- सेल को विस्तारीकरण का बड़ा लक्ष्य दिया गया है, जिसके तहत एक लाख करोड़ रूपये की राशि का निवेश 2030 तक करने की योजना है।
- स्टील एग्जीक्यूटिव फेडरेशन आफ इंडिया-सेफी ने इस्पात क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रमों का रणनीतिक विलय हेतु प्रधानमंत्री से किया आग्रह।
सूचनाजी न्यूज, भिलाई। देश की सरकारी स्टील कंपनियों (Government Steel Company) के विलय का पत्र एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) के पास भेजा गया है। स्टील एग्जीक्यूटिव फेडरेशन आफ इंडिया-सेफी (Steel Executives Federation of India-SEFI) के चेयरमैन नरेंद्र कुमार बंछार ने पीएम से मर्जर की गुहार लगाई है।
सेफी ने नई दिल्ली में 04.04.2021 को आयोजित सेफी काउंसिल की बैठक में इस्पात क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रमों के रणनीतिक विलय हेतु संकल्प पारित किया था। जिससे सेफी से संबद्ध इस्पात मंत्रालय के अधीन उपक्रम सेल, आर.आई.एन.एल., नगरनार इस्पात संयंत्र, एन.एम.डी.सी., मेकॉन आदि का रणनीतिक विलय कर इस्पात मंत्रालय के अंतर्गत एक मेगा स्टील पीएसयू का गठन किया जा सके।
सेफी के संकल्प को आधार बनाकर 15.12.2021 को लोकसभा में इस्पात क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रमों के रणनीतिक विलय के विषय पर चर्चा की गई। इसी कड़ी में सेफी ने माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी से दिनांक 07.05.2025 को अनुरोध किया था कि सार्वजनिक क्षेत्र के सभी इस्पात उपक्रमों का रणनीतिक विलय किया जाए।
इस्पात मंत्रालय द्वारा सेफी को सूचित किया गया कि इस अपील को सुझाव के रूप में स्वीकार किया गया है। इस्पात मंत्रालय के संयुक्त सचिव श्री दया निधान पाण्डेय ने यह पत्र सेफी चेयरमेन नरेन्द्र कुमार बंछोर को प्रेषित किया है।
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विस्तारीकरण का मेगा प्लान
विदित हो कि भारत सरकार के इस्पात मंत्रालय के निर्देशानुसार सेल जैसे सार्वजनिक क्षेत्र के महारत्न कंपनी को सरकार के इस्पात नीति 2030 के तहत क्षमता विस्तार (20 मिलियन टन से 35 मिलियन टन) हेतु निर्देशित किया गया है। इसके तहत सेल को विस्तारीकरण का बड़ा लक्ष्य दिया गया है जिसके तहत एक लाख करोड़ रूपये की राशि का निवेश 2030 तक करने की योजना है।
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नगरनार, आरआइएनएल के पास ये क्षमता
सेफी का मानना है कि भविष्य में इस मद में की जाने वाली निवेश की राशि से आर.आई.एन.एल. (उत्पादन क्षमता 7.3 मिलियन टन) एवं नगरनार इस्पात संयंत्र (उत्पादन क्षमता 3 मिलियन टन) जैसी इकाईयों का रणनीतिक विलय कर जहां सेल के विस्तारीकरण के लक्ष्य को शीघ्र ही प्राप्त किया जा सकता है वहीं इन कंपनियों के कार्मिकों के हितों की रक्षा तथा क्षेत्र के सामाजिक दायित्वों का निवर्हन को भी प्राथमिकता देते हुए इसका बेहतर संचालन किया जा सकता है।
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सरकारी संपत्तियों को बेचने से बचाइए
इन राष्ट्रीय संपत्तियों को विनिवेश से बचाया जा सकेगा जिससे इन इकाईयों से जुड़े परिवारों, समाजों को प्राप्त प्रत्यक्ष रोजगार तथा इससे सृजित अपरोक्ष रोजगार को सुरक्षित रखा जा सकेगा। सरकार का यह कदम जहां क्षेत्र के विकास को एक नई गति देगा वहीं बस्तर जैसे दुर्गम वनांचल क्षेत्र में सामाजिक, आर्थिक एवं अधोसंरचना विकास को नई दिशा देने में सफल हो सकेगी।
अंधाधुंध निजीकरण के बजाय पुर्नगठन पर करें काम
वर्तमान में भारत सरकार ने राष्ट्रीय एवं सामाजिक विकास को पहली प्राथमिकता दी है। अतः इस संदर्भ में इस तरह की रणनीतिक विलय से एक बड़े सार्वजनिक क्षेत्र का उदय होगा जो भारत सरकार के विकास की रणनीति को सफल बनाने में योगदान देगा। इस संदर्भ में ज्ञात हो कि भारत सरकार द्वारा इस तरह के रणनीतिक विलय बैंको में किया गया जहां इसका बेहतर परिणाम प्राप्त हुआ है।
सार्वजनिक क्षेत्र के इस्पात उपक्रमों के अधिकारियों का अपेक्स संगठन सेफी प्रारंभ से ही सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के अंधाधुंध निजीकरण एवं विनिवेश के स्थान पर, पुर्नगठन तथा रणनीतिक समायोजन पर जोर देता रहा है।
रोजगार के साथ सोशल वेलफेयर पर भी 6 दशक से काम हुआ
इस्पात क्षेत्र की सार्वजनिक उपक्रमों में पिछले 6 दशकों में देश के भिन्न स्थानों में इस्पात संयंत्रों के माध्यम से न सिर्फ रोजगार का सृजन किया है बल्कि स्वास्थ्य, शिक्षा, आधारभूत इंफ्रास्ट्रक्चर तथा सीएसआर गतिविधियों के माध्यम से अपने आसपास के क्षेत्र का समग्र विकास किया है। आज देश में “मध्यम वर्ग“ के नाम से प्रसिद्ध, सुशिक्षित व सक्षम वर्ग मूलतः इसी प्रकार के सार्वजनिक उपक्रमों के कारण ही फलफूल पाया और देश की आर्थिक, शैक्षणिक उन्नति का कारण बना। विकास के इस समावेशी मॉडल को बचाने की सख्त जरूरत है जिससे कि एक सक्षम नागरिक एक मजबूत राष्ट्र का निर्माण कर सके। इस्पात क्षेत्र ने पिछले 65 वर्षों में राष्ट्र निर्माण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
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विनिवेश किये जाने वाले इन इकाईयों की क्षमता पर अगर गंभीरतापूर्वक विचार करें तो इन इकाईयों के अलग-अलग क्षमताओं तथा उपलब्ध संसाधनों को मिलाकर एक लाभकारी रणनीति बनाई जा सकती है जिसमें इन इकाईयों को विनिवेश की आवश्यकता नहीं होगी।
विशाखापट्टनम स्टील प्लांट पर खास ध्यान
उदाहरण के लिए आज आरआईएनएल के पास कुशल व तकनीकी क्षमता से परिपूर्ण मानव संसाधन उपलब्ध है परंतु इनके पास स्वयं का लौह अयस्क माइंस नहीं होने के कारण कच्चे माल की कमी तथा कच्चे माल को अधिक कीमत में खरीदने की बाध्यता ने इस कंपनी के लाभार्जन की क्षमता को न्यूनतम कर दिया है।
नगरनार स्टील प्लांट पर ये कहा
विदित हो कि छत्तीसगढ़ के आदिवासी अंचल बस्तर स्थित नगरनार इस्पात संयंत्र को दिनांक 03.10.2023 को प्रधानमंत्री द्वारा राष्ट्र को समर्पित किया गया था। उन्होंने बस्तर की जनभावनाओं को ध्यान में रखते हुए लोगों को आश्वस्त किया कि नगरनार इस्पात संयंत्र के मालिक बस्तर के लोग होंगे। विदित हो कि नगरनार इस्पात संयंत्र के निर्माण में 24 हजार करोड़ रूपये का निवेश किया गया है। इसके संचालन हेतु तकनीकी मानव संसाधन की भारी कमी है। जिसके फलस्वरूप वर्तमान में इस अत्याधुनिक संयंत्र को चलाने हेतु सेल के सेवानिवृत्त अधिकारियों व सेवानिवृत्त कर्मचारियों की सेवाएं ली जा रही है।
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अतः इन इकाईयों के रणनीतिक विलय से जहां एक इकाई को कच्चा माल उपलब्ध हो पाएगा वहीं दूसरी इकाई को तकनीकी क्षमता से परिपूर्ण मानव संसाधन मिलने में सहुलियत होगी। इस प्रकार दोनों ही कंपनियां एक दूसरे की पूरक बनकर लाभार्जन करने लगेगी जो राष्ट्र को आर्थिक संबलता प्रदान करेगा।
मेगा पीएसयू का निर्माण किया जाए
राष्ट्रहित में लाभार्जन की इस क्षमता को बढ़ाने हेतु आर.आई.एन.एल. तथा नगरनार इस्पात संयंत्र को विनिवेश के बजाए इनका रणनीतिक विलय महारत्न कंपनी सेल के साथ कर एक मेगा पीएसयू का निर्माण किया जाना आवश्यक है। इस प्रकार देश इस्पात क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर तेजी से अग्रसर होने के साथ ही रोजगार सृजन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
साथ ही सीएसआर गतिविधियों को भी गति प्रदान कर सामाजिक तथा सांस्कृतिक उत्थान के भारत सरकार के लक्ष्यों को भी तेजी से पूर्ण करना संभव हो सकेगा। इस रणनीतिक विलय से सरकार के विकास के एजेंडे को भी नई दिशा मिलेगी।
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समय, ऊर्जा तथा आर्थिक संसाधनों की बचत होगी
सेफी अध्यक्ष नरेन्द्र कुमार बंछोर ने बताया कि प्रस्तावित संयंत्र एक दूसरे के अनुपूरक बन सकते हैं। इस्पात मंत्रालय को सेफी के रणनीतिक विलय के सुझाव पर विचार करना चाहिए। यदि सेल, आर.आई.एन.एल. व नगरनार इस्पात संयंत्र को एक मेगा कंपनी बनाया जाता है तो इस कंपनी के पास उन्नत इस्पात संयंत्र तथा प्रचुर मात्रा में आयरन अयस्क और निर्यात हेतु स्वयं का पोर्ट उपलब्ध रहेगा जिससे यह राष्ट्र के लिए अत्यंत ही लाभकारी होगा।
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अतः केन्द्र शासन को इसके निजीकरण के स्थान पर इसके पुर्नगठन व रणनीतिक विलय कर इसका सुनियोजित संचालन हेतु प्रयास किया जाना चाहिए। जिससे समय, ऊर्जा तथा आर्थिक संसाधनों की बचत होगी।
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