- पेंशनर्स ने लिखा-न्यूनतम पेंशन एक हजार रुपये को बढ़ाने की मांग जायज नहीं लगती है। जबकि वे सरकार से भिक्षा नहीं मांग रहे हैं।
सूचनाजी न्यूज, छत्तीसगढ़। ईपीएस 95 पेंशन पर पेंशनर्स की अलग ही रणनीति बनी हुई है। लोकसभा चुनाव से पहले सरकार की चौखट पर हाजिरी लगाने वाले पेंशनर्स अब तरह-तरह की बातें कर रहे हैं।
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एक पेंशनर्स ने लिखा-प्रिय मतदाता, मैं आप सभी से अपील करना चाहता हूं कि आप EPS 95 वृद्धावस्था पेंशनर्स का समर्थन करें, जिन्होंने न्यायाधीश पक्ष द्वारा न्यूनतम पेंशन के मामले में धोखा खाया है। मुझे आपसे याचना है कि आप चुनावी दिशा में प्रचार करें और कम से कम 10 व्यक्तियों को पेंशनर्स के पक्ष में जोड़ने का प्रयास करें। वृद्धावस्था पेंशनर्स के समर्थन में आपका सहयोग महत्वपूर्ण है।
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कहां गई मोदीजी की गारंटी?
पेंशनर्स Indranath Thakur के पोस्ट में पेंशनभोगियों का दर्द साझा किया गया है। उन्होंने लिखा कि जो सरकार देश के बुजुर्गों और लाचारों की परवाह नहीं करती है, बल्कि उनके जमा धन को भी जब्त कर लेती है। वो देश का कभी सगा नहीं कहला सकता है।
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जिस सरकार का अहंकार देश के बड़े बुजुर्गों की शान्तिपूर्ण एवं करुणामय पुकार से सहम नहीं जाता है, उसे उनका श्राप लगना स्वाभाविक है।
सरकार किसान प्रोटेस्ट तथा सीएए कानून के विरोध में किये गये हिंसात्मक आन्दोलन की भाषा को ही समझ सकती है। उसे बूढ़े बुजुर्गों का न्यूनतम पेंशन एक हजार रुपये को बढ़ाने की मांग जायज नहीं लगती है। जबकि वे सरकार से भिक्षा नहीं मांग रहे हैं।
अपने कंट्रीब्यूशन का उचित ब्याज भी 15000 बनता है। किन्तु न्यूनतम पेंशन के लिए उनकी मांग उसकी आधी रकम 7500+DA था। किन्तु भारत की सरकार को यह मंजूर नहीं हुआ। कहां गई मोदीजी की गारंटी?
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