- वेज रीविजन एमओयू के आधार पर इस्पात मंत्रालय द्वारा जारी किए वेज रीविजन सर्कुलर को रद्द करने का आग्रह किया है।
सूचनाजी न्यूज, भिलाई। स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (Steel Authority of India Limited)-सेल के कर्मचारियों के आधे-अधूरे वेज रिवीजन को लेकर विवाद जारी है। सड़क पर धरना-प्रदर्शन लेकर मंत्रालय व पीएमओ तक चिट्ठी लिखने का सिलसिला जारी है। आवाज को लगातार उठाते रहने की मुहिम सोमवार को भी बरकरार रही।
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बीएसपी अनाधिशासी कर्मचारी संघ ने इस्पात सचिव को पत्र लिख कर वेज रीविजन मे हुई त्रुटियों पर पत्र के माध्यम से शिकायत दर्ज कराया है। अपने पत्र में यूनियन ने सेल प्रबंधन पर जानबुझ कर गलत एमओयू करने का आरोप लगाया है। एनजेसीएस संविधान का उल्लंघन कर किए गए वेज रीविजन एमओयू के आधार पर इस्पात मंत्रालय द्वारा जारी किए वेज रीविजन सर्कुलर को रद्द करने का आग्रह किया है।
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पत्र में एमओयू करने के 24 माह बाद भी एमओए नहीं करने का मामला उठाया गया है। वहीं, एमओए नहीं होने के कारण फिटमेंट/पर्क्स एरियर भुगतान, रात्री पाली भत्ता नॉन स्टैचुअरी बेनिफिट आदि पर अभी तक नहीं कोई निर्णय नहीं लिया गया है। जिससे सेल कर्मियों को न्यूनतम 2.5 लाख तथा अधिकतम 8 लाख रुपया की राशि सेल प्रबंधन के पास बकाया है। पत्र में एनजेसीएस संविधान के प्रावधानों का उल्लंघन करना तथा इस्पात संसदीय कमेटी की अनुशंसा का पालन नहीं करने का भी जिक्र किया गया है।
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एनजेसीएस एमओए नहीं होने से सेल कर्मियों को हो रहे नुकसान की सूची
1. अंतिम रूप से एमजीबी तथा पर्क्स प्रतिशत पर निर्णय नहीं होने से 15 प्रतिशत एमजीबी तथा 35 प्रतिशत पर्क्स का लाभ नहीं मिलना।
2. 39 माह का फिटमेंट एरियर तथा 58 माह का पर्क्स एरियर पर कोई निर्णय नहीं, जिसके कारण सेल कर्मचारियो को 2.5 लाख से लेकर 8 लाख रुपया तक का नुकसान हो रहा है।
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3. रात्रि पाली भत्ता पर कोई निर्णय नहीं होने के कारण 2007 से सेल कर्मियों को अभी भी 90 रुपया ही भत्ता मिल रहा है, जबकि दूसरे महारत्ना कंपनियों में 610 रुपया तक रात्रि पाली भत्ता है।
4. गैर वैधानिक लाभों जैसे आवास लोन, वाहन लोन, शिक्षा लोन, फेस्टिवल एडवांस, फर्नीचर एडवांस, लैपटॉप एडवांस, मोबाइल भत्ता आदि पर अभी तक निर्णय नहीं हो पाया है।
नेता घड़ियाली आंसू बहा रहे
अध्यक्ष अमर सिंह कहा कहना है कि हमने पत्र में इस्पात सचिव से सेल वेज रीविजन में हस्तक्षेप कर मामले का जल्द निपटारा करने की मांग की है। नहीं तो हम इस्पात मंत्रालय को पार्टी बनाकर उच्च न्यायालय की शरण मे जाएंगे। महासचिव अभिषेक सिंह ने कहा कि दूसरी सभी एनजेसीएस, गैर एनजेसीएस यूनियनों के नेता घड़ियाली आंसू बहा रहे है। हमारी यूनियन पहली युनियन है, जिसने वेज रीविजन मामले को भारत सरकार के विभिन्न अधिकारियों, प्रधानमंत्री, श्रम मंत्री तथा इस्पात मंत्री के समक्ष लगातार उठाया है।