एक राष्ट्र-एक नियम की आंधी में प्राइवेट और सरकारी कर्मचारियों के ईपीएस 95 पेंशन में भेदभाव क्यों?

  • कर्मचारी पेंशन योजना 1995 के तहत न्यूनतम पेंशन 7500 रुपए की मांग।

सूचनाजी न्यूज, दिल्ली। ईपीएस 95 पेंशनभोगी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को न्यूनतम पेंशन में वृद्धि के लिए पत्र लिख दिया है। 7500 रुपए न्यूनतम पेंशन की मांग करते हुए ई-मेल भेजा है। इसकी कॉपी श्रम एवं रोजगार मंत्री मंसुख मांडविया और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को भी भेजी गई है।

गुलबर्गा कर्नाटक के पेंशन धारक विश्वनाथ वली की तरफ से ई-मेल में लिखा है कि हम आपको सूचित करने के लिए विनती करते हैं कि 1983 से 2014 (फरवरी-60 वर्ष की आयु) के दौरान 31 वर्ष तक निजी सीमेंट कंपनी में सेवा की। ईपीएस 95 पेंशन फरवरी 2012 से शुरू हुई। पेंशन 1999 रुपए हुई। मूल वेतन 2012 के दौरान 26000 रुपये था और 2014 के दौरान 30000 रुपए। 5000 रुपये और 6500 रुपये के पेंशन योग्य वेतन के अनुसार पेंशन मिल रही है।

समय-समय पर ईपीएफओ और सरकार ने पेंशन योग्य वेतन में संशोधन नहीं किया है। पेंशनभोगी वेतन समय-समय पर संशोधित किया जाए तो संशोधित पेंशन मिल सकती है या सरकारी कर्मचारियों के अनुसार मूल वेतन पर पेंशन मिल जाए तो भी अधिक पेंशन मिल सकती है।

एक राष्ट्र एक नियम को सरकार बता रही है। प्राइवेट और सरकारी कर्मचारियों को पेंशन में भेदभाव क्यों। इसलिए हम आपसे अनुरोध करते हैं कि न्यूनतम पेंशन वृद्धि को 7500 तक बढ़ाने के लिए और उसकी जरूरत है।