खामोश हड़ताल रही सफल: CITU ने कहा-25 करोड़ से ज्यादा मजदूरों ने भागीदारी की, शोषण अब बर्दाश्त नहीं

CITU said- the strike was successful, more than 25 crore workers participated, exploitation cannot be tolerated anymore
  • केरल, त्रिपुरा, पश्चिम बंगाल, पुडुचेरी, असम, बिहार, झारखंड, तमिलनाडु, पंजाब और मणिपुर में बंद जैसा माहौल देखा गया।

सूचनाजी न्यूज, दिल्ली। भारतीय ट्रेड यूनियन केंद्र (सीटू) द्वारा 9 जुलाई की अखिल भारतीय आम हड़ताल की ऐतिहासिक सफलता पर श्रमिक वर्ग को बधाई देते हुए कहा कि यह हड़ताल पूरे देश में अभूतपूर्व रूप से सफल रही है। इस हड़ताल में जहां किसानों, खेतिहर मजदूरों और श्रमिकों की मजबूत एकता दिखाई वहीं सभी वर्गों के लोग आम हड़ताल के समर्थन में एकजुट हुए।

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इस हड़ताल के माध्यम से मजदूर वर्ग ने चेतावनी दिया कि मजदूरी संहिता के नाम पर आधुनिक गुलामी को स्वीकार नहीं करेंगे।

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25 करोड़ से ज्यादा मजदूरों ने भागीदारी की इस हड़ताल में

सीटू का कहना है कि 9 जुलाई 2025 को हुई अखिल भारतीय आम हड़ताल में देशभर के 25 करोड़ से अधिक मजदूरों की भागीदारी को सीटू सलाम करता है। यह श्रमिक वर्ग की एकता और संघर्ष का ऐतिहासिक प्रदर्शन है जिसने मोदी सरकार और कॉर्पोरेट ताकतों को स्पष्ट संदेश दिया है।

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श्रमिकों के अधिकारों का दमन और शोषण अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। किसान और कृषि मज़दूर संयुक्त किसान मोर्चा अखिल भारतीय किसान सभा एवं अखिल भारतीय खेत मजदूर यूनियन के बैनर तले ट्रेड यूनियनों के साथ मिलकर बड़ी संख्या में शामिल हुए। महिला, युवा, छात्र सहित सभी वर्गों की व्यापक भागीदारी रही।

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हड़ताल के प्रभावी आयोजन से कई प्रमुख क्षेत्रों में कामकाज ठप रहा

– कोयला और गैर-कोयला खनिज (लोहा, तांबा, बॉक्साइट, एल्यूमिनियम, मैंगनीज़, सोना)
– वित्तीय क्षेत्र – बैंक, एल आई सी, जी आई सी
– तेल और गैस क्षेत्र
– केंद्रीय एवं राज्य सरकारी कर्मचारी – विशेष रूप से डाक सेवाएं, आयकर, ऑडिट आदि
– दूरसंचार
– जूट मिलें, टेक्सटाइल, प्लांटेशन
– मेडिकल और सेल्स प्रतिनिधि
– आई टी और आई टी ईस
– सार्वजनिक और निजी परिवहन सेवाएं
– औद्योगिक क्षेत्र – कई एम एन सी में मज़दूरों की सक्रिय भागीदारी
– रक्षा क्षेत्र कर्मचारियों द्वारा एक घंटे का प्रदर्शन; रेलवे यूनियन द्वारा समर्थन
– निर्माण, बीड़ी उद्योगों के मज़दूर
– स्कीम वर्कर्स – आंगनवाड़ी, आशा, मिड-डे मील आदि की बड़ी भागीदारी
– घरेलू कामगार, फेरीवाले, हेड-लोड वर्कर्स, निजी सुरक्षा कर्मचारी, रिक्शा/ऑटो/टैक्सी चालक
– सार्वजनिक क्षेत्र कर्मचारियों और कॉन्ट्रैक्ट वर्कर्स की भागीदारी, प्रबंधन की धमकियों के बावजूद
– बिजली विभाग की शानदार हड़ताल
– प्लेटफ़ॉर्म वर्कर्स-उबर,ओला ,स्वीगी,रेपीडो आदि में हड़ताल
– मणिपुर में संघर्ष और दमन के बावजूद सफल हड़ताल
– केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू कश्मीर, पुडुचेरी और अंडमान निकोबार में प्रभावी हड़ताल

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कई राज्यों में “रास्ता रोको” और “रेल रोको” आंदोलन आयोजित

केरल, त्रिपुरा, पश्चिम बंगाल, पुडुचेरी, असम, बिहार, झारखंड, तमिलनाडु, पंजाब और मणिपुर में बंद जैसा माहौल देखा गया। वही राजस्थान और तेलंगाना के कुछ क्षेत्रों में आंशिक बंद की खबरें आईं।

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यह ऐतिहासिक हड़ताल देश में सरकार की कॉर्पोरेट समर्थक नीतियों के खिलाफ गुस्से और प्रतिरोध की लहर का प्रतीक है। आने वाले समय में क्षेत्रीय स्तर पर आंदोलन तेज होंगे और एक वैकल्पिक नीति व्यवस्था के लिए एकजुट राष्ट्रीय आंदोलन की नींव डाली जाएगी।

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