- सुरक्षा मानदंडों के अनुसार किसी भी बंद क्षेत्र में कटिंग/वेल्डिंग का कार्य करने से पहले वायु नमूना (air sample) की जांच करते ताकि कोई गैस का रिसाव हो तो बचा जा सके, यहां कुछ भी नहीं किया।
अज़मत अली, भिलाई। भिलाई स्टील प्लांट हादसे को लेकर रोज नई-नई बातें सामने आ रही हैं। उच्च प्रबंधन के भी होश उड़े हुए हैं। विभागीय अधिकारियों की लापरवाही का खामिया 4 मजदूरों को झुलसकर उठाना पड़ा। वहीं, सेल प्रबंधन की भी किरकिरी हो गई। जांच में नई बात सामने आई है कि जिस Confined Space में चार मजदूर झुलस गए, उसे Confined Space की सूची में रखा ही नहीं गया था।
इस लापरवाही को लेकर सेफ्टी डिपार्टमेंट पर अंगुली उठी। डिपार्टमेंट के अधिकारियों ने अपने बचाव में बयान दे दिया कि इस स्थान को Confined Space में विभाग ने रखा ही नहीं। जो स्थान पहले से Confined Space तय रहता है, वहां किसी तरह का भी कार्य करने से पहले सुरक्षा मापदंड का पालन सेफ्टी डिपार्टमेंट कराता है।

लेकिन यहां विभाग ने इसे सूची में शामिल ही नहीं किया, जिसकी जानकारी न होने की वजह से हादसा हो गया। Confined Space को सूची में शामिल नहीं कराने का आरोप एचओडी पर लग गया है। इसकी गाज भी गिरनी तय है।
छत्तीसगढ़ सरकार के डिप्टी डायरेक्टर हेल्थ एंड सेफ्टी आशुतोष पांडेय द्वारा घटनास्थल का मौका मुआयना करने के बाद Confined Space को लेकर कई सवाल दागे गए। पूछताछ में ही पता चला कि स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (Steel Authority Of India Limited) के भिलाई स्टील प्लांट में 1200 से अधिक Confined Space हैं। लेकिन, कांटीनुअस कास्टिंग शॉप के कास्टर नंबर 6 के टनल को Confined Space की सूची में शामिल ही नहीं किया गया, जिसकी वजह से वहां सुरक्षा मापदंड का पालन ही नहीं हो सका।
ठेकेदार के भरोसे 4 मजदूरों की जिंदगी दांव पर लगा दी गई। फिलहाल, 2 मजदूर रंजीत 100 प्रतिशत और अमित 80 प्रतिशत झुलसने की वजह से जिंदगी और मौत से सेक्टर-9 हॉस्पिटल में लड़ रहे हैं।
Confined Space को लेकर राज खुलने के बाद आशुतोष पांडेय ने बीएसपी को निर्देशित किया है कि तत्काल प्रभाव से सभी कार्यों को रोक दिया जाए। सेफ्टी के लिए जरूरी सुझावों पर अमल करने के बाद ही कैपिटल रिपेयर आदि कार्य शुरू किया जाए।
जानि भिलाई इस्पात संयंत्र में अग्नि दुर्घटना के बारे में
25 अप्रैल की दोपहर भिलाई इस्पात संयंत्र के सीसीएस विभाग के कास्टर नंबर 6 के लुब्रिकेशन कक्ष में वेल्डिंग कार्य के दौरान भीषण आग लगने से चार 4 मजदूर आग की चपेट में आकर बुरी तरह झुलस गए। पीड़ित मजदूरों में अमित सिंह 33 वर्ष, राजू तांडी 30 वर्ष, रमेश मौर्य 35 वर्ष, रंजीत सिंह 30 वर्ष शामिल हैं।
इसलिए सीटू ने उठाए सवाल
सीटू नेताओं का कहना है कि जहां अग्नि दुर्घटना हुई है वह एक बंद क्षेत्र (confined space) है। सुरक्षा मानदंडों के अनुसार किसी भी बंद क्षेत्र में कटिंग/वेल्डिंग का कार्य करने से पहले वहां के वायु नमूना (air sample) की जांच कर यह सुनिश्चित की जाती है कि वहां कोई गैस का रिसाव नहीं है। हवा की प्रकृति विस्फोटक मिश्रण की नहीं है, किंतु वेल्डिंग कार्य से पूर्व इस तरह की कोई सैंपल का परीक्षण नहीं किया गया था।