EPFO-SAIL में तनातनी, अटकी EPS 95 Higher Pension, गेंद पीएम मोदी के पाले में

  • ईपीएस 95 हायर पेंशन के लिए Steel Authority of India Limited के कार्मिकों ने ज्वाइंट ऑप्शन फॉर्म के बाद डिफ्रेंस एमाउंट जमा किया था।

अज़मत अली, भिलाई। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (Employees Provident Fund Organization) और देश के स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (Steel Authority of India Limited) संग तमाम पीएसयू में ठनी हुई है। कर्मचारी और अधिकारी उच्च पेंशन के अधिकार से वंचित हैं।

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SAIL पीएफ ट्रस्ट (SAIL PF Trust) विवाद के चलते कार्मिकों को हर महीने मिलने वाली ईपीएस 95 उच्च पेंशन (EPS 95 Higher Pension) से वंचित होना पड़ रहा है। इसका हिसाब कौन देगा? उम्र के आखिरी पड़ाव में राहत के बजाय पूर्व कार्मिक तनाव में जिंदगी गुजार रहे हैं।

ईपीएफओ (EPFO) और सेल (SAIL) के बीच चल रही तनातनी का फैसला श्रम एवं रोजगार मंत्रालय (labor Ministry) और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) को ही करना है। लोकसभा का सत्र चालू होने के बाद इस पर सवाल-जवाबा की बौछार होगी।

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इसके बाद ही कर्मचारी पेंशन योजना 1995 (Employees Pension Scheme 1995) के तहत उच्च पेंशन का रास्ता साफ हो सकेगा। पीएफ ट्रस्ट विवाद के चलते कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (Employees Provident Fund Organization) ने सेल समेत कई पीएसयू के कार्मिकों का जमा पैसा तक लौटा दिया है। इस वजह से यहां हायर पेंशन का रास्ता फिलहाल बंद है।

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EPS 95 Higher Pension के लिए पहले ज्वाइंट ऑप्शन फॉर्म भरा, फिर पैसा जमा किया, अब…

ईपीएस 95 हायर पेंशन (EPS 95 Higher Pension) के लिए स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (Steel Authority of India Limited) के कार्मिकों ने पहले ज्वाइंट ऑप्शन फॉर्म भरा। इसके बाद डिफ्रेंस एमाउंट तक जमा किया। सबसे ज्यादा भिलाई स्टील प्लांट (Bhilai Steel Plant) के कार्मिकों की संख्या थी। दूसरी ओर ईपीएस 95 न्यूनतम पेंशन (EPS 95 Minimum Pension) को लेकर भी आंदोलन जारी है।

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एक्स इम्प्लाइज वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष ने ये कहा…

एक्स इम्प्लाइज वेलफेयर एसोसिएशन (Ex Employees Welfare Association) के अध्यक्ष शांत कुमार ने सूचनाजी.कॉम को बताया कि पीएफ ट्रस्ट का विवाद जबर्दस्ती का पैदा किया गया है। सुप्रीम कोर्ट सीलिंग के नॉर्म्स को ही खत्म कर चुका है। अब इस तरह के मामले पर सवाल उठाना ही गलत है।

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जिस वक्त सेल सीपीएफ ट्रस्ट बना था। उस वक्त ईपीएफओ के पास उतने संसाधन नहीं थे। इसलिए सरकार ने कंपनियों को छूट दिया। नियम के अनुसार ही सबकुछ चल रहा है। ट्रस्ट नियम के अनुसार ही चलता है। ईपीएफओ को हिसाब भी देता रहा है।

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