
- 9 से 14 वर्ष की आयु में दो डोज़ और 15 से 45 वर्ष के बीच तीन डोज़ की आवश्यकता होती है।
सूचनाजी न्यूज, बोकारो। बोकारो स्टील प्लांट (Bokaro Steel Plant) के कर्मचारियों और अधिकारियों को सर्वाइकल कैंसर से बचाव का तरीका बताया गया। महिलाओं में कैंसर से होने वाली मृत्यु का दूसरा प्रमुख कारण भी यही है। महिलाओं में इस कैंसर के प्रति जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से बोकारो जनरल अस्पताल में जागरूकता अभियान आयोजित किया गया।
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इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में बोकारो जनरल हॉस्पिटल (Bokaro General Hospital) के प्रभारी डॉ. बी. बी. करुणामय, मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. आनंद कुमार, मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. अनिन्दा मंडल, शिशु वार्ड के विभागाध्यक्ष डॉ. इंद्रनील चौधरी, स्त्री एवं प्रसूति रोग की विभागाध्यक्ष डॉ. कीर्ति अनिमा केरकेट्टा, और नर्सिंग स्कूल की प्रिंसिपल श्रीमती नीलिमा कुमारी ने परंपरागत तरीके से दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।
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जागरूकता अभियान में महिलाओं और युवतियों को सर्वाइकल कैंसर से बचाव के लिए नियमित जांच और स्क्रीनिंग करने, साथ ही एच. पी. वी. वैक्सीन लेने की सलाह दी गई. सर्वाइकल कैंसर पर आयोजित इस संगोष्ठी में मुख्य अतिथि बोकारो जनरल हॉस्पिटल के प्रभारी डॉ. बी. बी. करुणामय ने एच. पी. वी. (ह्यूमन पैपिलोमावायरस) वैक्सीन के महत्व पर विशेष रूप से जोर दिया।
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उन्होंने कहा कि एच. पी. वी. वैक्सीन पूरी तरह से सुरक्षित है और यह सर्वाइकल कैंसर के खतरे को प्रभावी रूप से कम करने में मदद करता है. डॉ. करुणामय ने सभी को वैक्सीनेशन कराने की सलाह दी और बताया कि यह वैक्सीन खासकर युवाओं के लिए बेहद फायदेमंद है, क्योंकि इससे कैंसर से बचाव संभव है।
उन्होंने यह भी कहा कि “इलाज से बेहतर रोकथाम है,” और इस बात पर जोर दिया कि समय रहते रोकथाम की रणनीतियों को अपनाना भविष्य में बड़ी बीमारियों से बचने के लिए सबसे प्रभावी तरीका है। डॉ. करुणामय ने संगोष्ठी में उपस्थित सभी से अपील की कि वे अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रहें और नियमित स्वास्थ्य जांच करवाएं ताकि किसी भी बीमारी का समय रहते इलाज किया जा सके।
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स्त्री एवं प्रसूति विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. कीर्ति अनिमा केरकेट्टा ने भी सर्वाइकल कैंसर से बचाव के लिए एच. पी. वी. वैक्सीन लगवाने पर जोर दिया. उन्होंने बताया कि सर्वाइकल कैंसर को बहुत हद तक वैक्सीनेशन के द्वारा रोका जा सकता है।
डॉ. केरकेट्टा ने यह भी बताया कि 9 से 14 वर्ष की आयु में दो डोज़ और 15 से 45 वर्ष के बीच तीन डोज़ की आवश्यकता होती है। उन्होंने सर्वाइकल कैंसर को देश से समाप्त करने के लिए एच. पी. वी. वैक्सीनेशन की दो डोज़ को अनिवार्य बताया और भारतीय प्रसूति एवं स्त्री रोग सोसाइटी (फॉग्सी) का नारा “2 टिके ज़िंदगी की” को दोहराया।
साथ ही, स्त्री एवं प्रसूति विभाग के डॉक्टर्स डॉ. शमा परवीन, डॉ. फरहत मजहरी और डॉ. कविता ने भी इस बीमारी के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए अपने विचार प्रस्तुत किए. उन्होंने सर्वाइकल कैंसर की स्क्रीनिंग के लिए पैप स्मीयर परीक्षण के महत्व पर प्रकाश डाला जिससे कैंसर को शुरुआती स्टेज में पहचाना जा सकता है और समय पर इलाज किया जा सकता है।
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कार्यक्रम में सर्वाइकल कैंसर के प्रति जागरूकता के उद्देश्य से क्विज़, स्लोगन लेखन और पोस्टर प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया जिसमें कुल 200 से अधिक नर्सिंग छात्राएँ, डॉक्टर, नर्सेस और डी. एन. बी. रेजिडेंट डॉक्टर्स ने सक्रिय रूप से भाग लिया।
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