BIG NEWS: Bhilai Steel Plant में अब साल भर वोकेशनल ट्रेनिंग, देश के किसी भी राज्य के स्टूडेंट्स को सीधा फायदा

  • भिलाई इस्पात संयंत्र अब पूरे वर्ष प्रदान करेगा वोकेशनल ट्रेनिंग इसमें देश भर के सभी संस्थानों से विद्यार्थी आवेदन कर सकते हैं।
  • बीएसपी कर्मचारियों के बच्चों को प्राथमिकता दी जाती है।
  • वोकेशनल/प्रोजेक्ट ट्रेनिंग संयंत्र के अंदर और बाहर के सभी विभागों में आवश्यकतानुसार प्रदान किया जाता है।

सूचनाजी न्यूज़, भिलाई। भिलाई इस्पात संयंत्र इस्पात (Bhilai Steel Plant) अपने परिधि क्षेत्र के लोगों के लिए तो कार्य कर ही रहा है और सीएसआर पहल के अंतर्गत वोकेशनल ट्रेनिंग भी निःशुल्क प्रदान की जा रही है, ताकि विद्यार्थी इसका भरपूर लाभ ले पायें।

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इस वोकेशनल/प्रोजेक्ट ट्रेनिंग (Vocational/Project Training) में प्रवेश के लिए, देश के सभी राज्यों के विद्यार्थी आवेदन कर सकते हैं। बीएसपी में पहले यह वोकेशनल ट्रेनिंग सिर्फ गर्मियों में दी जाती थी।

सिर्फ गर्मियों में इसके आयोजन की वजह से इसका लाभ कम लोग ही ले पाते थे। इसलिए संयंत्र प्रबंधन ने विगत 2 वर्षों से वोकेशनल ट्रेनिंग साल भर प्रदान करने का निर्णय लिया है।

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वोकेशनल ट्रेनिंग

वोकेशनल ट्रेनिंग (Vocational Training) हमें व्यापारी, तकनीशियन या किसी भी क्षेत्र में एक कुशल पेशेवर के साथ साथ अनुभवी व्यक्ति के रूप में काम करने के लिए तैयार करती है। वोकेशनल ट्रेनिंग किसी व्यक्ति को उसके अपेक्षित कौशल के साथ लाभकारी रोजगार या स्व-रोजगार के लिए तैयार करता है।

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इस पर एचआरडी की मुख्य महाप्रबंधक निशा सोनी का कहना है, कि कई बच्चों को स्टील इंडस्ट्री या ऐसे कई व्यावसायिक क्षेत्रों के बारे में जमीनी स्तर की जानकारी नहीं होती है या कम होती है। जिसकी वजह से वह कई अवसरों का लाभ नहीं उठा पाते और अपने अंदर के कौशल को वर्तमान परिपेक्ष्य के हिसाब से ढाल नहीं पाते। वोकेशनल ट्रेनिंग ऐसे ही बच्चों को इंडस्ट्री एक्सप्लोर करने का अवसर प्रदान करता है। यह युवाओं के कौशल को निखार कर उन्हें नवाचारों की गतिशीलता में, हर संभावना की खोज करने के लिए प्रेरित करता है।

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महाप्रबंधक एचआरडी अमूल्य प्रियदर्शी ने बताया…

महाप्रबंधक (एचआरडी) अमूल्य प्रियदर्शी ने बताया कि वोकेशनल/प्रोजेक्ट ट्रेनिंग से विद्यार्थियों को उनके व्यावसायिक जीवन में भी काफी लाभ हुआ है। ये विद्यार्थियों पर निर्भर करता है, कि वे इस वोकेशनल/प्रोजेक्ट ट्रेनिंग को कितनी गंभीरता से लेते हैं।

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इसका सबसे अच्छा उदाहरण है कि वोकेशनल/प्रोजेक्ट ट्रेनिंग से लाभ प्राप्त कुछ विद्यार्थी आज बीएसपी में ही कार्यरत हैं। उप प्रबंधक (एचआरडी) सुश्री सुष्मिता पाटला ने कहा कि वोकेशनल ट्रेनिंग का अनुभव हमारे करियर में अहम रोल प्ले करता है।

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यदि विद्यार्थी इसे अवसर के रूप में लें तो तकनीकी या व्यावसायिक क्षेत्र में मूल्यांकन करना, निर्णय लेना, सुरक्षित कार्य करना, संसाधनों का उचित उपयोग करने जैसी छोटी छोटी बारीकियां सीखते हुए, भविष्य के लिए अपने कौशल का विकास कर सकते हैं।

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क्यों है महत्वपूर्ण

कभी ना कभी आपके मन में भी ये सवाल जरुर आया होगा, कि वोकेशनल ट्रेनिंग इतना महत्वपूर्ण क्यों है? और इससे हमे क्या लाभ होता है? यह महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे हमें किसी भी स्ट्रीम की आतंरिक और वास्तविक जानकारी तो होती ही है, इसके साथ ही विषय सम्बन्धित वोकेशनल ट्रेनर और विशेषज्ञों के साथ चर्चा करने का अवसर भी प्राप्त होता है। जहाँ वे अपने अनुभव से प्राप्त ज्ञान साझा कर, जमीनी स्तर की आधारभूत और विषय सम्बन्धित आवश्यक जानकारी प्रदान करते हैं।

एचआरडी के अधिकारियों का कहना है कभी कभी कुछ संस्थानों से हमें वोकेशनल ट्रेनिंग की पुष्टि के लिए भी सम्पर्क किया जाता है।

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कौन होगा पात्र

भिलाई इस्पात संयंत्र में वोकेशनल/प्रोजेक्ट ट्रेनिंग (Vocational/Project Training) इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन, पोस्ट ग्रेजुएशन, प्रबंधन, फॉर्मेसी, फिजियोथेरेपी, अग्नि और सुरक्षा, सामाजिक विज्ञान, कानून, मीडिया एवं जनसम्पर्क, कंप्यूटर अनुप्रयोग और ट्रेनिंग के समय लागू अन्य कोई भी स्ट्रीम या पाठ्यक्रम के विद्यार्थी प्राप्त कर सकते हैं।
इसमें देश भर के सभी संस्थानों से विद्यार्थी आवेदन कर सकते हैं। इसमें बीएसपी कर्मचारियों के बच्चों को प्राथमिकता दी जाती है। वोकेशनल/प्रोजेक्ट ट्रेनिंग संयंत्र के अंदर और बाहर के सभी विभागों में आवश्यकतानुसार प्रदान किया जाता है।

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वोकेशनल/प्रोजेक्ट ट्रेनिंग प्रक्रिया

इसके लिए संबंधित संस्थान के प्रमुख/डीन/एचओडी द्वारा सीधे या संबंधित छात्र/छात्राओं के माध्यम से, वोकेशनल/प्रोजेक्ट ट्रेनिंग में प्रवेश सम्बन्धी सभी आवश्यक दस्तावेज प्रशिक्षण शुरू होने की तारीख से एक महीने पहले बीएसपी के मानव संसाधन विकास विभाग के महाप्रबंधक को भेजी जाती है या मेल की जाती है।

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एचआरडीसी प्राप्त आवेदन की जांच करेगा और उपलब्ध सीटों की संख्या पर विचार करते हुए, ‘पहले आओ पहले पाओ’ के आधार पर छात्रों की अंतिम सूची देता है। इसके बाद एचआरडीसी, संबंधित संस्थान के प्रमुख या छात्र/छात्राओं को वोकेशनल/प्रोजेक्ट ट्रेनिंग के विवरण के साथ स्वीकृति पत्र भेजता है। फिर प्रशिक्षुओं को एचआरडी से प्राप्त पुष्टि पत्र/मेल, दो तस्वीरें और संस्थान के पहचान पत्र के साथ निर्धारित दिन पर प्रशिक्षण के लिए रिपोर्ट करना होता है।

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संयंत्र कब और कितनो को प्रदान करता है वोकेशनल ट्रेनिंग

नए वित्त वर्ष की शुरुआत से पहले, मानव संसाधन विकास विभाग, वोकेशनल ट्रेनिंग और प्रोजेक्ट ट्रेनिंग के लिए प्रशिक्षुओं की संख्या का निर्धारण करती है। संबंधित क्षेत्र में परियोजनाओं की पहचान, व्यावसायिक क्षेत्र में उनकी वर्तमान और भविष्य की मांगों को ध्यान में रखते हुए, पाठ्यक्रम की आवश्यकता अनुसार ये निर्धारण किया जाता है। जो व्यावसायिक तौर पर विद्यार्थियों के कौशल, अध्ययन, सर्वेक्षण तथा संगठनात्मक विकास आदि विषयों में सहायक होंगे।

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बीएसपी ने वित्त वर्ष 2023-24 में कुल 1861 प्रशिक्षुओं को वोकेशनल ट्रेनिंग दिया तथा 980 प्रोजेक्ट्स पूरे कराये। प्रशिक्षुओं की सुरक्षा को सर्वोपरी रखते हुए, हाल ही में संयंत्र ने प्रशिक्षुओं की सुरक्षा मानदंडों के आधार पर, उनकी संख्या को सीमित करने का निर्णय लिया है।

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प्रशिक्षण की अवधि

बीएसपी में पहले यह वोकेशनल ट्रेनिंग सिर्फ गर्मियों में दी जाती थी। इसके लिए भारी संख्या में विद्यार्थियों के रुझान प्राप्त होते थे, किन्तु सिर्फ गर्मियों में इसके आयोजन की वजह से इसका लाभ कम लोग ही ले पाते थे। इसलिए संयंत्र प्रबंधन ने विगत 2 वर्षों से वोकेशनल ट्रेनिंग साल भर प्रदान करने का निर्णय लिया है। वोकेशनल ट्रेनिंग, पाठ्यक्रम के अनुसार तथा प्रोजेक्ट ट्रेनिंग एक से छह महीने तक प्रदान की जाती है। परियोजना प्रशिक्षण के अंत में, प्रशिक्षुओं द्वारा परियोजना रिपोर्ट की एक प्रति भी जमा की जाएगी और अगले दिन प्रशिक्षुओं को प्रमाण पत्र जारी किए जाएंगे।

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उपलब्ध करायी जाने वाली सुविधाएं

एचआरडीसी दस्तावेजों की जांच करके सीआईएसएफ के माध्यम से गेट पास की व्यवस्था करेगा। गेट पास जारी होने के बाद प्रशिक्षण शुरू होगा। प्रशिक्षण शुरू होने के पहले सभी प्रशिक्षुओं को सुरक्षा ट्रेनिंग दी जाती है।

रिटर्नेबल बेसिस पर, प्रशिक्षुओं को मानव संसाधन विकास विभाग के माध्यम से सुरक्षा उपकरण उपलब्ध कराये जाते हैं। जिसमें सुरक्षा हेलमेट विभाग द्वारा प्रदान किए जाते हैं एवं सेफ्टी शूज़ प्रशिक्षुओं को स्वयं लाना होता है। यहाँ प्रशिक्षुओं के लिए कैंटीन भी है, जहाँ सब्सिडाइज़ रेट में भोजन उपलब्ध है।

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