
- श्रम और रोजगार राज्य मंत्री शोभा करंदलाजे का लोकसभा में जवाब आया।
सूचनाजी न्यूज, दिल्ली। भारतीय कर्मचारियों का मुद्दा लगातार लोकसभा में उठ रहा है। सांसद हनुमान बेनीवाल ने श्रम और रोजगार मंत्री से सवाल किया? कॉस्ट टू कंपनी मॉडल में उच्च वेतन वाले व्यक्तियों की तुलना में कम वेतन अर्जित करने वालों के वेतन में कटौती की अनुमानित दरों का ब्यौरा क्या है। क्या सरकार का विचार इस संबंध में कोई सुधार करने का है।
ये खबर भी पढ़ें: ईपीएस 95 पेंशनभोगियों को बड़ा झटका, मोदी सरकार का न्यूनतम पेंशन पर दो-टूक जवाब
श्रम और रोजगार राज्य मंत्री शोभा करंदलाजे ने जवाब दिया कि सरकार ने वेतन संहिता 2019 के तहत मजदूरी संदाय अधिनियम, 1936, न्यूनतम वेतन अधिनियम 1948, बोनस संदाय अधिनियम, 1965 और समान पारिश्रमिक अधिनियम, 1976 के उपबंधों को समाहित किया है और तर्कसंगत बनाया है।
संहिता अन्य बातों के साथ-साथ संगठित और असंगठित क्षेत्र में रोजगारों के लिए मजदूरी की परिभाषा के साथ-साथ न्यूनतम वेतन के युक्तिकरण का प्रावधान करती है।
इसके अतिरिक्त, संहिता केंद्र सरकार को केंद्र और राज्य क्षेत्र में लागू न्यूनतम वेतन निर्धारित करने का आदेश देती है और समुचित सरकार द्वारा निर्धारित मजदूरी की न्यूनतम दरें न्यूनतम वेतन से कम नहीं होंगी। इसके अतिरिक्त, संहिता अधिकृत कटौती का भी प्रावधान करती है जो वेतन से की जा सकती है।