कार्डियक अरेस्ट केस: समय पर सीपीआर से बढ़ती है मरीज के जीवित रहने की उम्मीद

Cardiac arrest case: Timely CPR increases the patient's chances of survival
छात्रों ने विशेषज्ञों से हाई क्वालिटी सीपीआर, डिफिब्रिलेशन, कार्डियोवर्शन एवं पेसिंग का प्रशिक्षण प्राप्त किया।
  • नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय में बीएलएस एवं एसीएलएस के तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का हुआ समापन।

सूचनाजी न्यूज, रायपुर। कार्डियक अरेस्ट (Cardiac arrest) के केस में सही समय पर कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन (सीपीआर) (Cardiopulmonary Resuscitation ) नहीं मिलने पर रोगी की मृत्यु हो जाती है। कार्डियक अरेस्ट (Cardiac arrest) के केस में यह देखने को मिला है कि सही समय पर सीपीआर मिलने से व्यक्ति के जीवित रहने की संभावना 30 प्रतिशत तक बढ़ जाती है।

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वहीं सही समय पर सीपीआर नहीं मिलने पर हर एक मिनट में मृत होने की संभावना बढ़ती जाती है और लगभग 6 से 8 मिनट में मरीज की पूर्णतः मस्तिष्क क्षति हो जाती है जिसे मेडिकल भाषा में हाइपोक्सिक ब्रेन डैमेज कहते हैं। यह स्थिति तब निर्मित होती है जब मस्तिष्क को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिलता है।’’

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यह जानकारी बेसिक लाइफ सपोर्ट एवं एडवांस कार्डियक लाइफ सपोर्ट (Basic Life Support and Advanced Cardiac Life Support) की कार्यशाला के अंतिम दिन प्रशिक्षण देते हुए कोर्स इंस्ट्रक्टर डॉ. प्रतिभा जैन शाह ने प्रतिभागी चिकित्सा छात्रों को दी।

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पंडित जवाहर लाल नेहरू स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय (Pandit Jawaharlal Nehru Memorial Medical College) के चौथी मंजिल स्थित स्किल लैब में आयोजित इस कार्यशाला में प्रतिभागियों को आज हाई क्वालिटी सीपीआर, डिफिब्रिलेशन, कार्डियोवर्शन एवं पेसिंग की प्रैक्टिस करवाई गई।

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पं. नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय एवं अम्बेडकर अस्पताल के एनेस्थेसिया एवं पेन मैनेजमेंट विभाग द्वारा आयोजित इस कार्यशाला की कोर्स कोऑर्डिनेटर एवं इंस्ट्रक्टर विभागाध्यक्ष डॉ. प्रतिभा जैन शाह (Course Coordinator and Instructor Head of Department Dr. Pratibha Jain Shah) एवं इमर्जेंसी मेडिसिन विशेषज्ञ डॉ. शिवम पटेल (Emergency Medicine Specialist Dr. Shivam Patel) हैं।

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इनके साथ ही बालाजी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस रायपुर की डॉ. अनीषा नागरिया, रामकृष्ण केयर हॉस्पिटल रायपुर के इमरजेंसी मेडिसिन विशेषज्ञ डॉ. बालाजी शाह, गुजरात के डॉ. जनक खम्बोल्झा और एम्स जोधपुर की डॉ. भारती गिंडलानी ने छात्रों को बीएलएस एवं एसीएलएस कोर्स का प्रशिक्षण दिया।

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आपात स्थितियों में लोगों की जीवन रक्षा करने के लिए आयोजित इस कार्यशाला की सराहना करते हुए अधिष्ठाता डॉ. विवेक चौधरी ने कहा कि व्यक्ति को कार्डियक अरेस्ट कहीं भी, किसी भी जगह हो सकता है ऐसे में बेसिक लाइफ सपोर्ट कोर्स से प्राप्त प्रशिक्षण की मदद से हम लोगों का बहुमूल्य जीवन बचा सकते हैं। यह कोर्स हमें सिखाता है कि विपरीत पस्थितियों में बिना घबराये नाड़ी और श्वसन गति का परीक्षण करके हम व्यक्ति की जान बचा सकते हैं।

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स्कूल-कॉलेज में भी बेसिक कार्डियक लाइफ सपोर्ट की ट्रेनिंग

इमर्जेंसी मेडिसिन विशेषज्ञ डॉ. शिवम पटेल ने हाई क्वालिटी सीपीआर का प्रशिक्षण देते हुए बताया कि 30 बार चेस्ट कंप्रेशन के बाद 2 बार ब्रेथ देना होता है। सीपीआर कोई भी कर सकता है इसके लिए डॉक्टर या मेडिकल टीम होना जरूरी नहीं है।

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आजकल स्कूल-कॉलेज में भी बेसिक कार्डियक लाइफ सपोर्ट (Basic Life Support and Advanced Cardiac Life Support) की ट्रेनिंग दी जाती है। लोगों की अधिक से अधिक जीवन रक्षा के लिए इस प्रशिक्षण पर और अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है और ऐसे प्रोग्राम को सपोर्ट करने की जरूरत भी है।

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छात्रों को चेस्ट कंप्रेशन

विशेषज्ञों ने बेसिक लाइफ सपोर्ट (Basic Life Support) के अंतर्गत छात्रों को चेस्ट कंप्रेशन (जीवन रक्षा के लिए छाती पर दबाव डालने की विधि) की प्रक्रिया के बारे में विस्तार से बताया और मैनकिन (डमी) में बारी-बारी से सबको अभ्यास करवाया। एडवांस कार्डियक लाइफ सपोर्ट के बारे में पढ़ाते हुए विशेषज्ञ डॉ. जनक खम्बोल्झा ने कार्डियक अरेस्ट के पहले मरीज में होने वाले साइन और सिम्पटंम्स के बारे में पढ़ाया।

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उन्होंने कार्डियक अरेस्ट (Cardiac Arrest) को रोकने के उपाय बताये। मरीज को कब, कितने एनर्जी से शॉक देना है और हार्ट रेट एवं रिदम को नॉर्मल लाने की प्रैक्टिस करवायी गई। सभी छात्रों को ग्रुप में बांट कर, बारी-बारी सबको टीम लीडर बनाकर रियल टाइम केस सिनेरियो देकर प्रैक्टिस करवाई गई। सभी की लिखित और प्रायोगिक परीक्षा ली गई जिसमें उत्तीर्ण होने का अंक 84 प्रतिशत था। सभी छात्र इस परीक्षा में शत-प्रतिशत उत्तीर्ण हुए।

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