12वीं शताब्दी का प्राचीन देवबलोदा मंदिर फिर सुर्खियों में, भिलाई स्टील प्लांट संवार रहा, पढ़िए डिटेल

The ancient Devbaloda temple of 12th century is again in the headlines, Bhilai Steel Plant is being renovated, read details
  • एक ऐतिहासिक धरोहर का संरक्षण और विकास कार्य युद्धस्तर पर चल रहा है।

सूचनाजी न्यूज, भिलाई। छत्तीसगढ़ का देवबलोदा एक ऐतिहासिक स्थल है, जो भगवान शिव के मंदिर के लिए प्रसिद्ध है, अब एक नई पहचान प्राप्त कर रहा है। इस क्षेत्र की सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण और विकास के लिए भिलाई इस्पात संयंत्र ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है।

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21 दिसंबर 2022 को नई दिल्ली में भिलाई इस्पात संयंत्र (Bhilai Steel plant) के साथ राष्ट्रीय संस्कृति कोष (एनसीएफ) और पुरातात्विक सर्वेक्षण विभाग, भारत शासन के साथ एक महत्वपूर्ण समझौता हस्ताक्षरित हुआ। जिसके तहत छत्तीसगढ़ के ऐतिहासिक और पुरातात्विक धरोहर देवबलोदा, चरोदा के संरक्षण एवं पर्यटन विकास हेतु सेल-भिलाई इस्पात संयंत्र ने देवबलोदा के शिव मंदिर के संरक्षण और उन्नयन का कार्य संभालने का संकल्प लिया और इसके जीर्णोद्धार का काम प्रारंभ कर दिया गया है।

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भिलाई इस्पात संयंत्र (Bhilai Steel plant) के निगमित सामाजिक उत्तरदायित्व विभाग द्वारा, दुर्ग जिले के देव बलोदा स्थित ऐतिहासिक शिव मंदिर के संरक्षण की जिम्मेदारी ली गई। भिलाई इस्पात संयंत्र ने इस ऐतिहासिक धरोहर के संरक्षण और विकास के लिए कई परियोजनाएं शुरू की हैं।

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जिसमें देवबलोदा मंदिर परिसर में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की अन्य विकास गतिविधियों जैसे पार्किंग क्षेत्र, क्लॉक रूम, पीने के पानी की व्यवस्था जैसी आवश्यक सुविधाओं को बेहतर बनाना शामिल है।

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इस परियोजना के तहत मंदिर के खंभों और बाहरी हिस्से की मरम्मत भी की गई है, ताकि इसका ऐतिहासिक महत्व और उसकी शान बरकरार रहे। इस परियोजना का उद्देश्य न केवल मंदिर परिसर को संरक्षित करना है, बल्कि इसे एक प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करना है, जिससे क्षेत्र के पर्यटन उद्योग को भी बढ़ावा मिल सके।

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21 दिसम्बर 2022 को नई दिल्ली में, तात्कालीन सेल के निदेशक (कार्मिक) केके सिंह की उपस्थिति में भिलाई इस्पात संयंत्र के मुख्य महाप्रबंधक (नगर सेवाएं एवं निगमित सामाजिक उत्तरदायित्व) ने, राष्ट्रीय संस्कृति कोष की ओर से मेंबर सेक्रेटरी (एनसीएफ) अरविंद कुमार एवं पुरातात्विक सर्वेक्षण विभाग की ओर से एडीजी (कंजर्वेशन) जान्हवी शर्मा ने समझौते पर हस्ताक्षर किए थे।

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यह ऐतिहासिक मंदिर, जो कलचुरी कालीन है, 13वीं शताब्दी में निर्मित हुआ था और इसे संरक्षित स्मारक घोषित किया गया है। यहां स्थित शिवलिंग को लेकर मान्यता है कि यह स्वयं भूगर्भ से उत्पन्न हुआ था। मंदिर के चारों ओर देवी-देवताओं की अद्भुत कारीगरी की गई है, जो 12वीं-13वीं शताब्दी के समय की सांस्कृतिक छवि को दर्शाती है।

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नवरंग मंडप नागर शैली में बना देवबलौदा का प्राचीन शिव मंदिर अपने आप में खास है। राजधानी और दुर्ग के बीच भिलाई-तीन चरोदा रेललाइन के किनारे बसे देवबलौदा गांव का यह ऐतिहासिक मंदिर कई ऐतिहासिक तथ्यों को साथ लिए हुए है।

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मंदिर के चारों तरफ देवी देवताओं के प्रतिबिंब बनाए गए हैं, जिसे देख कर 12वीं-13वीं शताब्दी के बीच लोगों के रहन-सहन का पता चलता है। हर साल महाशिवरात्रि के दिन यहां विशाल मेला भी लगता है, जहां श्रद्धालु अपनी मनोकामनाओं के साथ भगवान भोलेनाथ की पूजा करने आते हैं। इस मेले को देवबलोदा का मेला भी कहा जाता है।

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इस संरक्षित स्मारक और मंदिर परिसर को मरम्मत की आवश्यकता थी। सेल अपने सीएसआर कार्यक्रम के हिस्से के रूप में मंदिर परिसर के जीर्णोद्धार में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की सहायता करने की योजना बनाई, जिसके लिए भिलाई इस्पात संयंत्र के सीएसआर विभाग के अधिकारियों ने मंदिर का दौरा किया और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) अधिकारियों के साथ बातचीत की। अपने भिलाई दौरे के दौरान वर्ष 2022 में सेल अध्यक्ष श्रीमती सोमा मण्डल ने भी देवबलोदा का अवलोकन किया था।

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17 जनवरी 2025 को भिलाई इस्पात संयंत्र (Bhilai Steel plant) को संस्कृति मंत्रालय द्वारा इस प्रयास के लिए सम्मानित किया गया। इस पुरस्कार को केंद्रीय संस्कृति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत के हाथों भिलाई इस्पात संयंत्र के कार्यपालक निदेशक (मानव संसाधन) पवन कुमार और महाप्रबंधक (सीएसआर) श्री शिवराजन नायर ने ग्रहण किया।

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न्यू महाराष्ट्र सदन, के.जी. मार्ग, नई दिल्ली में आयोजित भव्य समारोह में भिलाई इस्पात संयंत्र (Bhilai Steel plant) को सीएसआर परियोजना ‘हेरिटेज साइट देवबलोदा के विकास और जीर्णोद्धार’ के लिए यह सम्मान दिया गया। यह सम्मान उस निरंतर प्रयास का प्रमाण है जो भिलाई इस्पात संयंत्र ने भारतीय सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण के लिए किया है।

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10 अक्टूबर 2024 को देवबलोदा के शिव मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए भूमिपूजन भी किया गया, जहां राष्ट्रीय संस्कृति निधि (एनसीएफ) और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के अधिकारीगण उपस्थित थे। सेल-भिलाई इस्पात संयंत्र के कार्यपालक निदेशक (मानव संसाधन) पवन कुमार ने सेंट्रल रीज़न (भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण) के क्षेत्रीय निदेशक डॉ. भुवन विक्रम, पुरातत्वविद् अधीक्षक (भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण) डॉ. एन के स्वाई और एनसीएफ की वरिष्ठ प्रबंधक डॉ. मोनिका चौधरी के साथ भूमिपूजन किया।

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इसके अलावा, सेल के स्वतंत्र निदेशक अशोक कुमार त्रिपाठी (सेवानिवृत्त आईएएस) ने वर्ष 2024 में देवबलोदा का दौरा किया था, जहां उन्होंने सीएसआर परियोजना के तहत किए जा रहे कार्यों का निरीक्षण किया और उनके महत्व को सराहा। उन्होंने इस परियोजना को न केवल सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण के रूप में, बल्कि समाज और पर्यावरण के लिए एक बड़ा योगदान माना।

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भिलाई इस्पात संयंत्र (Bhilai Steel plant) द्वारा किए जा रहे इस ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण प्रयासों से देवबलोदा क्षेत्र को एक नई पहचान मिलेगी। इस परियोजना के सफलतापूर्वक पूरा होने से न केवल क्षेत्र की सांस्कृतिक धरोहर को संजीवनी मिलेगी, बल्कि पर्यटन उद्योग भी समृद्ध होगा, जो स्थानीय विकास में सहायक होगा। यह पहल एक आदर्श उदाहरण बन चुकी है कि कैसे बड़े संगठनों को अपनी सामाजिक जिम्मेदारियों को निभाते हुए सांस्कृतिक धरोहर का संरक्षण कर सकते हैं।

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