अंतिम यात्रा: स्कंद आश्रम में सुबह 7 बजे पूजा और 8 बजे स्वामी मणि की शवयात्रा शिवनाथ के लिए होगी रवाना, आप भी जानिए ये राज़

  • स्वामी जी ने दुर्ग सरकारी अस्पताल के बर्न वार्ड को गोद लिया था।

सूचनाजी न्यूज, भिलाई। स्कंद आश्रम हुडको के संस्थापक मणि स्वामी का अंतिम संस्कार सोमवार को किया जाएगा। स्व.गुरुदेव के पार्थिव शरीर की पारंपरिक पूजादि स्कन्द आश्रम हुडको में प्रातः 7.00 बजे प्रारंभ होगी। लगभग 8.00 बजे अंतिम यात्रा आश्रम से शिवनाथ तट (महमरा एनीकट के उस पार) के लिए प्रस्थान करेगी। शवयात्रा का मार्ग पुलगांव बाइपास होते हुए जालबांधा से शिवनाथ नदी के लिए होगा।

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स्कन्द आश्रम परिवार का कहना है कि अपने स्कंद आश्रम परिवार के बीच गुरुजी एवं स्वामी जी के नाम से जाने जाने वाले स्कंद आश्रम के स्वामी मणि स्वामी जी का इस तरह अचानक चले जाने से उनके चाहने वाले परिवार जन दुखी एवं स्तब्ध हैं। धार्मिक प्रवृत्ति के साथ ही सामाजिक दायरा भी स्वामी जी का काफी बड़ा था। हर कोई चाहने वाला था। देश-दुनिया में चाहने वाले हैं।

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बहुत कम लोग ही जानते होंगे कि स्वामी जी ने दुर्ग सरकारी अस्पताल के बर्न वार्ड को गोद लिया था। अस्पताल की दुर्दशा देख स्कंद आश्रम परिवार की ओर से उस पूरे बर्न वार्ड का उन्नयन करा कर उसको गोद लिया था। अब वहां गरीबों को बेहतर इलाज मिलता है, क्योंकि बर्न का इलाज बाहर में बहुत महंगा था, जो गरीबों के लिए असंभव था। स्वामी जी के करीबी एक बीएसपी कर्मचारी ने बताया कि समाजसेवा के क्षेत्र में स्वामी जी हमेशा आगे रहते थे।

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वह अक्सर सरकारी स्कूलों के बाहर जाकर खड़े हो जाते थे। बाहर निकलने वाले छोटे बच्चों को निहारते थे, जिसके पैर में चप्पल-जूता नहीं दिखता, उसे अपने पास से जूता-चप्पल मुहैया कराते थे। कभी ठंड के दिनों में स्कूलों में स्वेटर बांटना। दूरदराज से इलाके से आए लोग जब खून के लिए भटकते हैं तो उनके लिए ब्लड बैंक बनाकर रक्तदान कराना, उनकी आदत में शुमार था।

निराश हताश जब आश्रम पहुंचते थे तो उन्हें मोटिवेट कर मंत्रोचार से उनके जीवन में खुशियां लाने का हूनर भी स्वामी जी के पास था। उन्हें एक गुरु के तौर पर सही शिक्षा मार्गदर्शन समय पर सलाह देते। आज स्कंध आश्रम के गुरु जी को लोग याद कर रहे हैं।

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वैदिक पूजा अनुष्ठान का एक महत्वपूर्ण केंद्र स्कंद आश्रम

हर वर्ष तमिलनाडु से आए वैदिक आचार्यों द्वारा स्कंद षष्ठी पूजा का आयोजन किया जाता था, जिसमें देशभर से हजारों लोग पूजा में भाग लेते थे। उसी तरह शिवरात्रि के समय महाकुंभ अभिषेक किया जाता था, जो पूरे मध्य भारत में इस तरह की वैदिक पूजा अनुष्ठान का दुर्लभ केंद्र था।र वहां के वॉलिंटियर्स की सेवा भावना उनके अनुशासन उनके काम करने के तौर तरीके सभी का दिल जीत लेते थे।