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कर्मचारी पेंशन योजना: सरकार से तगड़ा झटका, मुंह देखते रह गए पेंशनर्स, ईपीएस 95 पेंशनभोगी करें तो करें क्या…?

कर्मचारी पेंशन योजना: सरकार से तगड़ा झटका, मुंह देखते रह गए पेंशनर्स, ईपीएस 95 पेंशनभोगी करें तो करें क्या…?
  • चंद्रबाबू नायडू और नीतिश कुमार ने बजट का अच्छे से फायदा उठाया है। गठबंधन सरकार का असर बजट में दिखा है।

सूचनाजी न्यूज, छत्तीसगढ़। आज तक हम यह नहीं जान पाए कि EPS 95 पेंशनभोगियों (EPS 95 Pensioners) की न्यूनतम पेंशन की मांग को अनदेखा करने के पीछे क्या कारण है। सिवाय इसके कि योजना के नियमों में कोई प्रावधान नहीं है। यदि यह अंतिम प्रतिबद्धता है, तो सरकार पिछले कई वर्षों से एक के बाद एक समिति क्यों बनाती जा रही है?

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यह दर्द पेंशनभोगी ने सोशल मीडिया पर साझा किया है। ईपीएस 95 न्यूनतम पेंशन (EPS 95 Minimum Pension) को लेकर कर्मचारी भविष्य निधि संगठन-ईपीएफओ (Employees Provident Fund Organization) और सरकार पर जमकर गुस्सा उतार रहे हैं। ईपीएस 95 पेंशन राष्ट्रीय संघर्ष समिति रायपुर के अध्यक्ष अनिल कुमार नामदेव ने बड़ा ही मार्मिक पोस्ट किया है। कर्मचारी पेंशन योजना 1995 (Employees Pension Scheme 1995) के तहत न्यूनतम पेंशन 1000 रुपए को बढ़ाकर 7500 रुपए करने की मांग की जा रही है।

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पेंशनभोगी (Pensioners) ने लिखा-यह वरिष्ठ वृद्ध नागरिकों के साथ एक तरह का स्पष्ट विश्वासघात है। इस तथ्य के बावजूद कि सरकार वर्षों से चल रहे देशव्यापी आंदोलन से भली-भांति परिचित है और यहां तक कि सरकार के मुखिया को भी दो बार व्यक्तिगत रूप से EPS95 पेंशनभोगी समुदाय की पीड़ा से अवगत कराया गया है।

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अब इस देश में कौन बचा है जिसके पास कोई उनसे परे जाकर अपनी बात कह सके? देखते हैं कि सरकार कब तक संघर्षरत गरीब, असहाय, बीमार और वयोवृद्ध वरिष्ठ नागरिकों की शक्ति और क्षमता का मूल्यांकन करके उन पर दया करती है।

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राजनीतिक समर्थन पर पुनर्विचार करना होगा…

पेंशनर्स शशि नायर ने भी आगे के आंदोलन पर फोकस करने की सलाह दी है। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा-बीजेपी द्वारा न्यूनतम पेंशन में वृद्धि न करने के हालिया निर्णय को देखते हुए, पेंशनभोगियों के लिए अपने राजनीतिक समर्थन पर पुनर्विचार करना महत्वपूर्ण हो गया है। यह इनकार पेंशनभोगियों की वित्तीय भलाई के प्रति प्रतिबद्धता की कमी को उजागर करता है, जिससे कई लोग अन्य विकल्पों पर विचार करने के लिए मजबूर हो रहे हैं।

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राहुल गांधी और अरविंद केजरीवाल की ओर देख रहे पेंशनभोगी

राहुल गांधी और अरविंद केजरीवाल संभावित नेताओं के रूप में उभरे हैं जो पेंशनभोगियों (Pensioners) की जरूरतों को अधिक प्रभावी ढंग से संबोधित कर सकते हैं। दोनों ने बेहतर पेंशन योजनाओं और बेहतर सामाजिक सुरक्षा उपायों की वकालत करने की इच्छा दिखाई है। इन नेताओं का समर्थन करना पेंशनभोगियों के लिए अधिक आशाजनक भविष्य को सुरक्षित करने का एकमात्र तरीका हो सकता है।

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पेंशनभोगियों (Pensioners) के लिए निर्णायक कार्रवाई करने का समय आ गया है। बीजेपी से अपना समर्थन हटाकर राहुल गांधी या अरविंद केजरीवाल की ओर करके, वे ऐसी नीतियों को आगे बढ़ा सकते हैं जो उनके कल्याण को प्राथमिकता देती हैं।

आगामी चुनाव उनकी आवाज़ को सुनने और उनके लिए सम्मान और समर्थन की मांग करने का अवसर प्रदान करते हैं। चंद्रबाबू नायडू और नीतिश कुमार ने बजट का अच्छे से फायदा उठाया है। गठबंधन सरकार का असर बजट में दिखा है।

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