- पेंशनभोगी Anil Kumar Namdeo का पोस्ट काफी पसंद किया जा रहा। उन्होंने समाज और सरकार की सोच पर कटाक्ष किया है।
सूचनाजी न्यूज, छत्तीसगढ़। ईपीएस 95 पेंशन को लेकर देशभर में आवाज थम नहीं रही है। लोकसभा चुनाव की वजह से ईपीएफओ और सरकार की प्रक्रिया थम गई है। लेकिन, पेंशनर्स अपनी आवाज को सोशल मीडिया पर लगातार उठा रहे हैं।
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पेंशनभोगी Anil Kumar Namdeo का पोस्ट काफी पसंद किया जा रहा उन्होंने लिखा-देश में पेंशनरों का वाजिब हक़ न ही उच्च पेंशन, न ही न्यूनतम पेंशन…। ये तो सरकार भी जानती है और pensioners भी जानते हैं,पर नहीं जानते तो कर्मचारियों के तथाकथित हित संरक्षण करने वाली EPFO और CBT नामक संस्था।
न्यायालय भी जो सब जानती है। कोर्ट को स्वत: संज्ञान में लेकर पेंशनरो की पीड़ा का समाधान निकालना चाहिए। न्यायालय के प्राथमिकता में शायद इसे जनहित की श्रेणी में रखा ही नहीं गया है। अभी मध्यप्रदेश से खबर आई है कि लाखों सेवानिवृत्तों का प्रतिनिधित्व करने वाली अनेक पंजीकृत संस्थाओं की मान्यता और पंजीयन भी रद्द कर दी गई है।
अब किन कारणों से ऐसा हुआ होगा,ये तो सरकार ही जाने। लेकिन पेंशनरों को तो फिर कोर्ट की राह जाने मजबूर होना पड़ेगा। जहां कहते हैं भले देरी से ही सहीं पर न्याय मिलता जरूर है।अब देरी कितनी कोई नहीं जानता। कितना समय लग सकता है,पर क्या 70 पार कर चुके पेंशनरों के पास इतना समय बचा कहां है, जहां अपने जीते जी न्याय होते देख भी सकेगा या नहीं।
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कुल मिला कर पेंशनरों,उम्रदराज, वरिष्ठ नागरिकों का कोई माई बाप है नहीं। न सरकार,न समाज यहां तक कि उनका खुद का परिवार, जिनकी पूछ परख कर सके और जीवन के अंतिम पड़ाव में शांति और सम्मान के साथ वो जी सकें…। शायद यही डैमोक्रेसी का सब से बड़ा अभिशाप है। जहां देश के लाखों पेंशनरों के हिस्से में आन पड़ा है।
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