पूर्व पुलिस, प्रशासनिक अधिकारी व विधायक 32 बंगला संग BSP मकान नहीं कर रहे खाली, बेदखल कराने DIC-इस्पात मंत्रालय तक पहुंची बात

-बीएसपी कर्मचारियों व अधिकारियों के रिटायर होते ही मकान कराया जाता है खाली, लेकिन पूर्व प्रशासनिक अधिकारियों को छूट।
-बीएसपी आफिसर्स एसोसिएशन-ओए ने बीएसपी प्रबंधन से थर्ड पार्टी को दिए गए मकानों की समीक्षा करने का किया आग्रह।

सूचनाजी न्यूज, भिलाई। बीएसपी आफिसर्स एसोसिएशन ने भिलाई टाउनशिप के अधिकारियों के आवासों का अत्याधिक थर्ड पार्टी आवंटन एवं आवंटन के पश्चात उन क्वाटरों पर कब्जे की प्रवृत्ति से उत्पन्न समस्याओं का उल्लेख करते हुए बीएसपी के डायरेक्टर इंचार्ज को ज्ञापन सौंपा।

इस ज्ञापन में थर्ड पार्टी कब्जेधारियों के कारण बीएसपी के अधिकारियों को बेहतर मकान उपलब्ध नहीं हो पाने की समस्या से अवगत कराते हुए इसके समाधान हेतु इन मकानों को थर्ड पार्टी के कब्जे से मुक्त कराने की मांग की है।

विदित हो कि छत्तीसगढ़ राज्य के गठन के पश्चात बीएसपी के बड़े आवासों को प्रशासनिक अधिकारियों एवं जनप्रतिनिधियों को जिनका कार्यक्षेत्र भिलाई-दुर्ग रहा, उन्हें दिया गया था। समय के साथ अधिकारियों के रिटायरमेंट, स्थानांतरण के पश्चात भी अधिकतर आवास उन्हीं के कब्जे में रह गए हैं।

वर्तमान परिस्थितियों में भिलाई टाउनशिप में छत्तीसगढ़ के अनेक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों के नाम से आवास आवंटित है। यद्यपि उनकी पदस्थापना दुर्ग से दूरस्थ जिलों में है। कुछ अधिकारी सेवानिवृत्त भी हो चुके हैं, परंतु विडम्बना यह है कि आज भी वे बीएसपी के मकानों पर अवैध रूप से काबिज हैं।

पिछले कुछ वर्षों में केन्द्र व राज्य के प्रशासनिक अधिकारियों एवं जन प्रतिनिधियों में भिलाई के मकानों के प्रति रूचि बढ़ी है, जिससे लगभग सारे बड़े मकान जो सेक्टर 5, 8, 9, 10 में है, इन सरकारी अधिकारियों, जन प्रतिनिधियों, पूर्व सरकारी अधिकारियों, पूर्व विधायकों आदि के कब्जे में है। इस कारण बहुत सारे बड़े आवास संयंत्र के अधिकारियों के पहुंच से बाहर हो गए हैं।

नगर सेवा विभाग की अनेक कोशिशों के पश्चात भी भिलाई टाउनशिप के ये बड़े मकान प्रभावशाली प्रशासनिक अधिकारियों के कब्जे से नहीं निकाले जा सके हैं। इन परिस्थितियों में इस्पात संयंत्र के अधिकारी, अपने आप को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। जो आज वरिष्ठता होने के पश्चात भी छोटे मकानों में रहने को मजबूर हैं।

और वे उसके लिए 8000-14000 रुपए तक का एचआरए के रूप में हानि भी वहन कर रहे हैं, क्योंकि 2014 से एच.आर.ए. बंद कर दिया गया है। इस कारण संयंत्र के अधिकारी प्राइवेट कालोनियों में भी मकान नहीं खरीद पा रहे हैं।

वर्तमान परिवेश में बीएसपी से सेवानिवृत्त हुए अधिकारियों को 6 माह के भीतर ही मकान खाली कराया जाता है, यही नियम प्रशासनिक अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों पर भी लागू होना चाहिए। ओए ने यह मांग रखी है कि थर्ड पार्टी से खाली कराये गये सभी आवासों को बीएसपी के अधिकारियों को ही आवंटित किया जाए।

ओए-बीएसपी ने वर्तमान विस्फोटक स्थितियों को ध्यान में रखते हुए बीएसपी प्रबंधन से आग्रह किया कि इन थर्ड पार्टी को आवंटित मकानों की पुनः समीक्षा कर अन्यत्र पदस्थापित प्रशासनिक अधिकारियों को स्थानांतरण अथवा सेवानिवृत्ति के बाद, पूर्व जनप्रतिनिधियों आदि को मकान खाली कराने हेतु आवश्यक कार्यवाही शीघ्र किया जाए।

बीएसपी के इन बड़े मकानों को ऐसे थर्ड पार्टी कब्जेधारियों से मुक्त कराकर बीएसपी अधिकारियों को आवंटित करने का आग्रह किया है। ओए अध्यक्ष एवं सेफी चेयरमेन नरेन्द्र कुमार बंछोर ने आग्रह किया कि 32 बंगले में ही विधायक निवास, सांसद निवास आदि चिन्हित किया जाए एवं सेक्टर 5, 8, 9, 10 के थर्ड पार्टी आवासों को शीघ्र ही खाली कराया जाए।

ओए-बीएसपी की टीम द्वारा सभी सेक्टरों में सर्वे करके थर्ड पार्टी आवंटन को चिन्हित किया जा रहा है। इस संदर्भ में आफिसर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष व सेफी चेयरमेन नरेन्द्र कुमार बंछोर ने केन्द्रीय राज्य इस्पात राज्यमंत्री एवं इस्पात मंत्रालय के अधिकारियों से 22 सितम्बर को अवैध कब्जों के निराकरण में सहयोग करने हेतु विस्तृत चर्चा की।