- देश आगे बढ़ रहा है…और पेंशनर्स? शायद उन्हें बहुत पीछे छोड़ दिया गया है। राम जी के भरोसे। अब हमें दिल्ली नहीं…अयोध्या जाना चाहिए।
सूचनाजी न्यूज, रायपुर। कर्मचारी पेंशन योजना 1995 (Employee Pension SCheme 1995) के तहत न्यूनतम पेंशन का मामला अब और उलझ गया है। केंद्रीय बजट 2025 में न्यूनतम पेंशन 7500 रुपए की घोषणा होने का दावा किया जा रहा था, लेकिन वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की ओर से कोई घोषणा नहीं की गई।
ईपीएस 95 राष्ट्रीय संघर्ष समिति रायपुर के अध्यक्ष Anil Kumar Namdeo ने बजट पर कहा-EPS 95…हे भगवान हमारे साथ ही ऐसा क्यूँ? नियमों में संशोधन करें या कुछ भी करें। ये तो सच है कि जिस प्रकार की पेंशन EPS95 के पेंशनरों को मिल रही है,वो नितांत ही अल्प है।
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किसी भी तरह जीवन यापन के लिये पूर्णतः अपर्याप्त है। आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लाखों करोड़ों लोगों को उनके बिना किसी अंशदान के करोड़ों रुपयों की सहायता किसी न किसी योजना के नाम पर दी जा सकती है,तो इन पेंशनरों के जीवन यापन के लिये कोई समुचित निर्णय सरकार क्यूँ नहीं ले सकती।
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दस वर्ष से भी अधिक एक लंबा समय गुजर गया। सरकार सब कुछ जानकर भी,कुछ नहीं पाई है। कोशियारी कमेटी की अनुसंशा और जावड़ेकर के आग्रह पर चुप्पी का कारण सिर्फ पेंशनरों की उपेक्षा के और क्या हो सकता है।
न्यूनतम पेंशन तो न्यूनतम पेंशन,उच्च पेंशन का भी यही हाल…। EPFO को सरकार चलाती है। सरकार EPFO को…। अभी तक कोई समझ नहीं पा रहे हैं। एक ओर जो लोग आंदोलन कर रहे हैं,वो गलत कर रहे हैं,ऐसा इसीलिए कि योजना में कोई प्रावधान ही नहीं। चलो ये बात मान लेते हैं,पर उच्च पेंशन के प्रावधान तो हैं न?
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सर्वोच्च न्यायालय ने इन्हीं प्रावधानों के आधार पर निर्णय जारी किया है,उसके अनुपालन के हीलाहवाली का सबब क्या हो सकता है…? कितनी बार लोग आंदोलन करेंगे? कितनी बार लोग कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे…? क्या सरकार या सीधे शब्दों में कहा जाए तो क्या देश के प्रधानमंत्री को इन सबसे कोई सरोकार नहीं होना चाहिए?
इस पर भी विचार होना चाहिए। देश आगे बढ़ रहा है… और पेंशनर्स? शायद उन्हें बहुत पीछे छोड़ दिया गया है। राम जी के भरोसे। अब हमें दिल्ली नहीं…अयोध्या जाना चाहिए,राम जी की शरण में…।