- मर्चेंट मिल में ऐसी ही एक दुर्घटना के दौरान 31 जनवरी 2025 को ठेका श्रमिक की मृत्यु हो गई थी।
सूचनाजी न्यूज, भिलाई। 18 मार्च मंगलवार शाम को प्लेट मिल में हुई दुर्घटना की जांच के पश्चात सीटू ने पाया कि पूरे मामले को ही तोड़ मरोड़ कर पेश करने की कोशिश की जा रही है। सच्चाई यह है कि एक दुर्घटना घटी है और वह दुर्घटना और भी भयावह हो सकती थी।
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किंतु कुछ कर्मियों के सूझबूझ के चलते उस दुर्घटना को प्राणांतक घटना होने से बचाया गया। जांच के दौरान यह बात सामने आई कि लोडिंग क्रेन के स्टॉपर का स्प्रिंग एक ठेका श्रमिक के कंधे को चोटिल करते हुए क्रेन पर चढ़ने वाले प्लेटफार्म के बीच में गिरा। किंतु यह बताया जा रहा है कि स्प्रिंग पहले प्लेटफार्म पर गिरा उसके बाद उछलकर कंधे से टकराया है। अभी आने वाले समय में देखना होगा कि उक्त दुर्घटना की और कौन-कौन सी थ्योरी सामने आएगी।
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एथिकल स्टील पॉलिसी की धज्जियां उड़ा रहा है प्लेट मिल शिपिंग का हाउसकीपिंग
सीटू महासचिव जेपी त्रिवेदी ने कहा-स्टील बनाने के लिए जिस एथिकल पॉलिसी की घोषणा की गई है। वह अपने आप में संयंत्र के माहौल को बेहतर बनाने की दिशा में सोच पैदा करता है। किंतु सीटू ने मर्चेंट मिल में हुए फेटल एक्सीडेंट एवं प्लेट मिल में हुए दुर्घटना को देखने के बाद पाया कि सही हाउसकीपिंग का ना होना दुर्घटना के लिए एक बड़ा कारण है।
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अचानक घटने वाली घटनाओं के समय यदि भगदड़ की स्थिति पैदा होती है तो ऐसे में हाउसकीपिंग ठीक ना होने पर लोग टकराकर गिरने एवं चोटिल होने की आशंकाएं कई गुना बढ़ जाती है, जिसे आज सीटू की टीम ने प्लेट मिल में दुर्घटना स्थल के निरीक्षण के दौरान पाया।
34 नंबर क्रेन केबिन से विजिबल नहीं है लोडिंग ट्रैक
प्लेट मिल के लोडिंग रेलवे ट्रैक के ठीक ऊपर लोडिंग क्रेन के केबिन बने हुए हैं। केबिन में बैठा हुआ कर्मी प्लेट्स को उठाकर लोडिंग वैगन में रखते समय लोडिंग ट्रैक एवं वेगन पूरा एवं साफ-साफ नहीं दिखाई देता है। कर्मियों ने कई बार इस बात की शिकायत प्रबंधन से कर चुके हैं। किंतु निराकरण की दिशा में कोई पहल नहीं किया गया है। 34 नंबर ईओटी क्रेन का केबिन भी क्षतिग्रस्त है, बावजूद इसके जैसे तैसे उस क्रेन को चलाया जा रहा है।
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ठेका श्रमिक चलाते हैं बहुत से लोडिंग क्रेन
संयंत्र के अंदर लगातार स्थाई कर्मियों की भर्ती पर रोक लगती चली गई है। ईओटी क्रेन ऑपरेशन को हमेशा से ही उच्च दक्षता वाला कार्य माना जाता रहा है जिस कार्य को अब ठेका श्रमिक करने लगे हैं प्लांट के कई विभागों में लोडिंग जैसे उच्च दक्षता वाले कार्य को ठेका श्रमिकों के हवाले कर दिया जा रहा है,जिनका ना तो दक्षता ट्रेनिंग करवाया जाता है ना ही सुरक्षा के सारे नियमों को बताया जाता है। ऐसे में क्रेन से होने वाली दुर्घटनाओं का बढ़ना अब आम बात होने लगा है। ज्ञात हो कि मर्चेंट मिल में ऐसी ही एक दुर्घटना के दौरान 31 जनवरी 2025 को ठेका श्रमिक की मृत्यु हो गई थी।
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दुर्घटनाओं को छुपाने से हो सकती हैं और ज्यादा दुर्घटनाएं
सीटू उपाध्यक्ष डीवीएस रेड्डी का कहना है कि हमेशा से ही घटने वाली घटनाओं अथवा दुर्घटनाओं को स्टडी करके उसकी रिपोर्ट को सार्वजनिक किया जाना चाहिए। जब घटी हुई दुर्घटना के कारण का अध्ययन किया जाता है एवं केस स्टडी बनाकर अलग-अलग मंचों पर उसकी कमियों को दूर करने के संदर्भ में चर्चा होती है तो इस बात की गुंजाइश बढ़ जाती है कि वह घटना अथवा दुर्घटना दोबारा से होने से रोका जा सकता है।
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किंतु जब दुर्घटनाओं को छुपाने की कोशिश की जाती है, तब उन दुर्घटनाओं के कारण को सार्वजनिक न करने एवं उन दुर्घटनाओं के कारण का अध्ययन कर उसे दूर न करने के कारण और ज्यादा दुर्घटनाएं होने की आशंकाएं बढ़ जाती हैं।
ज्ञात हो कि 10 अक्टूबर 2024 को एसएमएस-3 के बिलेट यार्ड में सुबह 10.30 बजे ईओ टी मैग्नेट क्रेन नंबर 31से मिडिल बे में खड़ी क्रेन नंबर 28 से टकराने से 28 नंबर क्रेन काबफर स्टापर का फाउंडेशन टूट गया था और बफर स्टापर पुलपिट नंबर 11 के नीचे कार्य कर रहे ठेका कर्मी बसंत कुमार कुर्रे के ऊपर गिर गया था, जिससे ठेका कर्मी बसंत कुमार कुर्रे की घटनास्थल पर ही मौत हो गई थी।
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