- मामले को हल करने में सेल प्रबंधन की ढिलाई, किसी स्तर पर पूरी न होती सुनवाई को लेकर सोशल मीडिया पर आग उगल रहे कर्मचारी।
अज़मत अली, भिलाई। देश की महारत्न कंपनी। इस्पात उत्पादक कंपनियों (Steel Producing Companies) में अच्छी पहचान और मजबूत पकड़। देश का कोई ऐसा प्रोजेक्ट नहीं, जहां सेल (SAIL) का स्टील (Steel) न लगा हो। रेल पटरी के जरिए देश को हर राज्यों, शहरों और कस्बों से कनेक्ट किया, लेकिन कर्मचारियों से रिश्ता डिस्कनेक्ट होता जा रहा है।
स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (Steel Authority of India Limited)-सेल (SAIL) जिन कर्मचारियों को कंपनी का ब्रांड एम्बेसडर बनने को बोलती है, वही आज बखिया उधेड़ रहे हैं। कर्मचारियों के दिलों में छुपा दर्द उफान मार रहा…। सोशल मीडिया (Social Media) का कोई प्लेटफॉर्म बचा नहीं होगा, जहां सेल के खिलाफ गुस्सा और नाराजगी न दिखे।
सेल प्रबंधन के रवैये को लेकर अपशब्दों की बाढ़ आ गई। इसकी चपेट में यूनियन और यूनियन नेता (Union Leader) भी आ रहे। जिन लोगों ने झांसेबाजी देकर कर्मचारियों का वोट बटोरा, वह तो अब कंबल ओढ़कर घी पी रहे हैं।
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चलिए, मुद्दे पर आते हैं। सेल (SAIL) के कर्मचारियों का दर्द यह है कि उनका बकाया 39 माह का एरियर अब तक मिला नहीं। बोनस का फॉर्मूला (Formula of Bonus) जो बनाया गया है, वह गलत बताया जा रहा। कर्मचारियों ने अपने स्तर पर फॉर्मूला बनाया और प्रबंधन को भेजा।
सेल प्रबंधन (SAIL Manager) इन दोनों विषयों पर किसी तरह का संवाद नहीं कर रही। कम्युनिकेशन गैप होने की वजह से कर्मचारी वर्ग में गुस्सा पनपता जा रहा है। चेयरमैन से लगायत एनजेसीएस नेता तक गुस्से का शिकार हो रहे।
एक यूनियन के पदाधिकारी ने बड़ी हिम्मत दिखाते हुए अपने ही जहांपनाह को ललकार दिया। ऐसे शब्दों का प्रयोग कर दिया कि देखते ही देखते सोशल मीडिया पर साहब जमकर वायरल हो गए।
इसी तरह बोकारो (Bokaro) में आवास आवंटन और उसकी दयनीय स्थिति की तुलना करते हुए एक वीडियो भी तेजी से वायरल हो रहा है। जहां, एक कील ठोकते ही प्लास्टर उखड़ जाता है। भगवान है कहां रे तू…गाने से अपना दर्द-दुखड़ा सेल कर्मचारी सुना रहे हैं।
अब बात ऐसे पोस्टर की, जिसमें कर्मचारी को एक ओर से एनजेसीएस द्वारा रस्सी से खींचते हुए तो दूसरी ओर प्रबंधन की लात खाते हुए दिखाया गया। इस तरह के हालात बनने के पीछे कारण स्पष्ट है। सेल प्रबंधन की ओर से तालमेल का अभाव। संवाद से भागना। समय पर मीटिंग न बुलाना।
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मीटिंग के नाम पर खानापूर्ति। मामले को लंबित रखकर समय काटना। एनजेसीएस(NJCS) सहित तमाम यूनियनों को तवज्जों बिल्कुल न देना। इन तमाम बातों को लेकर कर्मचारियों के दिलों में सुलग रही आग, किसी दिन ज्वाला बनकर फूट सकती है। इसलिए, समय रहते सेल प्रबंधन संजीदगी से मामले को हल करे।
कंपनी की खराब हो रही छवि को बिगड़ने से बचाएं। 3-3 करोड़ रुपए में जनसंपर्क विभाग (Jansampark Department) को ठेके पर दे देने से छवि नहीं सुधरने वाली, इसलिए संवाद तो करना ही होगा और समस्याओं का समाधान भी करना होगा।