Bokaro Steel Plant: BGHCare App दो दिन से बंद, परेशान हो रहे BSL के मरीज, इधर-एक बिंदी न होने से राजभाषा विभाग का उड़ा मजाक

  • बीएसएल के कर्मचारियों और अधिकारियों के लिए आई कार्ड बनवाया गया है। इसके स्ट्रिप पर सेल बोकारो इस्पात संयंत्र लिखना था, लेकिन गलती से बोकारो इस्पात 'संयत्र' लिख गया है।

सूचनाजी न्यूज, बोकारो। बोकारो स्टील प्लांट (Bokaro Steel Plant) के कर्मचारी इस वक्त खासा परेशान हो रहे हैं। मेडिकल सुविधा को लेकर भटकने की नौबत आ गई है। बीएसएल (BSL) प्रबंधन की तरफ से कर्मचारियों की सुविधा के लिए BGHCare Apps तैयार किया।

लेकिन, यह ऐप अभी पूरी तरह कार्य करना प्रारंभ भी नहीं किया था कि परेशान करने लगा है। इसके माध्यम से कर्मचारियों को ऑनलाइन अपॉइंटमेंट ले रहे थे। इसका सबसे अधिक लाभ वरिष्ठ कर्मचारी, सेवानिवृत्त कर्मचारी, महिला कर्मचारी ले पा रहे थे। पैथोलॉजी की रिपोर्ट,फार्मेसी से मिली दवाइयों की जानकारी, ओपीडी समय सारिणी, जैसी कुछ सुविधाएं तत्काल रूप से मिलनी प्रारंभ ही हुई थी।


फिलहाल, यह ऐप दो दिनों से काम ही नहीं कर पा रहा है, जिससे की वरिष्ठ कर्मचारी, सेवानिवृत्त कर्मचारी, महिला कर्मचारी तथा अन्य कर्मचारियों को भी काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
जब नया ऐप काम करना बंद कर दे तो स्वाभाविक है कि संबंधित पक्ष के ऊपर प्रश्न तो उठेंगे ही, जिन्होंने इस ऐप को बनवाया।

बीएसएल के कर्मचारियों का कहना है कि ऐप को बनाने के लिए CDAC का चयन किया गया था, जिस CDAC को आज के परिस्थिति में कोई क्लाइंट नहीं मिलता, उसे एक महारत्न कंपनी का ऐप बनाने के लिए चयन सवालों के घेरे में है। NIC एक सरकारी संस्था है उसका भी तो चयन किया जा सकता था।

इधर-एक बिंदी ने सेल का उड़ाया मजाक
बीएसएल के कर्मचारियों और अधिकारियों के लिए आई कार्ड बनवाया गया है। इसके स्ट्रिप पर सेल बोकारो इस्पात संयंत्र लिखना था, लेकिन गलती से बोकारो इस्पात संयत्र लिख गया है। इसको लेकर कर्मचारियों ने सोशल मीडिया पर राजभाषा विभाग पर कटाक्ष करना शुरू कर दिया है। कर्मचारी बोल रहे हैं कि राजभाषा विभाग प्लांट में हिंदी में ही कामकाज को बढ़ावा देने पर जोर देता है। विभिन्न वर्गों को प्रोत्साहन स्वरूप कुछ आर्थिक लाभ भी देता है।

परन्तु जैसे ही आपकी दृष्टि बोकारो इस्पात संयंत्र में बने आरएफआईडी में मिले स्ट्रिप पर लिखी हुई भाषा पर जाता है तो एक बार तो आपको विश्वास ही नहीं होगा कि ऐसा भी कुछ हुआ है। कंपनी को नए गेट पास बनाने की इतनी तत्परता थी कि इन्हें संयंत्र शब्द भी सही से नहीं पढ़ा। और सीधे आपूर्ति करने का आदेश दे दिया। कर्मचारी लिख रहे हैं कि क्या यह एक महारत्न कंपनी को शोभा देता है ऐसी भूल करना, जिससे की कंपनी की छवि धूमिल हो?