPFO के खाते में दावा विहीन मामलों के मद में 8.8 लाख करोड़ की रकम देनदारी मद में पड़ी हुई है, जिसका खर्च अन्य मद में नहीं किया जा सकता है,तो फिर सरकार इस पर कोई नीतिगत निर्णय ले कर लाखों पेंशनरों की पीड़ा दूर तो कर ही सकती है। बस मंशा नेक होने की जरूरत है,जो अब तक कहीं दिखाई ही नहीं दे रही है।

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