- भारत के असंगठित कार्यबल के लिए वित्तीय सुरक्षा सुनिश्चित करने पर फोकस।
- असंगठित क्षेत्र से संबंधित उन श्रमिकों के लिए 60 वर्ष की आयु के बाद मिलेगी 3,000 पेंशन।
- न्यूनतम मासिक पेंशन सुनिश्चित करती है, जिनकी मासिक आय 15,000 रुपये तक है।
सूचनाजी न्यूज, दिल्ली। पीएम-एसवाईएम असंगठित क्षेत्र के पंजीकृत श्रमिकों को बुढ़ापे में मासिक पेंशन सुनिश्चित करेगा। अनौपचारिक क्षेत्र में काम करने वाले करोड़ों श्रमिकों के लिए ऐसी योजना की परिकल्पना की गई है।
प्रधानमंत्री श्रम योगी मानधन (पीएम-एसवाईएम), केंद्र सरकार द्वारा असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने के लिए शुरू की गई एक स्वैच्छिक और अंशदायी पेंशन योजना है। यह योजना असंगठित क्षेत्र से संबंधित उन श्रमिकों के लिए 60 वर्ष की आयु के बाद 3,000 रुपये की न्यूनतम मासिक पेंशन सुनिश्चित करती है, जिनकी मासिक आय 15,000 रुपये तक है। यह योजना असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए एक सम्मान है, जो देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में लगभग 50 प्रतिशत का योगदान करते हैं।
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असंगठित क्षेत्र के कामगारों में ज़्यादातर घर में काम करने वाले मजदूर, रेहड़ी-पटरी वाले, मिड-डे मील वर्कर, सिर पर बोझा ढोने वाले, ईंट भट्ठा मजदूर, मोची, कूड़ा बीनने वाले, घरेलू कामगार, धोबी, रिक्शा चालक, भूमिहीन मजदूर, कृषि मजदूर, निर्माण स्थल पर काम करने वाले मजदूर, बीड़ी मजदूर, हथकरघा मजदूर, चमड़ा मजदूर, ऑडियो-विजुअल मजदूर या इसी तरह के दूसरे कामों में लगे हुए कामगार शामिल हैं। ई-श्रम पोर्टल के अनुसार, 31 दिसंबर 2024 तक 30.51 करोड़ से ज़्यादा असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले मजदूर पंजीकृत हैं।
पीएम-एसवाईएम को अंतरिम बजट 2019 में पेश किया गया था। यह योजना श्रम एवं रोजगार मंत्रालय द्वारा भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) और कॉमन सर्विस सेंटर ई-गवर्नेंस सर्विसेज इंडिया लिमिटेड (सीएससी एसपीवी) (Common Service Centre e-Governance Services India Limited (CSC SPV)) के सहयोग से निर्बाध कार्यान्वयन के लिए प्रशासित की जाती है।
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एलआईसी पेंशन फंड मैनेजर है और पेंशन भुगतान के लिए उत्तरदायी है। यह योजना सरकार की व्यापक सामाजिक सुरक्षा पहलों का एक हिस्सा है और असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए सार्वभोमिक पेंशन कवरेज के विजन के अनुरूप है ।
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पीएम-एसवाईएम की मुख्य विशेषताएं
प्रधानमंत्री श्रम योगी मानधन योजना असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए बुढ़ापे में वित्तीय सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए अनेक लाभ प्रदान करती है।
न्यूनतम सुनिश्चित पेंशन : 60 वर्ष की आयु के बाद ₹3,000 प्रति माह।
सरकारी अंशदान : केंद्र सरकार 1:1 के आधार पर श्रमिक के अंशदान के बराबर अंशदान करती है।
स्वैच्छिक और अंशदायी : यह योजना स्वैच्छिक है, जो श्रमिकों को उनकी सामर्थ्य और आवश्यकता के आधार पर अंशदान करने की अनुमति देती है।
पारिवारिक पेंशन : यदि लाभार्थी की मृत्यु हो जाती है, तो पति/पत्नी को पेंशन राशि का 50 प्रतिशत पारिवारिक पेंशन के रूप में मिलता है। पारिवारिक पेंशन केवल पति/पत्नी को ही मिलती है।
निकास प्रावधान : प्रतिभागी निर्दिष्ट शर्तों (धारा 9 में विस्तृत रूप में है) के अधीन योजना से बाहर निकल सकते हैं।
आसान पंजीकरण : पात्र श्रमिक सामान्य सेवा केंद्रों (सीएससी) या मानधन पोर्टल के माध्यम से पंजीकरण करा सकते हैं।
निधि प्रबंधन : यह योजना एलआईसी द्वारा प्रशासित है, जो वित्तीय स्थिरता और विश्वसनीयता सुनिश्चित करती है।
पात्रता मानदंड
पीएम-एसवाईएम में पंजीकरण के लिए, व्यक्तियों को निम्नलिखित पात्रता शर्तों को पूरा करना होगा:
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आयु आवश्यकता : 18 से 40 वर्ष।
आय सीमा : मासिक आय ₹15,000 या उससे कम होनी चाहिए।
असंगठित क्षेत्र रोजगार : निम्नलिखित व्यवसायों में लगे श्रमिक:
रेहड़ी-पटरी वाले, कूड़ा बीनने वाले, रिक्शा चालक
निर्माण स्थल पर काम करने वाले श्रमिक, दिहाड़ी मजदूर
कृषि श्रमिक, बीड़ी श्रमिक
घरेलू कामगार, बुनकर, कारीगर, मछुआरे, चमड़ा कामगार आदि।
एक्सक्लूजन मानदंड : कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ), कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआईसी), या राष्ट्रीय पेंशन योजना (एनपीएस) के अंतर्गत कवर नहीं होना चाहिए।
आयकरदाता नहीं होना चाहिए।
किसी अन्य सरकारी पेंशन योजना का लाभ प्राप्त नहीं कर रहा हो।
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आवश्यक दस्तावेज़ :
आधार कार्ड
IFSC सहित बचत बैंक खाता या जन धन खाता विवरण
मोबाइल नंबर
60 वर्ष की आयु होने पर लाभार्थियों को जीवन भर 3,000 रुपये प्रति माह की निश्चित पेंशन मिलनी शुरू हो जाती है।
पंजीकरण प्रक्रिया
पीएम-एसवाईएम में पंजीकरण की सुविधा पूरे भारत में कॉमन सर्विस सेंटर (सीएससी) के माध्यम से उपलब्ध है। इसमें निम्नलिखित चरण शामिल हैं:
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आधार और बचत बैंक खाते के साथ किसी सीएससी पर जाएँ।
आधार का उपयोग करके बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण प्रदान करें।
ऑनलाइन पंजीकरण फॉर्म भरें।
प्रथम सदस्यता का भुगतान नकद करना होगा।
बैंक खाते से ऑटो-डेबिट सुविधा चुनें।
सफल पंजीकरण पर पीएम-एसवाईएम कार्ड प्राप्त करें।
वैकल्पिक रूप से, पात्र श्रमिक मानधन पोर्टल ( https://maandhan.in/ ) के माध्यम से पंजीकरण कर सकते हैं।
इस योजना का लाभ असंगठित क्षेत्र के कामगारों तक पहुंचे , यह सुनिश्चित करने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदम इस प्रकार हैं:
राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के साथ समय-समय पर समीक्षा बैठक आयोजित करना ।
राज्य सामान्य सेवा केन्द्र (सीएससी) प्रमुखों के साथ नियमित बैठक ।
स्वैच्छिक निकास, रिवाइवल मॉड्यूल, दावा स्थिति और खाता विवरण जैसी नई सुविधाओं की शुरुआत।
निष्क्रिय खातों के नवीनीकरण की अवधि 1 वर्ष से बढ़ाकर 3 वर्ष की गई।
पीएम-एसवाईएम और ई-श्रम का दो-तरफ़ा एकीकरण ।
जागरूकता पैदा करने के लिए एसएमएस अभियान ।
पीएम-एसवाईएम योजना के अंतर्गत पंजीकरण के संबंध में राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों के साथ बातचीत।
पीएम-एसवाईएम पेंशन योजना के अंतर्गत अपने कर्मचारियों के प्रीमियम का भुगतान करने के लिए नियोक्ताओं को प्रोत्साहित करने तथा पंजीकरण बढ़ाने के लिए डोनेट-ए-पेंशन मॉड्यूल का शुभारंभ ।
पेंशन योजना की पहुंच बढ़ाने के लिए वित्तीय सेवा विभाग, पेंशन निधि विनियामक और विकास प्राधिकरण, राष्ट्रीय लोक वित्त और नीतिगत संस्थान के साथ बातचीत ।
निकास और वापसी प्रावधान
असंगठित श्रमिकों की कठिनाइयों और रोजगार की अनिश्चित प्रकृति को ध्यान में रखते हुए, योजना के निकास प्रावधानों को लचीला रखा गया है ।
10 वर्ष से पहले बाहर निकलना : यदि कोई कर्मचारी 10 वर्ष से पहले योजना से बाहर निकलता है, तो योगदान की गई राशि बचत बैंक ब्याज दर के साथ वापस कर दी जाती है।
10 वर्ष के बाद, लेकिन 60 वर्ष की आयु होने से पहले निकासी : लाभार्थी को उसके अंशदान का हिस्सा, निधि द्वारा अर्जित संचित ब्याज या बचत बैंक ब्याज दर, जो भी अधिक हो, के साथ प्राप्त होता है।
60 वर्ष से पहले मृत्यु या दुर्घटना के कारण स्थायी दिव्यांगता :
पति या पत्नी योजना को जारी रख सकते हैं या योगदान की गई राशि को फंड द्वारा वास्तव में अर्जित ब्याज या बचत बैंक ब्याज दर, जो भी अधिक हो, सहित निकाल सकते हैं।
60 वर्ष की आयु के बाद मृत्यु : पति/पत्नी को पारिवारिक पेंशन के रूप में पेंशन का 50 प्रतिशत मिलता है।
पंजीकृत कामगार तथा उसके जीवनसाथी की मृत्यु के बाद सम्पूर्ण धनराशि वापस निधि में जमा कर दी जाएगी।
चूक की स्थिति: यदि किसी पंजीकृत कामगार ने लगातार अंशदान का भुगतान नहीं किया है, तो उसे सरकार द्वारा निर्धारित दंड शुल्क (यदि कोई हो) के साथ संपूर्ण बकाया राशि का भुगतान करके अपने अंशदान को नियमित करने की अनुमति दी जाएगी।