ईपीएस 95 उच्च पेंशन पर मद्रास हाईकोर्ट का फैसला, पढ़िए डिटेल

Madras High Court's decision on EPS 95 higher pension, read details
प्रतिवादी को ब्याज के भुगतान के माध्यम से याचिकाकर्ता के हकदार मुआवजे का निपटान करने का निर्देश की मांग की गई थी।
  • अंतिम निपटान और देय बकाया पर 12% की दर से ब्याज के भुगतान के माध्यम से याचिकाकर्ता के हकदार मुआवजे का निपटान करने का निर्देश दें।

सूचनाजी न्यूज, दिल्ली। ईपीएस 95 उच्च पेंशन (EPS 95 Higher Pension) को लेकर मद्रास हाईकोर्ट (Madras HighCourt) का फैसला आया है। कर्मचारी की तरफ से दायर याचिका पर कोर्ट ने फैसला दिया है। इसकी कॉपी सोशल मीडिया (Social Media) पर तेजी से वायरल हो रही है।

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भारत के संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत रिट याचिका दायर की गई है। एक रिट जारी करने की मांग की गई है कि वे बीसीओ को याचिकाकर्ता के अंतिम आहरित वेतन (मूल वेतन+डीए) के आधार पर बढ़ी हुई मासिक उच्च पेंशन पर याचिकाकर्ता के दावे को ईपीएस-95 की धारा 17ए के तहत 20 दिनों के भीतर 01.09.2017 से पात्रता की तारीख से निपटाएं और याचिकाकर्ता को पहले से भुगतान की गई 2,523 रुपए की मासिक पेंशन को वेतन और अन्य प्राप्तियों को समायोजित करने के बाद बकाया राशि का भुगतान भी किया जाए।

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और याचिकाकर्ता को अगले महीने से उसकी बढ़ी हुई मासिक उच्च पेंशन का भी भुगतान किया जाए। अंतिम निपटान और देय बकाया पर 12% की दर से ब्याज के भुगतान के माध्यम से याचिकाकर्ता के हकदार मुआवजे का निपटान करने का निर्देश दें।

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कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट रूप से लिखा है कि यह रिट याचिका प्रतिवादी को यह निर्देश देने की मांग करते हुए दायर की गई है कि वे ईपीएस 95 की धारा 17ए के तहत 20 दिनों के भीतर 01.09.2017 से पात्रता की तारीख से याचिकाकर्ता के अंतिम आहरित वेतन के आधार पर बढ़ी हुई मासिक उच्च पेंशन पर याचिकाकर्ता के दावे का निपटारा करें। और प्रतिवादी को ब्याज के भुगतान के माध्यम से याचिकाकर्ता के हकदार मुआवजे का निपटान करने का निर्देश दें।

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कोर्ट के आदेश में है कि रिट याचिका का निपटारा किया जाता है और प्रतिवादी 2 और 3 को कर्मचारी भविष्य निधि संगठन और अन्य बनाम सुनील कुमार और अन्य के मामले में 04.11.2022 को एसएलपी (सी) संख्या 8658-8659/2019 में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गए निर्णय के आलोक में याचिकाकर्ता के प्रतिनिधित्व पर विचार करने और इस आदेश की प्रति प्राप्त होने की तिथि से चार सप्ताह की अवधि के भीतर उचित आदेश पारित करने का निर्देश दिया जाता है।

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