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EPS 95 पेंशन: EPFO, पीएम मोदी की चुप्पी, अंदर ही अंदर खा रही पेंशनर्स को

EPS 95 पेंशन: EPFO, पीएम मोदी की चुप्पी, अंदर ही अंदर खा रही पेंशनर्स को
  • औसत 1171 का पेंशन उन्हें दिया जाता है, जो उस कर्मचारी ने स्वयं पेट काट कर जमा की थी।

सूचनाजी न्यूज, छत्तीसगढ़। ईपीएस 95 न्यूनतम पेंशन (EPS 95 Minimum Pension) को लेकर एक और पोस्ट ने हड़कंप मचा दिया है। पेंशनर्स Indranath Thakur के पोस्ट में पीएम मोदी पर निशाना साधा गया। न्यूनतम पेंशन 1000 रुपए को 7500 रुपए करने की मांग की जा रही है। सरकार से आश्वासन मिलते रहे, लेकिन अमल नहीं हो सका है। इस बात को लेकर पेंशनर्स भड़के हुए हैं।

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पोस्ट के मजमून को आप भी पढ़िए। पेंशनर्स के मन की बात कुछ इस तरह है। माननीय मोदीजी, आप चुप हैं। माना कि अभी चुनाव का दबाव है। लेकिन प्रश्न आपकी नीयत का है।

EPS 95 के 75 लाख सेवानिवृत्त कर्मचारियों के लिए यदि आपके हृदय में हमदर्दी है,  तो फिर आप चुप क्यों हैं? अगर बुजुर्गों को जीवन जीने का अधिकार है तो सोचिए, क्या उसे पेंशन के नाम पर दी जा रही रकम ज्यादा है? क्या यह न्याय पूर्ण लगता है? पर्याप्त है? जबकि औसत 1171 का पेंशन उन्हें दिया जाता है, जो उस कर्मचारी ने स्वयं पेट काट कर जमा की थी।

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जो रकम EPFO के खाते में…

क्या यह रकम उसके  द्वारा जमा  की गई मूलधन का समुचित ब्याज भी होता है? जो रकम EPFO के खाते में किसी कर्मचारी ने जमा की थी ताकि सेवाकाल के बाद उसके भविष्य के जीवनयापन के लिए  होगा। कर्मचारी को वह जमा रकम सरकार वापस कर देती। मगर सरकार ने वह रकम जब्त कर ली। क्या यह न्याय है?

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जमा मूलधन का समुचित ब्याज

उस जमा मूलधन का समुचित ब्याज भी अब सरकार अदा नहीं करना चाहती है? क्यों? जिस वक्त तत्कालीन सरकार  संगठित क्षेत्रों के कामगारों पर भी यह स्कीम लागू कर रही थी, सरकार ने सुनहले सपने दिखाए थे। कहा गया था कि सरकारी पेंशन से भी यह पेंशन बेहतर होगा।

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‘सेल’ के कर्मचारी अपने वेतन का एक्चुअल भाग…

हम ‘सेल’ के कर्मचारी अपने वेतन का एक्चुअल भाग इस स्कीम में जमा करने के लिए तैयार थे। हमने जिसके लिए अलग से  रकम भी कटवाए थे। लेकिन सरकार लेने से मना कर रही थी। जब हम सेवानिवृत्त हुए तो ‘सेल’ ने हमारी कुल जमा राशि को हमें वापस कर दिया था।

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उम्र 73 के पार और पेंशन 1505 रुपए

उस वक्त पेंशन मद में सिर्फ 6000 वेतन के अनुसार ही कटौती स्वीकार की गई थी। जो भी हो इसमें कर्मचारियों का कोई दोष नहीं था। हमें हमारी पेंशन 58 साल के बाद दी जाने लगी। जब हम सेवा में योगदान कर ही रहे थे।

हमारी सेवानिवृत्ति 60 साल की आयु पूरी होने के बाद हुई थी। उसे भी बीते 13 साल हो गये हैं। अभी मेरी उम्र 73 के पार है। और मुझे पेंशन 1505 रुपए दी जाती है।

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आप स्वयं भी मेरी व्यय के हो रहे हैं। क्या इतनी रकम मेरे और मेरी पत्नी के जीवनयापन के लिए अधिक है? मुझे व्यक्तिगत अधिक आय नहीं चाहिए। यह रकम हम दोनों के भोजन  वस्त्र आवास और चिकित्सा के लिए पर्याप्त से भी ज्यादा है।

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देशहित में इसका समर्पण करना पसन्द

यदि देश के लिए मेरी इस सर्वस्व आय के समर्पण से लाभ हो तो मैं देशहित में इसका समर्पण करना पसन्द करुंगा। फिर भी आप जैसे मनीषि चुप हैं। यह समझ नहीं पा रहा हूं। हमें लोकतंत्र नहीं रामराज्य चाहिए।  मैं आप के साथ था हूं। और जबतक जीवन शेष है, आगे रहना भी पसन्द करूंगा।

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