बीएसएल अनाधिशासी कर्मचारी संघ ने प्रबंधन को पत्र लिखा।
सूचनाजी न्यूज, बोकारो। सेल के बोकारो स्टील प्लांट के करीब 2 हजार से अधिक कर्मचारियों के आश्रित काफी परेशान हैं। बीएसएल अनाधिशासी कर्मचारी संघ ने प्रबंधन को पत्र लिख कर आश्रित कोटे से नियुक्त कर्मचारियों के जन्म तिथि विवाद को हल कराने का माँग किया है।
यूनियन का कहना है कि जब सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट रूप से आदेश दिया है कि हर हालत में जन्म तिथि का आधार माध्यमिक प्रमाण पत्र में अंकित जन्म तिथि है तो उसके विपरित बोकारो इस्पात संयंत्र में दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है कि पर्सनल विभाग, सेल कारपोरेट कार्यालय द्वारा आश्रित कोटे से अनुकंपा के तहत नियुक्त कार्मिकों की जन्मतिथि पर जारी सर्कुलर का अनुपालन नहीं कर रहा। अपने ही कार्मिकों के साथ न्यायिक मुकदमाबाजी कर रहा है।
सेल के राउरकेला स्टील प्लांट में व्यवस्था, बोकारो में नहीं…
सेल कारपोरेट कार्यालय द्वारा आश्रित कोटे से नियुक्त कार्मिकों को जन्मतिथि विवाद को हल करने के लिए राउरकेला इस्पात संयंत्र सहित सभी यूनिट के लिए एक गाइडलाइन है। राउरकेला इस्पात संयंत्र के अधिशासी निदेशक (कार्मिक एवं प्रशासन) पीके. सत्पथी को संबोधित कर निकाला था।
उपरोक्त सर्कुलर में साफ इंगित है कि कर्मचारियों से एक शपथ पत्र लेकर उनके आधार, माध्यमिक परीक्षा प्रमाणपत्र में अंकित जन्म तिथि को ही वास्तविक जन्मतिथि मान लिया जाए।
जानिए किस तरह के नुकसान हो रहे
परंतु कारपोरेट कार्यालय द्वारा जारी आदेश का अनुपालन बोकारो इस्पात संयंत्र द्वारा नहीं किया जा रहा है। इससे जन्मतिथि विवाद से पीड़ित सेवानिवृत्त होने वाले कार्मिकों को ईपीएस 95 पेंशन, भविष्य निधि, एनपीएस, बैंक खाता, मेडिक्लेम आदि में जन्म तिथि विवाद का सामना करना पड़ रहा है।
थलसेना अध्यक्ष का मामला भी कोर्ट तक गया था…
पूर्व सेवानिवृत्त थल सेना अध्यक्ष जनरल विजय कुमार सिंह के उम्र विवाद मामले में भी सर्वोच्च न्यायालय ने न्यायिक आदेश दिया है कि माध्यमिक परीक्षा में अंकित तिथि ही मान्य है।
अधिकतर आश्रित कर्मचारियों के अभिभावक बहुत कम पढ़े लिखे थे
बीएकेएस बोकारो कार्यकारिणी सदस्य संजु कुमार का कहना है कि प्रबंधन को समझना चाहिए कि आश्रित कर्मचारियों के अभिभावक ने किन परिस्थितियों में अपने द्वारा, या किसी अन्य का द्वारा अपने आश्रितों का जन्मतिथि किन परिस्थिति में फॉर्म भरा गया था, उसका आकलन अभी का समय में नहीं किया जा सकता है, क्योंकि अधिकतर आश्रित कर्मचारियों के अभिभावक बहुत कम पढ़े लिखे थे।
जो शिक्षित भी थे तो उनकी नियुक्ति या उससे जुड़ा अन्य दस्तावेज अभिभावकों द्वारा नहीं भरा गया था। अधिकतर का फॉर्म उस समय पढ़े लिखे कार्मिकों या पर्सनल विभाग का कर्मचारी द्वारा ही भरा गया था।
कंपनी कर्मचारियों का पैसा वकीलों और मुकदमेंबाजी में खर्च
यह दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है कि बोकारो इस्पात संयंत्र प्रबंधन अपने ही कार्मिकों के विरुद्ध न्यायालय में लड़ाई लड़ रही है। उसमे भी सेल कारपोरेट का सर्कुलर तथा सर्वोच्च न्यायालय का आदेश को भी नहीं माना जा रहा है। जन्मतिथि विवाद, ट्रांसफर विवाद, यूनियन चुनाव विवाद, बायोमेट्रिक विवाद जैसे मुद्दे स्वतः हल हो जाने चाहिए थे। लेकिन कंपनी कर्मचारियों का पैसा वकीलों और मुकदमेंबाजी में खर्च किया जा रहा है।
हरिओम, अध्यक्ष-बीकेएस बोकारो