- सरकार का चुनावी अहंकार…। हम बूढ़े जरूर हैं, मगर मरे हुए मुर्दा नहीं।
सूचनाजी न्यूज, छत्तीसगढ़। ईपीएस 95 पेंशन (EPS 95 Pension) का मामला शांत होने वाला नहीं है। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (Employees Provident Fund Organization) के खिलाफ आवाज उठाई जा रही है। ईपीएफओ (EPFO) पर भड़ास निकालने वालों का जत्था बढ़ता जा रहा है। आचार संहिता लगने के बाद सरकार से मिलने वाली सारी संभावनाओं के द्वार बंद हो चुके हैं। ऐसे में ईपीएफओ की कार्यसंस्कृति और सहयोग न मिलने का आरोप लगाया जा रहा है।
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पेंशनर्स RK Sangha ने पोस्ट किया। लिखा-ईपीएफओ के माध्यम से मजदूरों का खुलेआम शोषण हम सभी जानते हैं। पंजीकरण के बाद या पंजीकृत नहीं हो जाता है, तो पंजीकरण के बाद वे बिना और चिकित्सा सुविधा के माप प्राप्त करते हैं। सभी यूनियन और संगठन भारत में इसे होते हुए देख रहे हैं। उन्हें श्रमिकों को सक्रिय रूप से शिक्षित और सुरक्षा करनी चाहिए या उनकी दुकानों को बंद करना चाहिए।
NAC की ओर से कोई फतवा जारी होना चाहिए?
Anil Kumar Namdeo ने अपनी भड़ास निकालते हुए लिखा-विवेक काम नहीं कर रहा है कि EPS 95 पेंशनर्स अपना कीमती वोट लोकसभा चुनाव में सदुपयोग कैसे करें? दिमाग कहता है…हाँ और दिल कहता है… ना। सभी ऊहापोह की स्थिति में हैं। आपकी राय क्या है? क्या NAC की ओर से कोई फतवा जारी होना चाहिए?
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जो पेंशनर्स का काम करेगा, वही देश पर राज करेगा…
सोशल मीडिया पर सक्रिय रहने वाले पेंशनर्स Indranath Thakur ने लिखा-जो पेंशनर्स का काम करेगा, वही देश पर राज करेगा…। जो उनका हक़ मारेगा उसका हाल चुनाव बताएगा। सरकार का चुनावी अहंकार…। हम बूढ़े जरूर हैं, मगर मरे हुए मुर्दा नहीं।
सरकार भली-भांति जानती है कि NAC, पूरे भारत के हर राज्य के हर जिले में एपोलिटिकल बुजुर्गों का संगठन है। हम किसी दल के पीछे घूमने वाले लोगों की जमात नहीं हैं। हम करुणा और शान्ति, प्रेम और भाईचारे के साथ जीना पसंद करते हैं।
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हद की भी कोई हद होती होगी। 2013 में बीजेपी ने हमारे संगठन से वादा किया था कि जब वह सत्ता में आएगी तो EPS 95 के पेंशनर्स के साथ न्याय करेगी।
आठ सालों के अनवरत शान्ति पूर्ण इस आन्दोलन को असीम धैर्य और विनीत भाव से हमने सरकार के समक्ष रखने की कोशिश की है। फिर भी ढाक के तीन पात ही दिखाई दे रहा है।