EPS 95 Minimum-Higher Pension: सेवानिवृत्त कर्मचारी समन्वय समिति का EPFO और पीएम मोदी के खिलाफ फरमान

  • भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ मतदान करने का निर्णय लिया गया है।

सूचनाजी न्यूज, छत्तीसगढ़। EPS 95 न्यूनतम पेंशन (EPS 95 Minimum Pension) को 1000 से 7500 रुपए करने की मांग लंबे समय से की जा रही है, लेकिन सरकार मुराद पूरी नहीं कर सकी है। पेंशनर्स सरकार, ईपीएफओ पर भड़के हुए हैं। इस बीच सेवानिवृत्त कर्मचारी (1995) समन्वय समिति ने बापू कुटी सेवाग्राम, वर्धा में आयोजित केंद्रीय कार्यकारिणी बैठक में भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ मतदान करने का निर्णय लिया गया है।

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सेवानिवृत्त कर्मचारी (1995) समन्वय समिति (Retired Employees (1995) Coordination Committee) के राष्ट्रीय महासचिव प्रकाश पाठक और सेवानिवृत्त कर्मचारी (1995) समन्वय समिति के राष्ट्रीय कानूनी सलाहकार दादा तुकाराम झोडे की अपील सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही है।

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पेंशनर्स Vilas Ramchandra Gogawale ने अपील को सोशल मीडिया पर पोस्ट किया है। उल्लेख किया गया है कि ईपीएस 95 पेंशनभोगी मित्रों, विनम्र निवेदन, चुनौती और सावधानी का विनम्र भाव। आप सभी के लिए 2024 का लोकसभा चुनाव युद्ध का विषय है। चाहे कोई कुछ भी कहे। हम पिछले 12-13 वर्षों से अपने अधिकारों के लिए लड़ रहे हैं।

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भगत सिंह कोशियारी कमेटी की रिपोर्ट

भगत सिंह कोशियारी कमेटी की रिपोर्ट 2013 में आई और उसके बाद हमारी तय मांग पर जोर दिया गया। लोकसभा चुनाव 2014 में हुए थे और इस 2014 लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने आपको आश्वस्त किया और अपना वोट प्राप्त किया।

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“अच्छे दिन” आएंगे, पर आए नहीं

2014 में जब भाजपा केंद्र सरकार आई तो हम सब खुश थे। तुमने सोचा, हमारे सच में “अच्छे दिन” आएंगे, भगत सिंह कोशियारी समिति की सिफारिश पर लागू करेंगे। महंगाई भत्ता आदि मिलेगा। लेकिन हम बेवकूफ बन गए। भारतीय जनता पार्टी के नेताओं से किये वादे पूरे, लेकिन इसके विपरीत नेताओं से हमें बहुत बुरा और अप्रत्याशित जवाब मिला है।

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पीएम मोदी से भी खुश नहीं पेंशनर्स

भाजपा के अन्य नेताओं को छोड़ देना चाहिए, नरेंद्र मोदी के वादे उन्होंने खुद पूरे नहीं किए। भगत सिंह कोशियारी कमेटी की सिफारिश के अनुसार तो छोड़ो 2000 का 1000 रुपये भी नहीं हुआ। पिछले दस साल में मोदी सरकार ने एक पैसा भी नहीं बढ़ाया।

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सरकार को पेंशनर्स रक्षक समझते थे

हैरानी की बात है जिस भाजपा सरकार को हम पेंशनरों का रक्षक समझते थे, उसने सरकार बनने के बाद 2014 में उच्च पेंशन रियायतें रोक दी और EPS पेंशनरों पर पहला गंभीर “घाव” लगा दिया।

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उच्च पेंशन की उम्मीदें हिल गईं

2016 में आरसी गुप्ता केस का नतीजा हमारे पक्ष में आया था। ईपीएफओ ने 23-03-2017 को सर्कुलर हटा कर अमल की तैयारी दिखाई। हम फिर से खुश हैं, हमारी उच्च पेंशन की उम्मीदें हिल गईं। लेकिन फिर 31-05-2017 ने तुरंत एक और सर्कुलर हटा दिया और निराश हो गए। जीवन के अंतिम चरण में हमें कोर्ट जाने को मजबूर किया गया।

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केरल हाईकोर्ट ने पक्ष में फैसला दिया

बाद में 12-10-2018 को केरल हाईकोर्ट ने हमारे पक्ष में परिणाम दिया। EPFO सुप्रीम कोर्ट गया, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने भी हमारे पक्ष में परिणाम 1-04-2019 को निकाल दिया और हाई पेंशन के रास्ते खोल दिए। लेकिन इसके तुरंत बाद भाजपा माता-पिता की सरकार ने हमारे देश के गरीब बुजुर्ग नागरिकों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में “विशेष याचिका” दायर की।

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देश के 90 वर्षीय, पद्मभूषण पद्मविभूषण अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल को हमारे खिलाफ उठाया गया, उन्हें सुप्रीम कोर्ट में झूठ बोलकर केंद्र सरकार की विशेष याचिका दायर की। बाद में बीजेपी की मर्जी में उ.यू. ललित की रोटेशन के सामने हमारे केस दर्ज करके 1-04-2019 को हमारे पक्ष में फैसला 4-11-2022 को बदलकर किया गया।

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विशेष याचिका दायर

31-05-2017 के सर्कुलर और केरल हाईकोर्ट के 12-10-2018 के फैसले को लेकर केंद्र सरकार ने आश्वासन दिया था कि ” सुप्रीम कोर्ट पेंशनरों के पक्ष में फैसला देगा तो उसे लागू किया जाएगा” लेकिन 1-04-2019 को हमारी तरफ से फैसला होने के बाद भी उसे बदल दिया गया एक विशेष याचिका दायर करके हमारे खिलाफ।

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पेंशनरों के बारे में धमकी

मोदी सरकार ने हमारे पेंशनरों के बारे में बहुत बड़ी धमकी देकर “कमीना” बना दिया है, जो सरकार को शोभा नहीं देता। बाद में अंत में 4-11-22 को एक सर्कुलर 29-12-22 को और दूसरा 25-01-2022 को वापस लेते हुए और 1-09-2014 से पहले रिटायर हुए जिन लोगों ने मांग पर भुगतान किया और फिर जिनकी पेंशन बढ़ी, उन लोगों पर बंद कर दिया गया। उनकी उच्च पेंशन 1-09-2014 के बाद सेवानिवृत्त हुई सुप्रीम कोर्ट के निर्णय 1 द्वारा लिया गया है। 5 साल हो गए और अभी तक शुरू नहीं हुआ है और कब होने वाला है बता नहीं सकता।

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न्यूनतम पेंशन और उच्च पेंशन और बीजेपी का नजरिया

सेवानिवृत्त कर्मचारी (1995) समन्वय समिति की बैठक में कहा गया कि इन सब अनुभव पर दृढ़ता से विश्वास है कि अगर भाजपा सरकार सत्ता में आती है तो दोनों को न्यूनतम पेंशन और उच्च पेंशन नहीं मिलेगी (भले ही सुप्रीम कोर्ट के फैसले हमारे पक्ष में हो) और गरीब वरिष्ठ नागरिक जिनके पास कोई नहीं है उनके पास भीख मांगने के अलावा कोई चारा नहीं होगा मर जाओ।

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इतने सारे लोगों की कम पेंशन, रहने या किसी अन्य कारणों से बंद हो गई है। 5 लाख लोग बिना इंसाफ मिले मर गए, लेकिन मोदी सरकार ने कभी परवाह नहीं की। तब की भाजपा सरकार और भारतीय जनता पार्टी, हमारे लिए अत्यंत “खतरनाक” है।

इसलिए सेवानिवृत्त कर्मचारी (1995) समन्वय समिति ने बापू कुटी सेवाग्राम, वर्धा में आयोजित केंद्रीय कार्यकारिणी बैठक में भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ मतदान करने का निर्णय लिया है।

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