EPS 95 Higher Pension: पेंशन फॉर्म निरस्त और चेक वापस करने पर बड़ा खुलासा, फंसा EPFO

  • क्या पेंशनर्स की नियति में सिर्फ धोखा है?

अज़मत अली, भिलाई। एक बार फिर लगता है ईपीएस 95  पेंशनर्स धोखा खाने की दहलीज पर खड़े हैं। जिन दो चार पेंशनर्स ने भविष्य निधि संगठन के डिमांड लेटर के आधार पर मांगी गई रकम जमा कर दी थी, उनकी राशि उन्हें वापस कर दी गई है।  और जिन्हे डिमांड लेटर जारी किया गया था, उसे भविष्य निधि संगठन ने वापस ले लिया है। अथवा निरस्त कर दिया है।

4 अक्टूबर 2016 को सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद जब क्रियान्वय की प्रक्रिया प्रारंभ हुई तो इसी तरह का खेल खेला गया था। और अंततः पेंशनर्स को पुनः सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा था। प्रश्न है कि क्या कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (Employees Provident Fund Organization) द्वारा वैसी ही परिस्थिति निर्मित की जा रही है।

ईपीएस 95 पेंशनर्स राष्ट्रीय संघर्ष समिति छत्तीसगढ़ के अध्यक्ष एलएम सिद्दीकी ने Suchnaji.com के साथ ईपीएस 95 हायर पेंशन को लेकर चल रहे विवाद पर तर्क के साथ अपना पक्ष रखा है। ईपीएफओ की खामियों को उजागर किया है।

ईपीएस 95 पेंशन विवाद के पीछे ये है बड़ी वजह 

जिन पेंशनर्स को उनके द्वारा जमा की गई राशि वापस की गई, उनके पत्र में भविष्य निधि संगठन द्वारा उल्लेख किया गया है कि ट्रस्ट रूल्स के अनुसार, सीमित वेतन के भीतर ही नियोक्ता पेंशन फंड के लिए राशि जारी कर सकता है।

-कर्मचारी का वास्तविक वेतन यदि सीमित वेतन (पहले यह 5000 रुपए था, फिर रिवाइज हो कर 6500 और अभी 15000 रुपए है) से अधिक होता है तो, उस पर वह अंशदान नहीं दे सकेगा।

-पर, यह वास्तविकता नहीं है। ऐसा प्रतीत होता है, कि वर्षों पूर्व बनाए गए ट्रस्ट के मृतप्राय नियमों को आधार बनाकर, सदस्यों को उच्च पेंशन से वंचित करने का सुनियोजित षड्यंत्र चल रहा है।

पढ़िए Exempted, Unexempted Establishments और कोर्ट से राहत

-उच्चतम न्यायालय के निर्णय 4 अक्टूबर 2016 के अनुसार सभी सेवानिवृत कर्मचारियों को उच्च पेंशन देने के विकल्प का अधिकार दिया गया था और इस संबंध में ईपीएफओ ने परिपत्र 23 मार्च 2017 भी जारी किया था।

-लेकिन बाद में एक गैरकानूनी परिपत्र 31 मई 2017 के द्वारा exempted establishments में कार्यरत अथवा रिटायर्ड एम्प्लॉयज को इस लाभ से वंचित कर दिया गया था।

-जिसे  बाद में अंततः, सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्णय 4 नवंबर 2022 से रद्द किया और फैसला दिया कि Exempted और Unexempted Establishments में उच्च पेंशन हेतु कोई अंतर नहीं है।

-इसलिए यह स्पष्ट है कि Exempted Establishments के किसी पुराने ट्रस्ट रूल्स का हवाला देकर सदस्यों को उच्च पेंशन से वंचित करने का प्रयास असंगत, अन्यायपूर्ण और गैरकानूनी भी है।

-वैसे भी जिस तरह 4-10-2016 के फैसले में उच्चतम न्यायालय ने Exempted अथवा Unexempted Establishments का कोई उल्लेख नहीं किया था और उसे षड़यंत्रपूर्वक अकारण ही ईपीएफओ द्वारा मुद्दा बनाया गया था।

-वैसे ही वर्तमान निर्णय 4 नवंबर 2022 में किसी ट्रस्ट रूल्स का कोई संदर्भ नहीं है। लेकिन इसे भी भविष्य निधि संगठन द्वारा तूल देकर सदस्यों के साथ गैर इंसाफी की जा रही है।

-विशेष तौर पर जब Exempted और Unexempted का फर्क, उच्च पेंशन की गणना के लिए सुप्रीम कोर्ट ने समाप्त कर दिया है।

ईपीएफओ भेदभाव न करे

सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्णय 4 नवंबर 2022 से रद्द किया और फैसला दिया कि Exempted और Unexempted Establishments में उच्च पेंशन हेतु कोई अंतर नहीं है। इसलिए किसी तरह का कोई भेदभाव न किया जाए। सभी को पेंशन के दायरे में लाया जाए।