भिलाई स्टील प्लांट के कार्मिकों को याद आए आरक्षण के जनक छत्रपति शाहूजी महाराज

Bhilai Steel Plant employees remember Chhatrapati Shahuji Maharaj, the father of reservation
  • अपने हक अधिकार के लिए सजग होकर, संगठित तरीके से आगे आने की अपील।

सूचनाजी न्यूज, भिलाई। भिलाई इस्पात संयंत्र एससी/एसटी एम्पलाइज एसोसिएशन के अध्यक्ष एवं सेल एससी/एसटी फेडरेशन के उपाध्यक्ष कोमल प्रसाद की अध्यक्षता में डॉ. आम्बेडकर प्रेरणा स्थल, सेक्टर-6 में भारत वर्ष में आरक्षण के जनक छत्रपति शाहूजी महाराज की जयंती मनाई गई।

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जयंती समारोह के मुख्य अतिथि राजेन्द्र परगनिहा ने छत्रपति शाहूजी महाराज के तैलचित्र के समक्ष दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किए। तत्पश्चात उपस्थित सभी विशिष्ट अतिथियों ने सभी महापुरुषों के तैलचित्रों पर माल्यार्पण एवं पुष्पांजली अर्पित किए।

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Shramik Day

मुख्य अतिथि ने अपने उदबोधन में कहा कि गुलाम भारत में सामाजिक आरक्षण के जनक, छत्रपति शाहू जी महाराज ने 26 जुलाई 1902 को अपने कोल्हापुर रियासत के राजकाज के सभी क्षेत्रों में एकछत्र वर्चस्व रखने वाले तथाकथित उच्च जातियों के वर्चस्व को तोड़ने के लिए पिछड़े वर्गों के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण लागू किये थे।

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आज से लगभग 123 वर्ष पहले उन्होने भारत के लिए घोर अभिशाप जाति व्यवस्था के खिलाफ निर्णायक एवं महत्वपूर्ण कदम उठाये थे। उन्होंने आरक्षण के संबंध में जो आदेश जारी किये थे उसमें साफ लिखा है कि पिछड़े वर्गों में ब्राम्हण, प्रभु, शेवाई और पारसी को छोडकर सभी शामिल है। छत्रपति शाहू जी महाराज के द्वारा असमानता को खत्म करने एवं न्याय और सब को समान अवसर देने के लिए उठाए गये इस आरक्षण के कदम का अनुसरण करते हुए सन 1918 में मैसूर राज्य ने, सन 1921 में मद्रास जस्टिस पार्टी ने तथा सन 1925 में बाम्बे प्रेसीडेंसी ने आरक्षण लागू किया था, जो भारतीय संविधान के माध्यम से स्वतंत्र भारत में भी लागू है। जिसे लोग खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं। हमें अपने हक अधिकार के लिए सजग होकर, संगठित तरीके से आगे आना होगा।

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समारोह की अध्यक्षता कर रहे कोमल प्रसाद ने कहा कि छत्रपति शाहू जी महाराज कुर्मी मराठा भोंसले राजवंश के सम्राट थे, आपको प्रजापालक राजा होने की महान विरासत हासिल हुई थी। आपने डॉ आम्बेडकर के सामाजिक अभियान में भी अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। सन 1890 में महात्मा ज्योतिबा फुले के महापरिनिर्वाण के बाद, जब छत्रपति शाहूजी महाराज ने सन 1894 में अर्थात 20 वर्ष की अवस्था में कोल्हापुर राज्य की बागडोर संभाली थी।

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ज्योतिबा फुले के बाद उनके मानवतावादी विचारों को जनमानस में पहुंचाने की जिम्मेदारी छत्रपति शाहूजी महाराज ने तब तक उठाई जब तक डॉ आम्बेडकर का भारतीय राजनीति में पदार्पण नहीं हो गया। इस प्रकार हम पाते हैं कि सामाजिक परिवर्तन के इस महान आंदोलन में छत्रपति शाहू जी महाराज, महात्मा ज्योतिबा फुले जी एवं डॉ. आम्बेडकर जी के बीच की महत्त्वपूर्ण कड़ी थे।

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कार्यक्रम में उपस्थित विशिष्ट अतिथिगण विजय कुमार रात्रे, महासचिव भिलाई इस्पात संयंत्र एस.सी./एस.टी. एम्पलाईज एसोसिएशन, दशरथ प्रसाद अहिरवार, प्रदेश अध्यक्ष, राष्ट्रीय बौद्ध महासभा, गौतम दास साहू को फाउंडर ओबीसी महासभा, छत्तीसगढ़, चंद्रकला तारम, अध्यक्ष मातृ शक्ति संगठन, भिलाईनगर, भूषण नादिया, रेशमा आनंद ने भी अपने विचार व्यक्त किए।

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कार्यक्रम में सुरेश बंजारे, कुमार भारद्वाज, ज्ञानू मैत्रेय एवं उनकी टीम ने सामाजिक उत्थान से सबंधित मधुर गीतो से लोगों में चेतना जगाये। चेतन लाल राणा, कार्यकारी अध्यक्ष, वेद प्रकाश सूर्यवंशी उपाध्यक्ष, अनिल कुमार खेलवार, कोषाध्यक्ष, त्रिलोचन डहरे सहित बड़ी संख्या में मातृ शक्तियां उपस्थित थीं।

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